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राष्ट्रसंघ व संयुक्त राष्ट्रसंघ की तुलना

राष्ट्रसंघ व संयुक्त राष्ट्रसंघ की तुलना

राष्ट्रसंघ व संयुक्त राष्ट्रसंघ – राष्ट्रसंघ और संयुक्त राष्ट्रसंघ की तुलना से यह प्रतीत होता है कि दोनों में अनेक समानताएँ तथा अंतर हैं। प्रोफेसर शूमा ने लिखा है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ पुराने राष्ट्रसंघ का ही परिवर्तित रूप है, किन्तु शूमा महोदय का यह कथन पूर्णतः सत्य नहीं कहा जा सकता।

यह सत्य है कि कुछ अंशों में संयुक्त राष्ट्रसंघ और राष्ट्रसंघ में बहुत ही कम मौलिक अंतर है, फिर भी संयुक्त राष्ट्रसंघ पुराने राष्ट्रसंघ की अपेक्षा अधिक उत्कृष्ट है।

कुछ अंशों में राष्ट्रसंघ की व्यवस्थाएँ अधिक स्पष्ट और सुदृढ थी, किन्तु अधिकांशतः संयुक्त राष्ट्रसंघ की व्यवस्थाएँ राष्ट्रसंघ की व्यवस्थाओं की अपेक्षा अधिक उत्कृष्ट हैं और इसीलिए यह संगठन राष्ट्रसंघ की अपेक्षा श्रेष्ठ संगठन है।

राष्ट्रसंघ व संयुक्त राष्ट्रसंघ

राष्ट्रसंघ व संयुक्त राष्ट्रसंघ में निम्नलिखित अंशों में समानताएँ पाई जाती हैं-

  • दोनों का उद्देश्य युद्ध की विभीषिका से मानव जाति को स्वतंत्र कराना है।
  • दोनों ही प्रभुसत्ता सम्पन्न स्वतंत्र राज्यों के संघ हैं।
  • दोनों सभी विवादों के निर्णय के सर्वोत्तम उपाय परस्पर बातचीत द्वारा समझौता करना समझते हैं।
  • दोनों के विभिन्न अंग लगभग एक से हैं। यद्यपि संयुक्त राष्ट्रसंघ कई विशेष अंगों से युक्त है तथापि मौलिक रूप से दोनों के मौलिक अंग एक जैसे हैं।
  • दोनों के क्षेत्राधिकार राज्य पर हैं, किसी को व्यक्ति से कोई मतलब नहीं है।
  • दोनों का काम सदस्य राज्यों द्वारा दिए जाने वाले अंशदानों पर निर्भर है।
  • दोनों की सफलता इसकी सत्ता और शक्ति पर नहीं अपितु सदस्यों के स्वेच्छापूर्वक दिए जाने वाले सहयोग पर निर्भर है।
  • सभी देशों में स्वास्थ्य सुधार, नशीली दवाइयों तथा स्रियों के अनैतिक व्यापार के विरोध के लिये सहयोग प्राप्त करने में दोनों संगठन बहुत साम्य रखते हैं।

इस प्रकार दोनों संगठनों में काफी अंशों में साम्यता दिखाई देती है, किन्तु यदि हम दोनों का तुलनात्मक अध्ययन करते हैं तो दोनों में अनेक अंतर भी स्पष्ट दिखाई देते हैं। इन दोनों के मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं

  • दोनों का प्रादुर्भाव विभिन्न प्रकार से हुआ। राष्ट्रसंघ की स्थापना युद्ध के बाद हुई थी जबकि संयुक्त राष्ट्रसंघ का जन्म युद्ध समाप्त होने से पूर्व हो चुका था। राष्ट्रसंघ की स्थापना 10 जनवरी 1920 को हुई तथा संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 24अक्टूबर 1945 को हुई थी।
  • दोनों के विधान के आकार में भी अंतर है। राष्ट्रसंघ के विधान में केवल 26धाराएँ थी, किन्तु संयुक्त राष्ट्रसंघ के चार्टर में 111 धाराएँ हैं।
  • दोनों के संगठन में भी अंतर है। राष्ट्रसंघ के मुख्य अंग केवल तीन थे – असेम्बली, सुरक्षा परिषद,आर्थिक और सामाजिक परिषद किन्तु संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रधान अंग छः हैं – महासभा,सुरक्षा परिषद,आर्थिक और सामाजिक परिषद,संरक्षण परिषद,अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, सचिवालय

इससे स्पष्ट होता है, कि राष्ट्रसंघ का प्रधान कार्य राजनीतिक क्षेत्र तक सीमित था, किन्तु संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रधान कार्य केवल राजनीतिक ही नहीं वरन् इनमें आर्थिक, सामाजिक, मानवीय तथा सांस्कृतिक विषयों को भी बहुत महत्त्व दिया गया है।

इस कार्य के लिये संयुक्त राष्ट्रसंघ में मानव व्यक्तित्व के विकास तथा व्यक्तियों के मानवीय अधिकारों के संरक्षण पर बहुत महत्त्व दिया गया है।

इस कार्य के लिये संयुक्त राष्ट्रसंघ के अन्तर्गत अनेक विशिष्ट समितियाँ हैं, किन्तु राष्ट्रसंघ में इनका अभाव था। संयुक्त राष्ट्रसंघ इस भावना पर आधारिक है कि युद्ध पहले मनुष्य के मन में उत्पन्न होता है, अतः शांति की आधारशिलाएँ मनुष्यों के मन में स्थापित की जानी चाहिए।

दोनों के उद्देश्यों में भी अंतर है। राष्ट्रसंघ का प्रतिज्ञा-पत्र इस वाक्य से आरंभ होता है – “अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहन देने तथा अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की प्राप्ति के लिए….” किन्तु संयुक्त राष्ट्रसंघ के चार्टर के प्रारंभ में कहा गया है, “भावी संतति को युद्ध की विभीषिका से मुक्त कराना”। इससे स्पष्ट है कि राष्ट्रसंघ अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग से शांति पर वल देता था जबकि संयुक्त राष्ट्रसंघ विश्व की शांति पर विशेष बल देता है।

राष्ट्रसंघ की तथा संयुक्त राष्ट्रसंघ की मतदान प्रणाली, राष्ट्रसंघ की प्रणाली से अच्छी है। राष्ट्रसंघ की असेम्बली में सभी निर्णयों के लिये उपस्थित तथा वोट देने वाले सदस्यों की सर्वसम्मति आवश्यक थी, किन्तु संयुक्त राष्ट्रसंघ की महासभा के सभी महत्त्वपूर्ण विषयों के निर्णय दो तिहाई बहुमत से किए जाते हैं।

राष्ट्रसंघ में सर्व सम्मति का नियम होने के कारण कोई भी सदस्य राष्ट्र उसके कार्य में बाधा उत्पन्न कर सकता था, किन्तु संयक्त राष्ट्रसंघ में ऐसी कोई बाधा उपस्थित नहीं की जा सकती।

संयुक्त राष्ट्रसंघ के चार्टर में महासभा और सुरक्षा परिषद के कार्यों का राष्ट्रसंघ की असेम्बली और कौंसिल के कार्यों की अपेक्षा अधिक स्पष्ट विभाजन है। राष्ट्रसंघ में इसका अभाव था, जिससे बङी अनिश्चितता और संदेह व्याप्त था और इस कारण राष्ट्रसंघ बङी निर्बल संस्था थी।

संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद एक स्थायी संस्था है और हर पखवारे में इसकी बैठक होती है, किन्तु राष्ट्रसंघ की परिषद के साथ ऐसी बात नहीं थी। उसकी बैठक वर्ष में केवल तीन बार होती थी। यदि आवश्यकता हो तो सुरक्षा परिषद की बैठक अविलम्ब बुलाई जा सकती है।

शांति भंग तथा आक्रमणों को रोकने के संबंध में संयुक्त राष्ट्रसंघ राष्ट्रसंघ की अपेक्षा निम्नलिखित कारणों से अधिक शक्तिशाली है-

i.)राष्ट्रसंघ आक्रमण होने पर ही उसे रोकने की कार्यवाही कर सकता था, किन्तु संयुक्त राष्ट्रसंघ शांति भंग होने की संभावना पर भी कार्यवाही कर सकता है।
ii.)राष्ट्रसंघ में शांति भंग करने वाले के विरुद्ध मुख्य रूप से आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाते थे, किन्तु संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद को स्थल, जल और वायु सेना के प्रयोग का भी अधिकार दिया गया है।

इस प्रकार की कार्यवाही करने के लिये इसके पास एक सैनिक स्टाफ समिति भी है, किन्तु राष्ट्रसंघ के पास संकट में प्रयुक्त की जा सकने वाली इस प्रकार की सेना नहीं थी।
iii.)शांति के लिये एकता के प्रस्ताव ने संयुक्त राष्ट्र की महासभा को भी सुरक्षा परिषद में वीटो के कारण गतिरोध होने पर शांति स्थापित करने के लिये सैनिक कार्यवाही करने का अधिकार प्रदान किया है, किन्तु राष्ट्रसंघ के प्रतिज्ञा-पत्र में ऐसी व्यवस्था नहीं थी।

संयुक्त राष्ट्रसंघ की संरक्षण व्यवस्था राष्ट्रसंघ की संरक्षण व्यवस्था से भिन्न और श्रेष्ठ है। इसी प्रकार संयुक्त राष्ट्रसंघ का महासचिव राष्ट्रसंघ के महासचिव से अधिक शक्तिशाली है।

घरेलू अधिकार क्षेत्र के संबंध में दोनों में मौलिक अंतर है। राष्ट्रसंघ के प्रतिज्ञा-पत्र और संयुक्त राष्ट्रसंघ के चार्टर, दोनों में यह व्यवस्था थी कि अन्तर्राष्ट्रीय संगठन सदस्य राज्यों के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी।

राष्ट्रसंघ में इस विषय पर निर्णय करने का अधिकार कि कौनसा मामला घरेलू है, सदस्य राज्यों पर नहीं छोङा गया था बल्कि इसका निर्णय कौंसिल करती थी, किन्तु संयुक्त राष्ट्रसंघ के चार्टर में प्रत्येक सदस्य राष्ट्र को इसका निर्णय कौंसिल करने की स्वतंत्रता है।

राष्ट्रसंघ का प्रतिज्ञा-पत्र वर्साय संधि तथा अन्य संधियों का अनिवार्य भाग था और इसका सबसे बङा उद्देश्य इन संधियों द्वारा की गयी व्यवस्था को बनाए रखना था, किन्तु संयुक्त राष्ट्रसंघ का संबंध पराजित राष्ट्रों पर थोपी गई ऐसी किसी संधि से नहीं है। संयुक्त राष्ट्रसंघ केवल मानव मात्र को युद्ध की विभीषिका से मुक्त कराने के दृढ-संकल्प का मूर्त रूप है।

आत्म रक्षा के अधिकार के संबंध में राष्ट्रसंघ के प्रतिज्ञा-पत्र में कोई बात स्पष्ट रूप से नहीं की गयी है, केवल धारा 15(7) में कुछ अस्पष्ट बातें कही गयी थी, किन्तु चार्टर की धारा 51 में संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा कार्यवाही करने से पूर्व आक्रमण का शिकार बने राज्यों को आत्मरक्षा का अधिकार बङे स्पष्ट शब्दों में दिया गया है।

धारा 52 के द्वारा शांति रक्षा तथा आत्मरक्षा के लिये सदस्य राष्ट्रों को प्रादेशिक संगठन बनाने का भी अधिकार दिया गया है। राष्ट्रसंघ के प्रतिज्ञा-पत्र में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी।

इस तुलनात्मक अध्ययन से यह स्पष्ट हो जाता है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ का संगठन उद्देश्य और कार्य प्रणाली राष्ट्रसंघ से अनेक अंशों में उत्कृष्ट एवं श्रेष्ठ है। संयुक्त राष्ट्रसंघ आज विश्व शांति का प्रतीक है।

महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर

प्रश्न : संयुक्त राष्ट्रसंघ के जन्म की कहानी का सूत्रपात होता है

उत्तर : रूजवेल्ट की चार स्वतंतत्रताओं से

प्रश्न : संयुक्त राष्ट्रसंघ के संविधान पर अंतिम स्वीकृति किस सम्मेलन में मिली

उत्तर : सेन फ्रांसिस्को सम्मेलन

प्रश्न : संयुक्त राष्ट्रसंघ का संविधान किस दिन से लागू हुआ

उत्तर : 24 अक्टूबर, 1945

प्रश्न : सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यों की संख्या में वृद्धि किस वर्ष में की गयी थी

उत्तर : 1965 ई. में

प्रश्न : अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय का केन्द्र किस नगर में है

उत्तर : हेग में

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

Online References
wikipedia : संयुक्त राष्ट्रसंघ

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