इतिहासअमेरिका की क्रांतिविश्व का इतिहास

अमेरिका की क्रांति के परिणाम

अमेरिका की क्रांति के परिणाम

अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के दूरगामी परिणाम निकले। उपनिवेशों के हाथ से निकल जाने से वाणिज्य सिद्धांत (मर्केण्टाइल थ्योरी) का अंत हो गया और उसके स्थान पर एक नई नीति का विकास हुआ। वाणिज्यवादी सिद्धांत के अनुसार वही देश सबसे अधिक समृद्ध एवं शक्तिशाली समझा जाता है, जिसके पास मुद्रा के रूप में सबसे अधिक सोना और चाँदी हो।

जो देश आयात की अपेक्षा निर्यात अधिक करता था, उसके पास स्वाभाविक रुप से सोना-चाँदी का भंडार बढता जाता था। चूँकि सभी देश ऐसा ही चाहते थे, अतः उनमें आपसी प्रतिस्पर्द्धा बढती गई और अब तक जो लङाइयाँ लङी गई थी, उसके मूल में वाणिज्यवादी सिद्धांत ही थे। इन सिद्धांतों में बस्तियों का विशेष महत्त्व था।

मातृदेश यह मानते थे, कि बस्तियों को तैयार माल खरीदने तथा कच्चा माल देने के लिये विवश किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, बस्तियों का आर्थिक शोषण करना ही मुख्य ध्येय था। उपनिवेशों के छिन जाने के बाद बहुत से लोगों का मानना था, कि इससे इंग्लैण्ड के व्यापार वाणिज्य को जबरदस्त धक्का लगेगा, परंतु जब कुछ वर्षों बाद इंग्लैण्ड और संयुक्त राज्य अमेरिका में पहले से भी कहीं अधिक व्यापार होने लगा तो अधिकांश देशों की वाणिज्य सिद्धांत से आस्था जाती रही। स्वयं इंग्लैण्ड ने भी इस नीति को त्याग दिया।

उपनिवेशों के छिन जाने से इंग्लैण्ड को अपनी अन्य बस्तियों को बचाने की चिन्ता लग गई। इंग्लैण्ड के नेताओं ने यह स्पष्ट अनुभव कर लिया कि यदि शेष बस्तियों को अपने अधीन रखना है, तो उन्हें बस्तियों के शोषण की नीति छोङनी पङेगी, अतः इंग्लैण्ड को अपने उपनिवेशों के प्रति नीति को बदलना पङा। इस परिवर्तित नीति के आधार पर ही ब्रिटिश कामनवैल्थ ऑफ नेशन्स (ब्रिटिश राष्ट्रमंडल)का जन्म संभव हो पाया।

स्वतंत्रता संघर्ष के परिणामस्वरूप इंग्लैण्ड में जार्ज तृतीय के व्यक्तिगत शासन का अंत हो गया। उसके प्रधानमंत्री लार्ड नार्थ को अपना पद छोङना पङा, क्योंकि सारे देश में जार्ज नार्थ की निन्दा होने लगी थी और इस पराजय के लिये इन दोनों को उत्तरदायी माना गया। जार्ज तृतीय के पूर्व इंग्लैण्ड में वैधानिक शासन काफी प्रगति कर चुका था, परंतु जार्ज ने कुछ सफलता के बाद भूतपूर्व राजाओं द्वारा खोए गए अधिकारों को पुनः प्राप्त कर लिया था।

उपनिवेशों के हाथ से निकल जाने पर पुनः स्थिति बदल गई और संसद में राजा के अधिकारों को कम करने की जोरदार माँग उठने लगी। परिणामस्वरूप राजा की शक्तियों पर अंकुश लग गया और छोटे पिट के लिये रास्ता साफ हो गया, जिसने कैबिनेट की शक्ति को पुनः स्थापित किया। इस प्रकार, अमेरिका स्वतंत्रता संघर्ष ने ब्रिटिश संविधान की रक्षा की और इसी के परिणामस्वरूप राजा की शक्ति को नियंत्रण में रखा गया।

अमेरिकी स्वतंत्रता संघर्ष के परिणामस्वरूप संयुक्त राज्य अमेरिका का जन्म हुआ। नए गणराज्य में विविध क्षेत्रों में स्वतंत्र नीति का अनुसरण किया गया और समय के साथ-साथ वह विश्व की एक प्रमुख शक्ति बन गया। अमेरिका में बसे हजारों राजभक्त अंग्रेजों ने भी अमेरिका में रहना उचित नहीं समझा और वे अपने परिवारों सहित कनाडा में जा बसे। इससे इंग्लैण्ड के सामने एक नवीन समस्या उत्पन्न हो गयी,क्योंकि कनाडा में फ्रांसीसियों की संख्या अधिक थी।

इसके अलावा इंग्लैण्ड को एक अन्य समस्या का सामना भी करना पङा। अब तक वह अपने अपराधियों को अमेरिका निर्वासित कर दिता था। अब इस काम के लिये आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैण्ड को चुना गया। परिणामस्वरूप इन दोनों देशों का भी तेजी के साथ विकास होने लगा। स्वतंत्रता संघर्ष का आयरलैण्ड पर भी प्रभाव पङा।

फिलाडेल्फिया कांग्रेस की नकल करते हुये आयरिश लोगों ने भी इंग्लैण्ड से मुक्त होने का उपाय खोजने के लिये डून गेनन में एक कन्वेंशन बुलाई और ब्रिटिश सरकार के सामने अपना माँग-पत्र रखा। आयरिश लोग भी व्यापारिक प्रतिबंधों का अंत और स्वतंत्र आयरिश संसद की स्थापना करना चाहते थे। 1782 ई. में आयरिश लोगों की अधिकांश माँगें पूरी कर दी गयी।

अमेरिका के स्वतंत्रता संघर्ष ने फ्रांस को अत्यधिक प्रभावित किया। फ्रांस के हजारों सैनिकों और स्वयंसेवकों ने उपनिवेशियों के साथ मिलकर आजादी की लङाई में भाग लिया था। वहाँ उन्हें मालूम हुआ कि उपनिवेशी अपने राजनैतिक अधिकारों के लिये इंग्लैण्ड के निरंकुश शासन एवं शोषण के विरुद्ध लङ रहे हैं।

जब वे लोग वापस फ्रांस लौटे तो उन्होंने अनुभव किया कि यदि वे दूसरे लोगों को स्वतंत्रता प्राप्त कराने में सहायक हो सकते हैं, तो क्या वे अपने तथा अपने देशवासियों के लिये राजनैतिक अधिकार प्राप्त नहीं कर सकते ? क्या वे अपने देश को निरंकुश शासन से मुक्त नहीं करा सकते ? इस प्रकार के विचारों ने उनके दिमागों में क्रांति मचा दी है और जब फ्रांस में क्रांति की शुरुआत हुई तो उन लोगों ने क्रांति को सफल बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।

इस प्रकार, अमेरिकन क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया। यह ठीक है, कि अमेरिका के स्वतंत्रता संघर्ष में सहायता देने से फ्रांस की प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई थी, परंतु इससे फ्रांस की आर्थिक स्थिति लङखङा गई और यहाँ फ्रांसीसी क्रांति का श्रीगणेश हुई।

अमेरिकी क्रांति का महत्त्व

विश्व इतिहास में अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम का एक अपना महत्त्वपूर्ण स्थान है। लगभग आठ वर्षों तक लङे गये इस संघर्ष का सामरिक दृष्टि से विशेष महत्त्व नहीं है, क्योंकि दोनों ही पक्षों ने इस संघर्ष में अधिक स्फूर्ति तथा युद्ध कौशल का परिचय नहीं दिया, परंतु राजनैतिक दृष्टि से इस संघर्ष का अत्यधिक महत्त्वपूर्ण स्थान है। इंग्लैण्ड के निरंकुश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध अमेरिकन जनतंत्र की यह शानदार विजय थी।

यदि इंग्लैण्ड ने प्रतिनिधिसत्तात्मक प्रथा को जन्म दिया था तो अमेरिका के स्वतंत्रता संघर्ष के परिणामस्वरूप जनतंत्रतात्मक प्रथा को जन्म दिया था, जिसमें पहली बार सर्व-साधारण को मताधिकार प्राप्त हुआ। पहली बार सही अर्थों में आधुनिक ढंग से प्रजातंत्र की स्थापना हुई। इससे दूसरे देशों को भी प्रेरणा मिलती रही और अमेरिकी स्वतंत्रता संघर्ष उनके लिये एक प्रेरणादायक आदर्श बन गया।

निरंकुश और साम्राज्यवाद की शिकार जनता को एक नया सहारा मिल गया। आयरलैण्ड और फ्रांस के लोगों को इससे विशेष प्रेरणा मिली। फ्रांसीसी क्रांति के मुख्य सिद्धांतों- स्वतंत्रता, समानता और बन्धुत्व का मूल अमेरिकी संघर्ष में ही निहित है। इस संघर्ष से प्रेरणा पाकर दक्षिणी अमेरिका के लोग भी स्पेन तथा पुर्तगाल के शासन से मुक्त होने में सफल रहे। संघात्मक शासन पद्धति का प्रयोग एवं विकास भी इसी क्रांति की देन मानी जाती है।

लिखित संविधान का व्यवहार और धर्म तथा शासन का अलगाव भी इसी क्रांति की विशेषता है। इसके परिणास्वरूप इंग्लैण्ड की पुरानी औपनिवेशिक नीति और वाणिज्यवादी सिद्धांतों में महान परिवर्तन औया और कैबिनेट प्रथा का पुनः विकास हुआ। इस प्रकार प्रजातंत्र के विकास में अमेरिका के स्वतंत्रता संघर्ष का विशेष स्थान रहा है।

प्रश्न 1. सयुक्त राज्य अमेरिका में अंग्रेजों की पहली बस्ती का नाम क्या था

उत्तर – जेम्स टाउन

प्रश्न 2. स्टाम्प एक्ट का विरोध क्यों किया गया था

उत्तर – प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं की माँग के कारण

प्रश्न 3. अमेरिकी उपनिवेशों द्वारा स्वतंत्रता का घोषणा पत्र किस दिन स्वीकार किया गया था

उत्तर – 4 जुलाई, 1776 ई.

प्रश्न 4. किस युद्ध में लार्ड कार्नवालिस द्वारा आत्म समर्पण करने के साथ ही इंग्लैण्ड की पराजय सुनिश्चित हो गयी थी

उत्तर – यार्क टाउन

प्रश्न 5. अमेरिका की क्रांति के समय इंग्लैण्ड के सिंहासन पर कौन आरूढ था

उत्तर – जार्ज तृतीय

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

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