प्राचीन भारतइतिहास

अजंता की गुफायें कहाँ स्थित हैं

औरंगाबाद से 101 किमी दूर उत्तर में अजंता की गुफाएँ स्थित हैं। सह्याद्रि की पहाडि़यों पर स्थित इन 30 गुफाओं में लगभग 5 प्रार्थना भवन और 25 बौद्ध मठ हैं। इन गुफाओं की खोज आर्मी ऑफिसर जॉन स्मिथ व उनके दल द्वारा सन् 1819 में की गई थी। वे यहाँ शिकार करने आए थे तभी उन्हें कतारबद्ध 29 गुफाओं की एक श्रृंखला नजर आई और इस तरह ये गुफाएँ प्रसिद्ध हो गई। 

घोड़े की नाल के आकार में निर्मित ये गुफाएँ अत्यन्त ही प्राचीन व ऐतिहासिक महत्व की है। इनमें 200 ईसा पूर्व से 650 ईसा पश्चात तक के बौद्ध धर्म का चित्रण किया गया है। अजंता की गुफाओं में दीवारों पर खूबसूरत अप्सराओं व राजकुमारियों के विभिन्न मुद्राओं वाले सुंदर चित्र भी उकेरे गए है, जो यहाँ की उत्कृष्ट चित्रकारी व मूर्तिकला के बेहद ही सुंदर नमूने है। 

अजंता की गुफाओं को दो भागों में बाँटा जा सकता है। एक भाग में बौद्ध धर्म के हीनयान और दूसरे भाग में महायान संप्रदाय की झलक देखने को मिलती है। हीनयान वाले भाग में 2 चैत्य हॉल (प्रार्थना हॉल) और 4 विहार (बौद्ध भिक्षुओं के रहने के स्थान) है तथा महायान वाले भाग में 3 चैत्य हॉल और 11 विहार है। 

ये 19वीं शताब्दी की गुफाएँ है, जिसमें बौद्ध भिक्षुओं की मूर्तियाँ व चित्र है। हथौड़े और चीनी की सहायता से तराशी गई ये मूर्तियाँ अपने आप में अप्रतिम सुंदरता को समेटे है। 

महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में अजंता की पहाङी स्थित है। तक्षण तथा चित्रकला दोनों ही दृष्टियों में भारतीय कला केन्द्रों में अजंता का स्थान अत्यंत ऊँचा है। यह ईसा पूर्व दूसरी शता.से लेकर सातवीं शता. ईस्वी तक हुआ। दूसरी शता. तक यहाँ हीनयान मत का प्रभाव था, तत्पश्चात् महायान मत का प्रभाव पङा। यहाँ कुल 29 गुफायें उत्कीर्ण की गयी। इनमें चार चैत्य तथा शेष 25 विहार गुफायें हैं।

अजंता की दसवीं गुफा सबसे प्राचीन चैत्य है। जिसका काल ईसा पूर्व दूसरी शती है। इसके मंडप तथा प्रदक्षिणापथ के बीच 59 स्तंभों की पंक्ति है। स्तंभ बीच में चौकोर तथा अंदर की ओर झुके हुए हैं।

मंडप के स्तूप के ऊपर टेढी धरन स्तंभों के सिरों से निकलती हुई दिखायी गयी है। इस गुफा के उत्खाता कलाकार ने इसे अनेक प्रकार से अलंकृत किया है। स्तूप का आधार गोलाकार है।, किन्तु उसके ऊपर का भाग लंबा अंडाकार है। नवीं गुफा भी चैत्य गृह है। इसका आकार छोटा है। इसके मुखपट्ट के मध्य में एक प्रवेश द्वार तथा अगल-बगल दो गवाक्ष बनाये गये हैं। तीनों के शीर्ष भाग पर छज्जा निकाल हुआ है।उसके ऊपर संगीतशाला है तथा इसके ऊपर कीर्तिमुख है। इससे चैत्य के भीतर प्रकाश एवं वायु का प्रवेश होता था। सामने की ओर वेदिका का अलंकरण तथा भीतर वर्गाकार मंडप स्थित है।

अजंता की 12 वीं, 13 वीं तथा 8 वीं गुफायें विहार हैं। 12 वीं गुफा सबसे प्राचीन है, जो 10 वीं गुफा चैत्यगृह से संबंधित है। 9वीं चैत्यगुहा के साथ 8वी. विहार गुहा का निर्माण हुआ। यह हीनयान से संबंधित है। अन्य गुफायें महायान मत की हैं। अजंता की 5 गुफायें (10,9,8,12,13) ही प्रारंभिक चरण की हैं। कालांतर में अन्य गुफायें उकेरी गयी। 16वीं -17वीं गुफायें विहार तथा पहली दूसरी चैत्य गृह हैं।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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