प्रारंभिक मानव के आवास स्थल
प्रारंभिक मानव के आवास स्थल
प्रारंभिक मानव के रहन-सहन के बारे में उपलब्ध साक्ष्य का पुनर्निर्माण करने की कोशिश करते हैं,तो हम अपने आपको ज्यादा सुनिश्चित आधार पर पाते हैं। उपलब्ध साक्ष्य का पुनर्निर्माण करने का एक तरीका यह है कि उनके द्वारा निर्मित शिल्पकृतियों के फैलाव की जाँच करना। उदाहरण के लिए, उनकी जीवन शैली के बारे में जानने का तरीका है उनके द्वारा निर्मित वस्तुओं के फैलाव की जाँच करना। उदाहरणस्वरूप, केन्या में किलोंबे और ओलोर्जेसाइली के खनन स्थलों पर हजारों की संख्या में शल्क-उपकरण और हस्तकुठार मिले हैं। ये औजार 700,000 से 50,000 साल पुराने हैं।
ये इतने सारे औजार एक ही स्थान पर कैसे इकट्ठे हुए? यह संभव है कि जिन कुछ स्थानों पर खाद्य प्राप्ति के संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थे वहाँ लोग बार-बार आते रहे। ऐसे क्षेत्रों में लोग शिल्पकृतियों सहित अपने क्रियाकलापों के चिह्न छोङ जाते होंगे। ऐसा प्रतीत होता है कि पूरे परिदृश्य में कुछ ही क्षेत्रों में जमा शिल्पकृकियाँ कम मात्रा में सतहों पर बिखरी हुई हैं।
शिल्पकृतियाँ – ये मानव निर्मित वस्तुएँ होती हैं। इनमें अनेक प्रकार की चीजें शामिल होती हैं, जैसे – औजार, चित्रकारियाँ, मूर्तियाँ, उत्कीर्ण आदि।
यहाँ यह भी याद रखना जरूरी है कि एक ही क्षेत्र में होमिनिड अन्य प्राइमेटों और मांसभक्षियों के साथ निवास करते थे।
400,000 से 125,000 पहले गुफाओं तथा खुले निवास क्षेत्र का प्रचलन शुरू हो गया। इसके साक्ष्य यूरोप के पुरास्थलों में मिलते हैं। दक्षिण फ्रांस में स्थित लेजरेट गुफा की दीवार 12.4 मीटर आकार के एक निवास स्थान से सटाकर बनाया गया है। इसके अंदर दो चूल्हों और भिन्न-भिन्न प्रकार के खाद्य स्रोतों, जैसे – फलों, वनस्पतियों, बीजों, काष्ठफलों, पक्षियों के अंडों और मीठे जल की मछलियों (ट्राउट, पर्च और कार्प) के साक्ष्य मिले हैं। एक और पुरास्थल, दक्षिणी फ्रांस के समुद्रतट पर स्थित टेरा अमाटा में घास-फूँस और लकङी की छत वाली कच्ची-कमजोर झोपङियाँ, सामयिक मौसमी प्रवास के लिये बनाई जाती थी।
केन्या में चेसोवांजा और दक्षिणी अफ्रीका में स्वार्टक्रान्स में पत्थर के औजारों के साथ-साथ आग में पकाई चिकनी मिट्टी और जली हुई हड्डियों के टुकङे मिले हैं जो 14 लाख से 10 लाख साल पुराने हैं। क्या ये चीजें प्राकृतिक रूप से झाङियों में लगी आग या ज्वालामुखी से उत्पन्न अग्नि से जलने का परिणाम हैं अथवा क्या ये एक सुनियोजित, सुनियंत्रित ढंग से लगाई गई आग में पकाकर बनाई गई थी?
नीचे दिखाया गया चित्र – टेरा अमाटा में पुनर्निर्मित एक झोंपङी का चित्र है। झोंपङी के किनारों को सहारा देने के लिये बङे पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता था। फर्श पर जो पत्थर के छोटे-छोटे टुकङे बिखरे हुए हैं वे उन स्थानों के द्योतक हैं जहाँ बैठकर लोग पत्थर के औजार बनाते थे। तीर के निशान से अंकित काली जगह चूल्हे को दर्शाती हैं।

दूसरी ओर चूल्हे, आग के नियंत्रित प्रयोग के द्योतक हैं। इसके कई फायदे थे। नियंत्रित आग का प्रयोग गुफाओं के अंदर प्रकाश और उष्णता मिलने में मददगार होता था और इससे भोजन भी पकाया जा सकता था। इसके अलावा लकङी को कठोर करने में आग का इस्तेमाल होता था, जैसे कि भाले की नोंक बनाने में। शल्क निकाल कर औजार बनाने में भी उष्णता उपयोगी होती थी। साथ ही इसका उपयोग खतरनाक जानवरों को भगाने में किया जाता था।
पुरातत्त्वविदों का यह सुझाव है कि पूर्व होमिनिड भी, होमोहैबिलिस की तरह, संभवतः स्थान-विशेष पर पाई गई अधिकांश खाद्य-सामग्री को वहीं खा लेते थे, अलग-अलग स्थानों पर सोते थे और ज्यादातर समय पेङों पर बिताते थे।
