प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति के प्रमुख स्थल कुशीनगर
पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में स्थित कसया नामक स्थान ही बुद्ध काल में कुशीनगर था। इसी को कुशीनारा भी कहा गया है। यहाँ मल्ल गणराज्य का शासन था। नगर के चारों ओर सिंहद्वार थे यहाँ पहरा रहता था। नगर में चारों ओर से आने वाले मार्ग मिलते थे जहाँ मल्लों का प्रसिद्ध संस्थागार स्थित था। इसमें एकत्रित होकर वे विविध विषयों पर विचार-विमर्श करते तथा राज्य का शासन चलाते थे। नगर में एक शक्तिशाली सेना भी थी।
महात्मा बुद्ध ने कई बार कुशीनगर की यात्रा की थी। वे यहाँ के शालवन नामक विहार में ठहरते थे। इसी स्थान पर 483 ई. पू. के लगभग महात्मा बुद्ध को महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ था। मल्लों ने बुद्ध के अस्थि अवशेषों का एक भाग प्राप्त कर अपनी राजधानी में उनके ऊपर एक स्तूप बनवाया था।
बुद्ध के निर्वाण से सम्बन्धित होने के कारण यह स्थान बौद्धों का महान् तीर्थ बन गया। मगध नरेश अज्ञातशत्रु ने कुशीनगर पर आक्रमण कर इसे जीता तथा अपने राज्य में मिला लिया। इसके साथ ही मल्ल गणराज्य का अस्तित्व समाप्त हो गया।
कुशीनगर में कई स्तूप तथा विहार थे। अशोक ने यहाँ भी स्तूप एवं विहार बनवाये थे। गुप्तों के समय तक इस नगर की गरिमा सुरक्षित रहीं। 7वीं शती में यह उजाड़ हो गया। 1876 ई. में कनिंघम ने इस नगर का जीर्णोद्वार करवाया। पुराने टीलों की खुदाई हुई जिससे स्तूप, विहार एवं मन्दिर के अवशेष मिले।
कुशीनगर का सर्वप्रसिद्ध स्मारक बुद्ध की विशाल मूर्ति है जिसे शयनावस्था में दिखाया गया है। इस पर धातु की चादर चढ़ी हुई है। इसी स्थान से 10.6 फीट ऊँची बुद्ध की एक अन्य मूर्ति भी मिलती है। आज भी यह स्थान बौद्ध श्रद्धालुओं के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र बना हुआ है।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 2. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास, लेखक- वी.डी.महाजन
