इतिहासऔद्योगिक क्रांतिविश्व का इतिहास

औद्योगिक क्रांति के कारण(1760-1840)

औद्योगिक क्रांति के कारण

इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति के कारण पहले से ही निहित थे। इंग्लैण्ड का व्यवसायी वर्ग अन्य देशों के व्यवसायी वर्ग की अपेक्षा अधिक कुशल और साहसी था।व्यापार की उन्नति के लिए उनमें अधिक लगन और स्वाभाविक प्रेरणा थी। इंग्लैण्ड का व्यवसायिक वर्ग सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त था।

इंगलैंड की सरकार भी व्यापारियों के कार्यों में सहायता देती थी। परिस्थिति की सुगमता के अतिरिक्त सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिस्थतियां भी औद्योगिक क्रांति के कारण बनी।

औद्योगिक क्रांति के कारण

औद्योगिक क्रांति का अर्थ एवं काल

इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति के कारण इस प्रकार हैं –

  1. किसानों की बदली हुई स्थिति
  2. प्रशिक्षित कारीगरों द्वारा गिल्ड्स के नियंत्रण से मुक्त होकर स्वतंत्र रूप से कारोबार करना
  3. श्रमिकों की उपलब्धि
  4. आर्थिक स्वतंत्रता का सूत्रपात

यूरोप में औद्योगिक क्रांति के कारण

पुनरुत्थान और भौगोलिक खोजें

पुनरुत्थान के परिणामस्वरूप मानव में नूतन उत्साह एवं प्रेरणा का जागरण हुआ। जानवर्धक शिक्षा तथा भौगोलिक खोजों की पूर्व पीठिका में भी पुनरुत्थान दृष्टिगोचर होता है। भौगोलिक खोजों के परिणामस्वरूप यूरोपवासी दूसरे देशों के संपर्क में आए।भौगोलिक खोजें भी औद्योगिक क्रांति के कारण में एक सहायक कारण है।

जनसंख्या में वृद्धि

यूरोप की जनसंख्या की अत्यधिक वृद्धि भी औद्योगिक क्रांति का एक कारण बनी। जनसंख्या में वृद्धि के कारण दैनिक उपयोग की वस्तुओं की माँग भी बहुत अधिक बढ गयी थी। बढती हुई माँग ने मनुष्य को औद्योगिक विकास के लिये प्रोत्साहन दिया। इससे उद्योग धंधों का विकास हुआ।

रहन-सहन के स्तर में वृद्धि

ज्यों-ज्यों मनुष्य को सुविधाएँ मिलती गई, त्यों-त्यों उसके रहन-सहन भी उन्नत होता गया। इससे उसकी आवश्यकताएँ भी बढी। इन बढती हुयी आवश्यकताओं से औद्योगिक क्रांति को बहुत बल मिला।

वस्तुओं के उत्पादन की वृद्धि की वृद्धि ने भोग विलास की सामग्री का सृजन किया।

फ्रांसीसी क्रांति का योगदान

फ्रांसीसी क्रांति ने भी औद्योगिक क्रांति के कारणों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। नेपोलियन बोनापार्ट ने अपनी महत्त्वकांक्षा की पूर्ति के निमित्त संपूर्ण यूरोप को युद्ध में धकेल दिया। इस उलझन को सुलझाने का भार इंग्लैण्ड पर पङा।

इंग्लैण्ड को न केवल अपने सैनिकों की अपितु अपने साथी देशों के सैनिकों की आवश्यकताओं को पूरा करना पङा। इसके लिये उत्पादन के तरीकों में सुधार करना आवश्यक हो गया।

युद्ध समाप्ति के बाद बेकारी फैल गई। इस बेकारी को दूर करने का एकमात्र उपाय था, – उद्योग धंधों का विकास करना, इससे उत्पादन बढा। अब तैयार माल को खपाने के लिये दूसरे देशों के बाजार ढूँँढने पङे।

कच्चे माल की मंडियाँ ढूँढनी पङी। उपनिवेश बसाने पङे। इस प्रकार एक के बाद एक समस्या आती गयी। जिसका हल औद्योगिक क्रांति से ही किया जा सकता था।

व्यापारी वर्ग

पुनरुत्थान के कारण व्यापार वाणिज्य का विकास हुआ। सामंती तथा धार्मिक व्यवस्था और अंधविश्वासों का प्रभाव समाप्त हुआ। इन सभी परिवर्तनों के परिमास्वरूप व्यापारी वर्ग का उदय हुआ।

यह वर्ग पर्याप्त धनी था। और अपने धन को उत्तरोत्तर उत्पादन और फलतः धनोपार्जन में लगाना चाहता था। इसके लिये यह आवश्यक था, कि वे उन अन्वेषकों की मदद करें जो अपनी खोजों से उनके उत्पादन की मात्रा को बढाने में योगदान दे सकते हों। इस प्रकार नए-नए यंत्रों की खोज का सिलसिला शुरू हुआ, जिससे औद्योगिक क्रांति के विकास में बहुत सहयोग मिला।

राष्ट्रीयता

राष्ट्रीयता की भावना ने भी औद्योगिक क्रांति में सहयोग दिया। प्रत्येक देश के निवासी यही चाहते थे, कि उनका देश अन्य देशों की तुलना में अधिक उन्नतिशील बन जाये। उनके देश के साम्राज्य का विस्तार हो, परंतु इन सबके लिये अधिक उत्पादन की आवश्यकता थी, क्योंकि अब उन्नति का मार्ग बदल गया था। अब आर्थिक प्रगति के सहारे ही शक्ति सम्पन्न बना जा सकता था।

परिणामस्वरूप महान राष्ट्रों में व्यापारिक प्रतिस्पर्द्धा शुरू हो गई। इस दौङ में वही राष्ट्र आगे बढ सकता था, जो आगे बढ सकता था, जो अधिक उत्पादन करने में समर्थ हो। इंग्लैण्ड ने जो विशाल साम्राज्य खङा किया था, उसकी सफलता का एक प्रमुख कारण यही था।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

Online References :
https://www.sansarlochan.in/industrial-revolution-hindi/

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