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राजस्थान रा लोक देवता मल्लीनाथजी

राजस्थान रा लोक देवता मल्लीनाथजी

सिधपुरुस बाबा मल्लीनाथजी रो जलम विक्रमी संवत् 1365 मांय मारवाङ इलाकै रै सिवाणा रै गांव खोपङी रै रावल सलखा अर जाणीदै रै बडै बेटे रै रूप में हुयौ। मल्लीनाथजी बालपणै सूं ई वीर अर पराकरमी हा। बापजी सलखा रै देवलोक हुयां पछै बै आपरे काकोसा कान्हङदे कनै महेवा आयग्या अर उणां री मदद करण लागग्या। बाद में उणां रै छोटे भाई त्रिभुवनसी नै हटाय र 1374 ईस्वी में बै बठां रा स्वामी बणग्या।
कैवत आ है, कै 1378 ईस्वी में उण बगत रै नवाब फिरोज तुगलक रै मालवा रै सूबेदार निजामुद्दीन री फौज नै मल्लीनाथजी मार भगाय दीनी। इण सूं वांरी ख्याति और बधगी। धीरै धीरै मल्लीनाथजी आपरौ खेतर बधावतां गया। आपरै भतीजे चूण्डा नै मंडोर अर नागौर जीतायो।
मारवाङ इलाके रा सीवाणा, खेङ अर ओलियां रा डेरा आपरै सगै संबंधियां नै जागीर में दीया। ईस्वी सन् 1378 मांय मंडोर, मेवाङ, आबू अर सिंध रै बिचालै लूट मार करण वाला मुसलमान नै जद मल्लीनाथजी तंग सरू करया तद मुसलमान तेरह दलां री फौज लाय र जुध करण सारू आया। मल्लीनाथजी बां दला री फौज नै हराय दियौ। फैर मालवै रौ सूबेदार खुद जुध करण नै आयौ पण मल्लीनाथजी उणनै भी हराय दियौ। मल्लीनाथजी एक महान वीर अर नीतिवान राजा हा। उणां सिर्फ राठौङी राज रौ विस्तार ही नीं करयौ, बल्कै उणनै मजबूती भी दीनी।

लोकधारणा मुजब 1389 ई. में मल्लीनाथजी आपरी राणी रूपांदे रै कैवण सूं उगमसी भाटी कनै दीक्षा ली अर योग साधना सूं सिधपुरुस बणग्या। धीरै-धीरै मल्लीनाथजी कनै कैई चमत्कारी सिधियां आयगी। अबै मल्लीनाथ पूरी तरियां संत मातमा रो जीवण बितावण लाग्या। 1399 ईस्वी मांय पूरै हलके रै साधु संतां रौ एक जलसो राख्यौ। इणी बरस री चैत सुदी दूज नै मल्लीनाथजी सुरग सिधारग्या।

बाङमेर जिले रै तिलवाङा गांव मांय लूणी नदी रै किनारै उणां रौ एक मिंदर है जठै आज भी मेलो भरीजै अर मानखो बठै मल्लीनाथजी रा दरसम करण सारू आवै। मल्लीनाथजी सगती अर भगती री अनूठी मिसाल हा। आपरै पूरै जीवणकाल मांय मल्लीनाथजी मुसलमान अर आतताईयां सूं लोगां अर ढोर-डांगरा री रिक्षा करी। बाद मांय हरी कीरतन अर योग साधना मांय लीन हुयग्या अर हलके रै लोगां रै उद्धार सारू कारज करता रैया। मल्लीनाथजी निरगुण पंथी हा।

मल्लीनाथजी रै सिमरण मात्र सूं ही मिनख जमारो सुधर जावै। इणी कारण मरूधरा रै आथूणै इलाके बाङमेर नै मालाणी भी कैयो जावै।

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