मौर्यकाल को जानने के लिये महत्त्वपूर्ण साहित्यिक स्रोत
मौर्यकाल के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिये साहित्यिक एवं पुरातात्विक स्रोत अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं, यहां पर हम साहित्यिक स्रोतों की जानकारी प्राप्त करेंगे।
प्राचीन भारतीय पुरातात्विक स्रोत।
बौद्ध साहित्य-
- महाबोधिवंश
- दीघनिकाय
- जातक कथा
- दीपवंश, महावंश – 9-10वी. शता. में इन पर टीका लिखी गई। (वंशत्थपकासिनी)
- दिव्यावदान (मौर्यत्तरकालीन रचना) – चीन, तिब्बत के भिक्षुओं द्वारा लिखित।
- लामा तारानाथ का विवरण
इन ग्रंथों से चंद्रगुप्त मौर्य, बिन्दुसार, अशोक तथा परवर्ती मौर्य शासकों के विषय में जानकारी मिलती है।
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जैन साहित्य-
- भद्रबाहु चरित-चंद्रगुप्त मौर्य के काल की जानकारी।
- पुण्यास्रावक कथाकोष एवं राजावलिकथा के अनुसार – चंद्रगुप्त ने भद्रबाहु से जैन धर्म की दीक्षा लेकर सन्यास ग्रहण किया। इन ग्रंथों से यह भी पता चलता है कि चंद्रगुप्त मौर्य ने संथारा (सल्लेखना) पद्दति से श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) में शरीर का त्याग किया था।
- भगवतीसूत्र – बिन्दुसार को जैन साहित्य में सिंहसेन कहा गया है।
- भद्रबाहु का कल्पसूत्र
- हेमचंद्र का परिशिष्टपर्वन्
इनसे चंद्रगुप्त मौर्य के जीवन की कुछ घटनाओं के विषय में जानकारी प्राप्त होती है।
ब्राह्मण साहित्य-
पुराण – वायुपुराण की रचना गुप्तकाल में हुई, लेकिन मौर्यकाल की भी जानकारी मिलती है। वायुपुराण के अनुसार बिन्दुसार को भद्रसार, अमित्रघात कहा गया है।
देशी साहित्य-
लौकिक साहित्य –
- मुद्राराक्षस (विशाखादत्त) में चंद्रगुप्त मौर्य को वृषल (कुलीन) कहा गया है। यह मौर्योतरकालीन ग्रंथ है।
- सोमदेव का कथासरितसागर।
- क्षेमेन्द्र का वृहत्कथामंजरी।
- तमिल कवियों की रचना- परनर, मामूलनर की रचनाएँ (दक्षिण भारत में मौर्य साम्राज्य के विस्तार की जानकारी मिलती है।)
अर्थशास्र – इसके लेखक को चाणक्य / कौटिल्य / विष्णुगुप्त नामों से जाना जाता है।
कौटिल्य एवं अर्थशास्र का विवरण।
विदेशी साहित्य-
इंडिका- मेगस्थनीज (304-299 ई.पू.)पाटलिपुत्र में रहा।मूलतः यह ग्रंथ अनुपलब्ध है। अतः समकालीन एवं परवर्ती यूनानी इतिहासकारों के विवरणों से इंडिका में लिखी गयी बातों की जानकारी मिलती है।
इंडिका एवं इसके लेखक मेगस्थनीज का विवरण।
यूनानी इतिहासकार –
स्ट्रेबो, डायोडोरस, प्लिनी, एरियन, प्लूटार्क, जस्टिन, फाह्मयान, ह्वेनसांग।
- स्ट्रेबो के अनुसार मेगस्थनीज का विवरण पूर्णतः असत्य एवं अकल्पनीय है।
- प्लूटार्क – प्लूटार्क ने लाइव्स नामक पुस्तक की रचना की। प्लूटार्क ने लाइव्स के 57 वें से 67 वें खंड में सिकंदर के भारत पर आक्रमण के अलावा चंद्रगुप्त मौर्य की कुछ घटनाओं का उल्लेख किया। चंद्रगुप्त घनानंद के विरुद्ध सहायता हेतु पंजाब में सिकदंर से मिला था। इसमें चंद्रगुप्त को सामान्य वर्ग का बताया गया है।
- जस्टिन – जस्टिन ने एपिटोम नामक पुस्तक की रचना की। इसमें सिकंदर के अभियान का उल्लेख किया गया है। चंद्रगुप्त मौर्य ने अपनी कुछ हरकतों से सिकंदर को नाराज कर दिया था।
- एरियन – इसने एनविसस नामक ग्रंथ की रचना की । एनविसस में सिकंदर की जीवनी लिखी है। इसके साथ ही चंद्रगुप्त मौर्य की घटनाओं का वर्णन भी मिलता है।
- प्लिनी की नेचुरल हिस्ट्री।
- टॉलमी की ज्योग्राफी।
- डियोडोरस ।
Note :
- सिकंदर चंद्रगुप्त मौर्य का समकालीन था।
- सिकंदर के समकालीन लेखक निर्याकस, आनेसिक्रिट्स, आरिस्टोकुलस।
- सिकंदर के बाद के लेखकों में मुख्य लेखक मेगस्थनीज है।
- चंद्रगुप्त मौर्य को यूनानी इतिहासकारों ने सेण्ड्रोकोट्स व एण्ड्रोकोटस कहा है।तथा चंद्रगुप्त मौर्य के साथ इन शब्दों का पता सबसे पहले विलियम जोन्स ने लगाया था।
- डेरियस का आक्रमण प्रथम विदेशी आक्रमण है।
Reference : https://www.indiaolddays.com/