इतिहासराजस्थान का इतिहास

गौरी शंकर हीराचंद ओझा कौन थे

गौरी शंकर हीराचंद ओझा – राजस्थान के इस सुप्रसिद्ध आधुनिक इतिहासकार का जन्म सिरोही राज्य के रोहिङा नामक ग्राम में 1863 ई. में हुआ था। अपने पिता के पास सिरोही में रहते हुये ओझाजी ने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद वे अपने बङे भाई के पास बम्बई चले गये और मिडिल तथा हाई स्कूल की परीक्षा पास की।

बम्बई से वापस आकर वे उदयपुर में बस गये, जहाँ तत्कालीन रेजीडेण्ट ने उन्हें सरकारी नौकरी में रख लिया था। ओझाजी को उदयुपर में एक संग्रहालय के निर्माण का काम सौंपा गया। ओझाजी ने बीस वर्ष तक उदयपुर में नौकरी की। इसके बाद वे अजमेर में नियुक्त राजस्थान के रेजीडेण्ट कर्नल अर्सकीन के संपर्क में आये।

अर्सकीन ने गौरी शंकर हीराचंद ओझा को अँग्रेजी सरकार की नौकरी देकर अजमेर बुला लिया। 1908 में उन्हें राजस्थान म्यूजियम का क्यूरेटर (अध्यक्ष) बना दिया गया। ओझाजी ने इस पद पर 30 वर्ष तक कार्य किया।

गौरी शंकर हीराचंद ओझा

1911 ई. में सर्वप्रथम गौरी शंकर हीराचंद ओझा का सिरोही राज्य का इतिहास प्रकाशित हुआ। इसके बाद उदयपुर, डूँगरपुर, बाँसवाङा तथा प्रतापगढ के गुहिल – सिसोदिया राज्यों का इतिहास लिखा। इसके बाद ओझाजी ने बीकानेर राज्य का इतिहास लिखा। फिर उन्होंने जोधपुर राज्य का इतिहास लिखना शुरू किया जिसकी केवल दो ही जिल्दें प्रकाशित हो पाई।

महाराजा मानसिंह के उत्तराधिकारियों का इतिहास वे पूरा नहीं कर पाये। कछवाहों तथा चौहानों के इतिहास की ओर भी वे ध्यान नदीं दे पाये। इसी प्रकार जैसलमेर, भरतपुर और अलवर, करौली तथा टोंक के इतिहास की ओर ओझाजी विशेष ध्यान नदीं दे पाये। फिर भी ओझाजी प्रथम पूर्ण राजस्थान के इतिहासकार हैं।

श्यामलदासजी ने उदयपुर का इतिहास लिखा और प्रसंगवश अन्य राज्यों का विवरण दिया। सूर्यमल्ल केवल बूँदी तक सीमित रहे और नैणसी जोधपुर के इतिहास की तरफ अधिक आकर्षित रहे, परंतु ओझाजी ने संपूर्ण राजस्थान के कलेवर को टटोलकर राजस्थान के इतिहास की रचना की थी।

गौरी शंकर हीराचंद ओझा सुप्रसिद्ध पुरात्त्ववेता थे। उन्हें लिपिमाला तथा स्थापत्य कला की विशेष जानकारी थी। इसीलिये उन्होंने शिलालेखों को विशेष महत्त्व दिया और अपनी रचनाओं में उनका काफी उपयोग भी किया।

उन्होंने स्वयं घूम-घूमकर तथा अन्य लोगों की सहायता से ऐतिहासिक सामग्री एकत्र करने में काफी परिश्रम किया। राजस्थान के इतिहासकार के रूप में उनकी ख्याति अमर रहेगी और शोधकर्त्ताओं को उनकी कृतियों से प्रेरणा मिलती रहेगी।

References :
1. पुस्तक - राजस्थान का इतिहास, लेखक- शर्मा व्यास
Online References
wikipedia : हीराचंद ओझा

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