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पेरिस की संधि (1856)

रूस-इंग्लिश दुनिया, पेरिस की संधि या 1856 की पेरिस की संधि – ऐसे नाम का एक दस्तावेज है, जिसमें 1853-1856 के क्रीमियन युद्ध को समाप्त कर दिया गया था।

पेरिस की संधि

25 फरवरी, 1856 को इंग्लैण्ड, फ्रांस, आस्ट्रिया, रूस, तुर्की और सार्डीनिया पीडमाण्ट के प्रतिनिधि संधि की शर्तों पर विचार विमर्श के लिये पेरिस में एकत्रित हुए। संधि के लिये आस्ट्रिया ने मध्यस्थता की। 30 मार्च, 1856 को सभी देशों ने एक संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसे पेरिस की संधि कहा जाता है। इस संधि में निम्नलिखित शर्तें रखी गई-

  • तुर्की को यूरोप की संयुक्त व्यवस्था में सम्मिलित कर लिया गया, जिससे उसकी गणना यूरोप के बङे राज्यों में होने लगी। सभी राष्ट्रों ने तुर्की की स्वतंत्रता व प्रादेशिक अखंडता को बनाए रखने की गारण्टी दी।
  • तुर्की के सुल्तान ने अपनी ईसाई प्रजा के हितों को ध्यान में रखते हुए उनकी स्थिति में सुधार करने का पुनः आश्वासन दिया, इसके बदले में यूरोप के सभी देशों ने तुर्की के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना स्वीकार किया।
  • काले सागर को तटस्थ क्षेत्र मान लिया, जहाँ किसी भी राष्ट्र के युद्धपोतों का प्रवेश निषिद्ध कर दिया गया। यह भी निश्चित किया गया कि रूस और तुर्की यहां अपने सैनिक अड्डे स्थापित नहीं करेंगे।
  • रूस और तुर्की ने एक दूसरे के जीते हुये प्रदेश वापस कर दिये। कार्स पर पुनः तुर्की तथा क्रीमिया पर रूस का अधिकार मान लिया गया। मोल्दाविया तथा वालेशिया पर रूस का संरक्षण समाप्त हो गया।
  • तुर्की के प्रभुत्व में सर्बिया की स्वतंत्रता स्वीकार कर ली गयी तथा यूरोपीय राज्यों ने उसकी स्वतंत्रता की गारंटी दी।
  • डेन्यूब नदी में सभी राज्यों को व्यापार करने का अधिकार दिया गया।
  • तुर्की साम्राज्य में रहने वाले ईसाइयों की सुरक्षा के अधिकार से रूस को वंचित कर दिया गया।

क्रीमिया का युद्ध 

जुलाई, 1853 से सितंबर, 1855 तक काला सागर के आसपास चला युद्ध था, जिसमें फ्रांस, ब्रिटेन, सारडीनिया, तुर्की ने एक तरफ तथा रूस ने दूसरी तरफ से लड़ा था। ‘क्रीमिया की लड़ाई’ को इतिहास के सर्वाधिक मूर्खतापूर्ण तथा अनिर्णायक युद्धों में से एक माना जाता है। युद्ध का कारण स्लाववादी राष्ट्रीयता की भावना थी। इसके अतिरिक्त दूसरी तरफ तुर्की के धार्मिक अत्याचार भी कारण बने, किंतु बेहद खून खराबे के बाद भी नतीजा कुछ भी नहीं निकला।

पेरिस की संधि

क्रीमिया युद्ध के कारण

  • ईसाई तीर्थ स्थानों का प्रश्न
  • रूस के जार का विरोध
  • रूसी राजदूत का तुर्की से पलायन
  • रूसी सेनाओं का तुर्की साम्राज्य में प्रवेश
  • वियना नोट
  • रूस और तुर्की का युद्ध
  • सिनोय का हत्याकाण्ड…अधिक जानकारी

पेरिस की संधि का उन्मूलन

रूसी-अंग्रेज़ी दुनिया को गोद लेने के बाद, रूस प्रतिबंध को नरम करने की कोशिश की, जिससे काला सागर वापस आ गया और बेड़े की क्षमता। यही कारण है कि इस समय कूटनीतिक संबंध बढ़ते हैं। 1856-1871 के वर्षों के दौरान साम्राज्य का फ्रांस के साथ अच्छे संबंध थे। यह रूस से ऑस्ट्रो-फ़्रांसीसी संघर्ष में सहायता प्राप्त करने की योजना बना रहा था, और बाद में उम्मीद की गई थी कि पूर्वी मुद्दे पर फ्रांस का प्रभाव होगा।

पेरिस सम्मेलन, जो 1863 तक चला।यह वर्ष, रूसी-फ्रेंच संबंधों में निर्णायक हो गया। ये देश बहुत करीब आ गए और संयुक्त रूप से कुछ मुद्दे हल किए । मार्च 1859 फ्रांस के लिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि एक गुप्त संधि निष्कर्ष निकाला गया था, जिसके अनुसार ऑस्ट्रिया के साथ युद्ध की स्थिति में साम्राज्य ने तटस्थ रहने का वादा किया था। पोलिश विद्रोह के दौरान संबंधों में गिरावट देखी गई। इन कार्यों के परिणामस्वरूप, रूस प्रशिया के साथ संबंध स्थापित कर रहा था।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

Online References
wikipedia : पेरिस की संधि (1856)

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