प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति के प्रमुख स्थल कपिलवस्तु
नेपाल की तराई में यह स्थान स्थित था जिसकी पहचान वर्तमान तिलौरारोट नामक स्थान से की जाती है। कुछ विद्वान इसकी पहचान बस्ती जिले के पिपरहवा नामक स्थान से करते है जहाँ से प्राचीनतम बौद्ध स्तूप प्राप्त होते है। यहाँ शाक्य गणराज्य की राजधानी थी जहाँ के शासक महात्मा बुद्ध पिता शुद्धोधन थे।
विंसेंट स्मिथ के मत से यह उत्तर प्रदेश के Siddharthnagar जिले का पिपरावा नामक स्थान है जहाँ अस्थियों पर शाक्यों द्वारा निर्मित स्तूप पाया गया है जो उन के विचार में बुद्ध के अस्थि है।
अश्वघोषकृत सौन्दरनन्द से पता चलता है कि हिमालय के अंचल में स्थित कपिलमुनि के आश्रम के स्थान पर यह नगर स्थापित किया गया था। इसी कारण इस नगर का नाम कपिलवस्तु पड़ गया- कपिलस्य च तस्यर्षेस्तस्मिन्नाश्रमवास्तुनि, यस्मात्तत्पुरं चक्रुस्मात् कपिलवास्तु तत् (सौन्दरनन्द 1, 57)। महात्मा बुद्ध से सम्बन्धित होने के कारण इस नगर का महत्व बढ़ गया। अशोक के समय में भी यह नगर प्रसिद्ध था तथा अशोक ने वहाँ की यात्रा कर स्तूपादि बनवाया था।

गुप्तकाल तक आते-2 (पाँचवीं शती) यह नगर विरान हो चुका था, जैसा कि चीनी यात्री फाहियान के विवरण से पता चलता है। 7वीं शती के चीनी यात्री हुएनसांग ने भी इस स्थान की यात्रा की थी। उसके समय में यहाँ केवल एक ही विहार था जहाँ मात्र 30 भिक्षु निवास करते थे।
फाहियान का भारत आगमन किस शासक के काल में हुआ था?
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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