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रूसी क्रांति का तात्कालिक कारण

रूसी क्रांति का तात्कालिक कारण

रूसी क्रांति का तात्कालिक कारण (Immediate cause of the Russian Revolution)

1905 ई. में जापान द्वारा रूस की पराजय रूसी क्रांति का तात्कालिक कारण था। इसी प्रकार 1917 ई. की क्रांति का तात्कालिक कारण प्रथम विश्वयुद्ध में रूसी सेना की निरंतर पराजय तथा युद्ध से उत्पन्न समस्याऐं थी। बी. एच. समनर की मान्यता है कि यदि महायुद्ध न होता तो जारशाही का अंत भी न होता। रूसी सरकार ने एक करोङ पचास लाख सैनिक मोर्चे पर भेज दिये थे। लेकिन रूसी सेनाओं को बुरी तरह पराजय का सामना करना पङा।

प्रारंभिक वर्षों में ही रूस के 20 लाख सैनिक मारे गए। लगभग 25 लाख बंदी बना लिये गए। इस दुर्गति का कारण जार, जारीना तथा उसके उच्च अधिकारियों का युद्ध की कार्रवाईयों में अनुचित हस्तक्षेप और भ्रष्ट तथा अयोग्य नौकरशाही था। अंधाधुन्ध सेना में भर्ती किए जाने से खेतों में काम करने वालों की कमी हो गई। जिससे कृषि उत्पादन में कमी आ गयी। इससे न केवल नागरिकों बल्कि सेना के लिए भी खाद्य सामग्री की व्यवस्था करना कठिन हो गया।

अनाज, ईंधन तथा कपङे की भारी कमी हो गयी। दूसरी और मुनाफाखोरी, जमाखोरी, और भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई। जीवन यापन का खर्च 1914 ई. की तुलना में 700 गुना बढ गया। जनता ने इस स्थिति के लिए युद्ध को उत्तरदायी माना। रूस में युद्ध समाप्ति की मांग उठने लगी। लेकिन रूसी शासन युद्ध समाप्ति के पक्ष में नहीं था। अभावग्रस्त जनता ने ऐसी स्थिति में शासन को ही बदल देने का निश्चय कर लिया।

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