बादामी के चालुक्य वंश का शासक पुलकेशिन द्वितीय
चालुक्य वंश के शासकों में पुलकेशिन द्वितीय सर्वाधिक योग्य तथा शक्तिशाली शासक था। अपने चाचा मंगलेश तथा उसके समर्थकों की हत्या कर वह 609-10 ई. में वातापी के चालुक्य वंश की गद्दी पर बैठा। पुलकेशिन द्वितीय और मंगलेश के बीच होने वाले गृहयुद्ध के परिणामस्वरूप चालुक्य राज्य में चारों ओर अराजकता और अव्यवस्था फैल गयी। जिस समय पुलकेशिन द्वितीय राजा बना उसके चारों तरफ संकट के बादल मंडरा रहे थे।
वातापी के चालुक्य वंश के बारे में जानकारी के स्त्रोत
ऐहोल लेख में कहा गया है, कि जब पुलकेशिन ने मंगलेश का छत्र भंग किया, तब संसार अरिकुल के अंधकार से ढंक गया। स्थानीय सामंतों ने अपनी स्वाधीनता घोषित कर दी। यहाँ तक कि चालुक्य राज्य की राजधानी वातापी पर आप्पायिक तथा गोविन्द नामक दो शासकों ने आक्रमण करने की योजना बनाई और वे भीमरथी नदी के उत्तरी तट तक बढ गये। परंतु सौभाग्य से पुलकेशन द्वितीय में वे सभी गुण विद्यमान थे, जो तत्कालीन परिस्थितियोंसे निपटने के लिये आवश्यक होते। उसके सामने दो तात्कालिक उद्देश्य थे-
- अपने गृह-राज्य की बाहरी आक्रमणों से रक्षा करना।
- स्वाधीन हुए सामंतों को पुनः अपनी अधीनता में लाना।
पुलकेशिन ने अत्यन्त कुशलता के साथ इन दोनों ही उद्देश्यों को पूरा किया। उसने न केवल अपने पैतृक साम्राज्य में अपना नियंत्रण सुदृढ किया अपितु अनेकानेक विजयों के द्वारा उसका चतुर्दिक विस्तार भी किया।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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