घरेलू नुस्खेचिकित्सा

हींग (हिंग्वाष्टक चूर्ण) से बना हुआ चूर्ण/Hingvashtak Churna

हिंग्वाष्टक चूर्ण (Hingvashtak Churna)- घी में भुनी हुई शुद्ध हींग तीन ग्राम, सोंठ, काली मिर्च, पीपल, जीरा, स्याह जीरा, अजवाइन, सेंधा नमक, काला नमक प्रत्येक 12-12 ग्राम। सबको मिलाकर कुट-पीसकर कपङछान करके चूर्ण बना लें। यह हिंग्वाष्टक चूर्ण उदर के समस्त विकारों – उदरशूल, गैस, अफारा, वात-विकार, कब्ज, अरुचि अथवा मंद्राग्नि को दूर करता है तथा जठराग्नि को प्रदीप्त करता है। इस चूर्ण की 2-3 ग्राम मात्रा छाछ या दही में मिलाकर या गरम पानी के साथ लेनी चाहिए।

हिंग्वाष्टक चूर्ण

होम्योपैथी में हींग से बनी औषधि ऐसाफिटिडा है। इसके मूलार्क के प्रयोग से निम्न लाभ होते हैं-

  • 10 बूँद, 1 चम्मच पानी में मिलाकर पीने से पेट दर्द, बदहजमी गैस ठीक होती है।
  • 10 बूँद गर्म पानी में लेने से सुप्रसव होता है।
  • दाँत में कीङे लगने पर इसे लगाएँ। दर्द ठीक हो जाएगा।
  • विषैले दंश – बिच्छू, ततैया के काटने पर मदर टिंचर लगाएँ।
  • आँखों के चारों तरफ व स्नायुओं में दर्द होने पर डॉ. की सलाह पर 6,30,200 मात्रा की दवा लें, फायदा मिलेगा।
  • गले में खराश, निमोनिया, हिस्टीरिया आदि में मदर टिंचर लाभप्रद है।
  • घाव भरने की मदर टिंचर में अद्भुत क्षमता है।

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