इतिहास1857 की-क्रांतिआधुनिक भारत

स्वतंत्रता संग्राम की महत्त्वपूर्ण तिथियाँ

स्वतंत्रता संग्राम की महत्त्वपूर्ण तिथियाँ

1857 का विद्रोह

29 मार्च, 1857 को सिपाही मंगल पाण्डे ने बैरकपुर (कलकत्ता में)अंग्रेजों की भावनात्मक तथा जन विरोधी नीतियों के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल बजाया तथा N.I.के एडजुटेंट लेफ्टिनेंट बाग(lt.Baugh)को गोली मार दी।

10 मई 1857 को मेरठ में सिपाहियों का विद्रोह

11-12 मई को विद्रोहियों ने दिल्ली पर अधिकार कर लिया तथा बूढे मुगल बादशाह बहादुर शाह द्वितीय को भारत का सम्राट घोषित कर दिया।

मई-जून 1857 में गंगा के मैदान, राजपूताना, मध्य भारत तथा बंगाल के भागों में विप्लव तथा विद्रोह का प्रसार। जुलाई 1857 में इन्दौर, सागर तथा पंजाब के कुछ भागों में सैनिक तथा असैनिक विद्रोह फूट पङे। सितंबर में अंग्रेजों ने पुनः दिल्ली पर अधिकार किया। दिसंबर में अंग्रेजों ने कानपुर पर पुनः अधिकार किया। अप्रैल में झांसी ने हथियार डाले। जुलाई-दिसंबर में विद्रोह समाप्त तथा भारत पर अंग्रेजी सत्ता पुनः स्थापित हुई।

1866 ई. में लंदन में दादा भाई नौरोजी ने ईस्ट इंडिया एसोसियशन स्थापित की। ताकि भारत की मुख्य समस्याओं को उजागर किया जा सके।

1867 में पूना (पुणे) में सार्वजनिक सभा गठित की गयी।

1869 में सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी ने आई.सी.एस. परीक्षा पास की थी।

पंजाब में कूका आंदोलन 1871-1872 – पंजाब में नामधारी सिक्खों ने (जिन्हें हम कूका भी कहते हैं) पंजाब में मुसलमानों द्वारा गोहत्या तथा अंग्रेजों की नीतियों के विरुद्ध आंदोलन किया। बाबा गुरु रामसिंह ने सरकार के विरुद्ध असहयोग का नारा दिया। सेवाओं, कचहरियों तथा पश्चिमी संस्कृति के विरुद्ध बाईकाट का बिगुल बजाया। 1872 में नामधारियों ने मलोध के दुर्ग पर जो लुधियाना के समीप है अधिकार कर लिया। अंग्रेजों ने एक बङी कार्यवाही की, जिसमें सैंकङों नामधारी मारे गये। बाबा गुरु रामसिंह को काले पानी भेज दिया।

10अप्रैल,1875 में स्वामी दयानंद ने बंबई में आर्य समाज की नींव डाली। मैडम बलावैट्सकी ने अमरीका में थियोसोफिकल सोसाइटी की नींव डाली।

सितंबर 1875 में कलकत्ता में इंडिया लीग गठित की गयी।

1876-78 में दक्षिण भारत में महान अकाल पङा।

8 जनवरी, 1877 में लार्ड लिटन ने अलीगढ में मुस्लिम एंगलो-ओरिएंटल कॉलेज की नींव डाली।

1878 में लार्ड लिटन ने भारतीय भाषा समाचार पत्र अधिनियम तथा भारतीय शस्त्र अधिनियम पारित किया। 1879 में लिटन की सरकार ने इंग्लैण्ड से आयात करने वाले सूती माल पर आयात कर हटाया।

1881ई. में तिलक महोदय ने केसरी तथा महरट्टा नामक पत्रिकाओं का प्रकाशन आरंभ किया।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में ह्यूम की भूमिका

ह्यूम 1849 में आई.सी.सी.एस. में भर्ती हुए। 1857 में वह इटावा (उत्तर प्रदेश) में जिला अधिकारी के रूप में कार्यरत थे। इस प्रदेश में लगभग100 असैनिक अंग्रेज अथवा उनके समर्थक मारे गये थे। ह्यूम के संबंध अपने सहयोगियों से कभी भी अच्छे नहीं थे। वे उसके अहंवाद तथा सनकी स्वभाव से दुःखी थे। लिटन, रिपन तथा डफरिन तक भी उसकी कार्यकुशलता पर शक करते थे। 1882 में वह एक दुःखी तथा कुंठित व्यक्ति के रूप में सेवा निवृत्त हुए। गोपाल कृष्ण गोखले तथा कई अन्य नेता उन्हें ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वास्तविक संस्थापक मानते हैं।

मार्च, 1883 ई. में ह्यूम ने कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्नातकों के नाम एक खुला पत्र लिखा।

1883-84 में इल्बर्ट बिल पर विवाद भङका।

मई,1884 ई. में मद्रास में महाजन सभा बनी।

दिसंबर,1884 में मद्रास के उपनगर अड्यार में थियोसोफिकल सोसाइटी ने अपना वार्षिक अधिवेशन बुलाया।

1887 में इण्डियन राष्ट्रीय सामाजिक कान्फ्रेंस बंबई में गठित की गयी।

अगस्त1888 में प्रिसिंपल बैक ने अलीगढ में यूनाईटिंड इंडियन पेट्रिआटिक एसोसिएशन स्थापित की।

30 नवंबर, 1888 में सेंट एण्ड्रयूज डे भोज में दिये गए भाषण में लार्ड डफ्रिन ने कांग्रेस को फटकारा।

जुलाई1889 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की लंदन में शाखा गठित की गयी। सम्मति आयु अधिनियम पारित किया गया, जिसके अनुसार 12 वर्ष से कम आयु की कन्याओं के विवाह पर रोक लगी।

1892 ई. में भारतीय परिषद अधिनियम पारित किया गया।

1893 ई. में मुस्लिम एंग्लो-ओरियंटल डिफेन्स एसोसिएशन ऑफ अपर इंडिया का अलीगढ में गठन किया गया।

15 मार्च, 1895 ई. में तिलक ने शिवाजी त्योंहार को राष्ट्रीय त्योंहार के रूप में मनाया।

1896 – 97 में महान अकाल पङा, जिससे भारत के लगभग सभी क्षेत्र प्रभावित हुये।

1897 में बंबई और पूना में प्लेग का प्रकोप।

22जून, 1897 में चापेकर बंधुओं ने प्लेग आयुक्त श्री रैण्ड तथा लैफ्टिनेन्ट एयर्स्ट की पूना में हत्या कर दी।

1898 में सर सैयद अहमद की मृत्यु।

1899-1900 में भारत में एक और महा विनाशकारी अकाल पङा।

1900 में श्री वी.डी. सावरकर ने नासिक में मित्र मेला गठित किया।

1902 में श्रीमती भीखाजी सुस्तम कामा भारत छोङकर पेरिस चली गयी।

1902 में स्वामी श्रद्धानंद ने हरिद्वार में गुरुकुल कांगङी की नींव रखी।

18 फरवरी, 1905 में श्यामजी कृष्ण वर्मा ने भारत की स्वतंत्रता के लिये कार्य करने के उद्देश्य से लंदन में इण्डिया हाउस स्थापित किया।

20 जुलाई, 1905 में सरकार ने बंग विभाजन का प्रस्ताव प्रकाशित किया।

7 अगस्त 1905 में कलकत्ता के टाउन हाल में हुई सभा में विदेशी माल के बहिष्कार तथा स्वदेशी माल के अपनाने का प्रस्ताव पारित किया गया।

1अक्टूबर, 1906 में लार्ड मिण्टो ने आगा खां के नेतृत्व में मुस्लिम शिष्ट मंडल से बातचीत की।

31 दिसंबर, 1906 में ढाका में मुस्लिम लीग गठित की गयी।

9 मई, 1907 में लाला लाजपत राय तथा सरदार अजीत सिंह को माण्डले में निष्कासित किया गया।

दिसंबर, 1907 में सूरत अधिवेशन में कांग्रेस में उदारवादी एवं उग्रवादी दल में विभाजन हुआ।

8 जून, 1908 को समाचार पत्र (हिंसा के लिये-प्रेरणा) अधिनियम पारित किया तथा विस्फोटक पदार्थ अधिनियम पारित किया।

22 जुलाई, 1908 को तिलक महोदय को राजद्रोह फैलाने के लिये छः वर्ष के कङे कारावास की सजा दी गयी।

दिसंबर 1908 में क्रांतिकारी नेता अश्वनी कुमार दत्त सहित आठ अन्य व्यक्ति काला पानी भेजे गए।

11 दिसंबर, 1908 में दंड विधान (संशोधन)विधेयक पारित हुआ।

1909 में मद्रास में दलित उद्धार सोसाइटी बनी।

21 मई, 1909 में भारतीय परिषद अधिनियम पारित हुआ।

1 जुलाई, 1909 में मदनलाल ढींगरा ने लंदन में कर्जन वाइली की हत्या की।

1910 में श्री अरविन्द घोष पाण्डिचेरी चले गये थे।

12 दिसंबर, 1911में जार्ज पंचम के सम्मान में दिल्ली दरबार हुआ। राजधानी के कलकत्ता से दिल्ली स्थानान्तरण होने की घोषणा की गयी।

23 दिसंबर, 1912 को लार्ड हार्डिंग पर दिल्ली में राजयात्रा के समय बम मारा गया।

14 मार्च, 1913 में महात्मा गांधी ने दक्षिणी अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किया।

नवंबर, 1913 में अमरीका में गदर दल का गठन हुआ।

30 जून, 1914 में दक्षिणी अफ्रीका में भारतीय राहत अधिनियम पारित किया गया।

4 अगस्त, 1914 को प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हुआ।

29 सितंबर, 1914 को कलकत्ता के समीप कामागटा मारु घटना हुई।

1915 में जर्मनी में भारतीय स्वतंत्रता समिति का गठन हुआ।

जनवरी, 1915 में गांधीजी दक्षिणी अफ्रीका से लौटे।

19 फरवरी, 1915 में गोपालकृष्ण गोखले की मृत्यु।

जून, 1915 में रास बिहारी बोस जापान भाग गए।

नवंबर, 1915 में फिरोजशाह मेहता की मृत्यु।

1916 में मुहम्मद अली और शौकत अली बंदी बनाए गये।

होम रूल आंदोलन

28 अप्रैल, 1916 में तिलक ने होम रूल लीग बनाई।

1 सितंबर, 1916 में मिसेज एनी बेसेंट ने एक अन्य होमरूल लीग गठित की। दोनों होमरूल लीगें, अलग-अलग अस्तित्व रखते हुये भी तालमेल से काम करती थी। ये भारतीयों के लिये होमरूल अथवा स्व-राज मांगती थी अर्थात् जनता द्वारा चुनी विधान परिषदें तथा एसी कार्यकारिणी जो विधान परिषदों के प्रति उत्तरदायी हो।

सरकार ने कठोर नीति अपनाई। पहले जुलाई 16 के तिलक महोदय को बंदी बनाया और फिर एनी बेसेंट को बंदी बनाया। होमरूल आंदोलन ने राष्ट्रीय आंदोलन को एक व्यापक आधार दिया। इस आंदोलन में स्त्रियां भी भाग लेने लगी थी।

दिसंबर, 1916 में कांग्रेस-लीग का लखनऊ समझौता, उदारवादियों तथा उग्रवादियों का पुनर्मिलन।

18 अप्रैल, 1917 में चंपारन सत्याग्रह में गांधी जी गिरफ्तार किये गये।

जुलाई, 1917 में लॉर्ड मोन्टेग्यू नए भारत के सचिव बने।

20 अगस्त, 1917 में कॉमन्स सभा में, भारत में उत्तरदायी सरकार के विषय में वक्तव्य दिया गया।

10 दिसंबर, 1917 में क्रांतिकारी गतिविधियों के विषय में रपट देने के लिये भारत सरकार ने रौलट समिति गठित की।

1918 में भारतीयों को सेना में राज-आयोग के योग्य घोषित किया गया।

अप्रैल 1918 में रौलट समिति ने अपनी रपट प्रस्तुत की।

6 फरवरी, 1919 को सरकार ने केन्द्रीय विधान सभा में रौलट विधेयक प्रस्तुत किया।

24 अप्रैल, 1919 को गांधीजी ने सत्याग्रह सभा गठित की।

6 अप्रैल, 1919 को रौलट अधिनियमों के विरोध में अखिल भारतीय हङताल का आह्वान।

9 अप्रैल, 1919 को अमृतसर से डा. किचलू निष्कासित किये गये।

10 अप्रैल, 1919 को लाहौर तथा अमृतसर में रौलट अधिनियम हङताल के संबंध में गोली चली।

11 अप्रैल, 1919 को ब्रिगेडियर – जनरल डायर को अमृतसर का सैनिक कमाण्डर नियुक्त किया गया।

13 अप्रैल, 1919 को जलियाँवाला हत्या कांड हुआ।

15-24 अप्रैल, 1919 को पंजाब में अमृतसर तथा अन्य जिलों में मार्शल लॉ लगा दिया गया।

7 जून, 1919 को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने पंजाब की घटनाओं की जांच के लिये एक समिति बनाई।

अक्टूबर, 1919 को वाइसराय ने पंजाब की घटनाओं की जांच के लिये हंटर समिति नियुक्त की।

23 दिसंबर, 1919 को भारत सरकार अधिनियम पारित किया गया।

28 मई, 1920 को हण्टर समिति रपट प्रकाशित हुई।

1अगस्त, 1920 को बालगंगाधर तिलक की मृत्यु हुई।

1अगस्त, 1920 को अखिल भारतीय खिलाफत समिति ने महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में अखिल भारतीय हङताल का प्रबंध किया।

असहयोग आंदोलन

20 दिसंबर, 1920 को कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन ने असहयोग आंदोलन की नीति का समर्थन किया। कांग्रेस ने स्वराज का कार्यक्रम अपनाया ताकि सरकार पर दबाव बढ सके।

सरकारी उपाधियां तथा सम्मान इत्यादि लौटा दिये जायें।

सरकारी समारोहों तथा दरबारों का बहिष्कार किया जाये।

त्रिकोणीय बहिष्कार किया गया – केन्द्रीय तथा प्रांतीय विधानसभाओं का, सरकारी विद्यालयों का, विदेशी माल का।

1921 में गांधीजी ने कैसर-ए-हिन्द की उपाधि सरकार को लौटा दी।

कांग्रेसियों ने सरकार द्वारा आयोजित चुनावों का बहिष्कार किया, सरकारी न्यायालयों तथा विद्यालयों का भी बहिष्कार किया गया। विदेशी माल, विशेषकर कपङों की बङे-नगरों में होली जलाई गयी। बंगाल-आसाम रेलवे पर हङताल का बहुत प्रभाव हुआ।

1 जनवरी, 1921 को भारत सरकार अधिनियम (1919) लागू हुआ।

10 जनवरी, 1921 में ड्यूक ऑफ कॅनॉट नवीन संविधान के उद्घाटन के लिये भारत आए। इस यात्रा के विरुद्ध प्रदर्शन हुए तथा बहिष्कार किया गया।

अगस्त 1921 में माप्पिला (मोपला) विद्रोह किया गया।

17 नवंबर, 1921 में राजकुमार वेल्ज बंबई पहुंचे। कांग्रेस ने आम हङताल तथा विरोध का आह्वान किया।

5 फरवरी, 1922 में चौरीचौरा घटनाएं – लोगों ने पुलिस के सिपाहियों तथा अफसरों को जला डाला।

11-12 फरवरी, कांग्रेस कार्यकारिणी की बारदोली में बैठक तथा असहयोग आंदोलन समाप्त कर दिया गया। असहयोग आंदोलन अपने स्वराज के स्वप्न को पूरा नहीं कर सका परंतु इसका एक अच्छा प्रभाव यह हुआ, कि राष्ट्रीय आंदोलन का सामाजिक आधार बहुत बढ गया, क्योंकि अब कृषक, कामगार, स्त्रियां तथा विद्यार्थी भी स्वतंत्रता आंदोलन से जुङ गये।

मार्च, 1923 को स्वराज दल का गठन किया गया। तथा इसी समय सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी ने मंत्री के रूप में 1899 के कलकत्ता नगरपालिका अधिनियम को संशोधित किया।

अगस्त, 1923 को हिन्दू महासभा ने बनारस में अपना अधिवेशन किया।

1924 में भारतीय साम्यवादी दल ने भारत में अपना कार्यक्रम आरंभ किया।

4 फरवरी, 1924 को गांधीजी को स्वास्थ्य के आधार पर मुक्त किया गया।

16 जून, 1925 को सी.आर.दास की मृत्यु।

9 अगस्त, 1925 को काकोरी में रेल लूटी गयी।

11-22 अगस्त, 1925 को श्री वी.जे. पटेल, केन्द्रीय विधान सभा के प्रथम अध्यक्ष बनाए गये।

1926 में व्यापार संघ अधिनियम पारित हुआ।

26 दिसंबर, 1926 को स्वामी श्रद्धानंद की एक मुस्लिम ने हत्या कर दी।

8 नवम्बर, 1927 को साइमन आयोग की नुयुक्ति हुई।

3 फरवरी, 1928 को साइमन आयोग बंबई पहुँचा। सर्व श्वेत आयोग के विरुद्ध पूर्ण हङताल की गयी।

28-31 अगस्त, 1928 को सर्व दलीय कान्फ्रेंस ने नेहरू समिति पर विचार विमर्श किया।

सितंबर, 1928 को हिन्दूस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन किया गया।

20 मार्च, 1929 में साम्यवादी दल के सदस्यों की गिरफ्तारी तथा मेरठ षङयंत्र केस आरंभ हुआ।

29 मार्च, 1929 में जिन्नाह ने अपनी 14 मांगें प्रस्तुत की।

8 अप्रैल 1929 में भगतसिंह तथा दत्त ने केन्द्रीय विधान सभा में बम फेंके।

13 सितंबर, 1929 में जतिनदास लाहौर षङयंत्र केस में फंसे, उन्होंने 64 दिन की भूख हङताल के उपरान्त प्राण त्याग दिये।

31 अक्टूबर,1929 में वाइसराय लार्ड इर्विन ने घोषणा की कि औपनिवेशिक स्तर ही भारतीय संवैधानिक सुधारों का अंतिम उद्देश्य है।

31 दिसंबर, 1929 में लाहौर में कांग्रेस का अधिवेशन में घोषणा की गई कि पूर्ण स्वराज्य ही हमारा ध्येय है।

सविनय अवज्ञा आंदोलन

1920-22 में असहयोग आंदोलन द्वारा सरकार पर सभी प्रकार का सहयोग समाप्त करके उस पर दबाव डालने का प्रयत्न किया गया, ताकि उसके प्रशासन को ठप्प किया जा सके। परंतु इस सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य सरकार के काम में बाधा डालना था। सरकारी कानून तोङे जाएं, कर ने दिये जाए तथा गिरफ्तारियां दी जाएं।

1 जनवरी, 1930 में जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया।

26 जनवरी, 1930 में सभी राष्ट्रवादियों ने स्वतंत्रता दिवस की शपथ ली।

14 फरवरी, 1930 में कांग्रेस कार्यकारिणी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया।

12 मार्च, 1930 को गांधी जी ने दांडी समुद्र तट की ओर प्रस्थान किया।

5 अप्रैल, 1930 को गांधी जी तथा उनके सहयोगी दांडी पहुँचे।

6 अप्रैल, 1930 में गांधी जी ने अवैध नमक बनाने के उद्देश्य से समुद्री जल को उबालना आरंभ किया।

18 अप्रैल, 1930 को बंगाल के क्रांतिकारी सूर्य सेन ने चटगांव शस्त्रागार पर छापा मारा तथा स्वतंत्र भारत की अस्थाई सरकार गठित की।

7 जून, 1930 साइमन आयोग रपट प्रकाशित हुई।

12-19 नवंबर, 1930 लंदन में प्रथम गोलमेज कान्फ्रेंस का अधिवेशन हुआ।

5 मार्च, 1931 में गांधी-इर्विन समझौते पर हस्ताक्षर हुए। सविनय अवज्ञा आंदोलन निलम्बित किया गया।

7 सितंबर से 1 दिसंबर, 1931 तक लंदन में द्वितीय गोलमेज कान्फ्रेंस हुई।

16 अगस्त, 1932 को अंग्रेजी प्रधानमंत्री श्री रैम्जे मैक्डोनल्ड ने साम्प्रदायिक निर्णय की घोषणा की, जिसमें दलित जातियों के लिये भी अलग चुनाव क्षेत्र निर्धारित किये गये थे।

24 सितंबर, 1932 को पूना समझौते के अन्तर्गत साम्प्रदायिक निर्णय का निषेध हुआ तथा दलित वर्ग हिन्दू जाति का ही अंग बना रहा।

7-24 नवम्बर, 1932 को लंदन में हुई तीसरी गोल मेज कान्फ्रेंस में भारतीय संवैधानिक प्रश्न पर विचार विमर्श हुआ।

मई, 1934 में कांग्रेस द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन वापिस लिया गया। सविनय अवज्ञा आंदोलन भी अपना उद्देश्य (पूर्ण स्वराज्य) पूरा नहीं कर सका, परंतु स्थान-स्थान पर चले सरकारी दमन चक्र से लोगों में अत्यधिक जाग्रति आई और इन आंदोलन में भाग लेने वालों की संख्या बहुत बढ गई। दूसरे इस आंदोलन से कांग्रेस गांधी बन गई तथा गांधी कांग्रेस।

अक्टूबर, 1934 में अखिल भारतीय सोशलिस्ट पार्टी का गठन हुआ।

जुलाई, 1935 में केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के विद्यार्थी रहमत अली ने मुसलमानों के लिये एक अलग प्रदेश पाकिस्तान का सुझाव दिया। एक लघु पुस्तिका प्रकाशित की।

4 अगस्त, 1935 को भारत सरकार अधिनियम 1935 पर राजकीय हस्ताक्षर हुए।

7 जुलाई, 1937 को कांग्रेस कार्यकारिणी ने कांग्रेसियों को प्रान्तीय सरकारों में पद ग्रहण करने की अनुमति दी।

19 फरवरी, 1938 को सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये।

15 नवंबर, 1938 को मुस्लिम लीग ने मीरपुर रपट जारी की, जिसमें कांग्रेस को मुसलमानों के विरुद्ध पक्षपात का दोषी ठहराया।

जनवरी, 1939 में सुभाषचंद्र बोस, गांधी जी के विरोध करने पर भी पुनः कांग्रेस अध्यक्ष चुने गये।

29 अप्रैल, 1939 को सुभाषचंद्र बोस ने गांधी जी के विरोध पर त्याग पत्र दिया।

1 सितंबर, 1939 को जर्मनी ने पोलैण्ड पर आक्रमण किया तथा दूसरा विश्व युद्ध आरंभ हुआ।

17 अक्टूबर, 1939 को भारतीय वाइसराय लिनलिथगो की घोषणा – अंग्रेजी राज का उद्देश्य भारत को औपनिवेशिक दर्जा देना है।

27 अक्टूबर से 15 नवंबर 1939 तक लोकप्रिय कांग्रेसी मंत्रीमंडलों ने युद्ध के प्रश्न पर त्याग पत्र दिये।

22 दिसंबर, 1939 में मुस्लिम लीग ने लाहौर अधिवेशन के त्याग पत्र देने पर मुक्ति दिवस का समारोह मनाया।

1940 में मुस्लिम लीग ने लाहौर अधिवेशन में पाकिस्तान प्रस्ताव पारित किया।

10 मई, 1940 में चर्चिल इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री बने।

2 जुलाई 1940 को सुभाषचंद्र बोस भारत सुरक्षा अधिनियमों के अधीन नजरबंद किये गये।

10 अगस्त, 1940 को अंग्रेजी नीति के संबंध में वाइसराय द्वारा अगस्त प्रस्ताव प्रस्तुत किये गये।

18-22 अगस्त, 1940 को कांग्रेस कार्यकारिणी ने अगस्त प्रस्ताव अस्वीकार कर दिये।

17 अक्टूबर, 1940 को कांग्रेस ने व्यक्तिगत सविनय अवज्ञा आंदोलन की अनुमति दी। 25,000 लोगों ने गिरफ्तारी दी।

28 मार्च, 1941 में सुभाषचंद्र बोस भाग कर बर्लिन पहुँचे।

9 सितंबर, 1941 को चर्चिल ने घोषणा की कि एटलाण्टिक चार्टर, भारत पर लागू नहीं होगा।

7 दिसंबर, 1941 को जापान ने अमरीका के प्रसिद्ध नौसेना अड्डे पर्ल हार्बर पर बमबारी की।

8 दिसंबर, 1941 को इंग्लैण्ड ने जापान के विरुद्ध युद्ध घोषित कर दिया।

15 फरवरी, 1942 को जापान ने सिंगापुर तथा रंगून जीता, अंग्रेजों की 40,000 सेना ने जापान के समक्ष शस्त्र डाल दिये।

23 मार्च, 1942 को सर स्टेफर्ड क्रिप्स ने नवीन संवैधानिक प्रस्ताव प्रस्तुत किए।

28-30 मार्च, 1942 को रास बिहारी बोस ने टोकियो में भारतीयों की सभा बुलाई।

6 अप्रैल, 1942 में भारत पर जापान ने प्रथम वायु आक्रमण किया।

10 अप्रैल, 1942 को कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग ने क्रिप्स प्रस्ताव अस्वीकार कर दिये।

14 जुलाई, 1942 को कांग्रेस कार्यकारिणी ने भारत छोङो प्रस्ताव पारित किया तथा इस प्रस्ताव में यह घोषणा की गई था कि भारत में ब्रिटिश शासन की तत्काल समाप्ति भारत में स्वतंत्रता तथा लोकतंत्र की स्थापना के लिये अत्यंत आवश्यक हो गई है।

23 जुलाई, 1942 को भारतीय साम्यवादी दल वैध घोषित कर दिया गया।

अगस्त, 1942 में बर्मा में 40,000 भारतीय युद्ध बंदी कैप्टिन मोहन सिंह के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय सेना में सम्मिलित हो गये।

9 अगस्त, 1942 को गांधी तथा अन्य प्रमुख कांग्रेसी नेता बंदी बनाए गये।

11 अगस्त, 1942 को लोकप्रिय आंदोलन (भारत छोङो)आरंभ हुआ।

1 सितंबर, 1942 को औपचारिक रूप से भारतीय राष्ट्रीय सेना गठित हुई।

2 जुलाई, 1943 को सुभाषचंद्र बोस ने स्वतंत्र भारत की अस्थाई सरकार की स्थापना की घोषणा की।

6 नवंबर, 1943 को जापान ने इस स्वतंत्र की सरकार को अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह सौंप दिये।

दिसंबर, 1943 को मुस्लिम लीग के कराची अधिवेशन में बांटो और छोङो प्रस्ताव पारित किया।

19 मार्च, 1944 को भारतीय राष्ट्रीय सेना ने असम क्षेत्र में तिरंगा फहराया।

22 मार्च, 1944 को जापानी सेना की अग्रिम टुकङियां मणिपुर पहुंची।

7 जून, 1944 को जापानी सेना कोहिमा से पीछे हटी।

1945 को इंग्लैण्ड के आम चुनाव में श्रमिक दल को विजय मिली।

7 मई, 1945 को जर्मनी ने मित्र सेना के सम्मुख बिना शर्त शस्त्र डाल दिये।

14 जून, 1945 को लार्ड वेवल ने वाइसराय की कार्यकारिणी के पुनर्गठन के लिये शिमला सम्मेलन बुलाया।

6 अगस्त, 1945 को अमरीकी वायुसेना ने हीरोशिमा एवं नागासाकी पर अणु बम गिराए।

10 अगस्त, 1945 को जापान ने बिना शर्त रखे शस्त्र डाल दिये।

18 अगस्त, 1945 को सुभाषचंद्र बोस फामौसा के ताइपी नगर पहुंचे।

9 दिसंबर, 1945 को भारतीय केन्द्रीय विधान सभा के लिये आम चुनाव हुए।

18 फरवरी, 1946 को भारतीयों के प्रति भेदभाव की नीति के कारण भारतीय नौसेना में विद्रोह हो गया।

16 मई, 1946 को मंत्रिमंडलीय शिष्ट मंडल ने अपने प्रस्ताव घोषित किये।

6 जुलाई, 1946 को जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस अध्यक्ष बने।

6 अगस्त, 1946 को वाइसराय ने जवाहरलाल नेहरू को अन्तरिम सरकार बनाने के लिये आमंत्रित किया।

16 अगस्त, 1946 को मुस्लिम लीग ने सीधी कार्यवाही आरंभ की।

2 सितंबर, 1946 को भारतीय अंतरिम सरकार ने अपने पद संभाले।

13 अक्टूबर, 1946 मुस्लिम लीग अंतरिम सरकार में सम्मिलित हुई।

9 दिसंबर, 1946 संविधान सभा का अधिवेशन, उद्देश्यों का प्रस्ताव रखा गया।

31 जनवरी, 1947 को मुस्लिम लीग ने मंत्री मंडलीय योजना अस्वीकार कर दी।

20 फरवरी, 1947 को प्रधानमंत्री एटली ने घोषणा की कि अंग्रेज जून 1948 तक भारत छोङ देंगे।

24 मार्च, 1947 को लार्ड माउंटबैटन भारत के वाइसराय बने।

जून 1947 देश में स्थान-स्थान पर दंगे भङके।

3 जून, 1947 को लार्ड माउंटबेटन ने भारत के बंटवारे की घोषणा की।

10 जून, 1947 को मुस्लिम लीग ने जून 3 की योजना स्वीकार की।

14 जून, 1947 कांग्रेस ने भी जून 3 की योजना स्वीकार कर ली।

4 जुलाई, 1947 को अंग्रेजी संसद में भारतीय स्वतंत्रता विधेयक प्रस्तुत किया गया।

18 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम को शाही स्वीकृति मिली।

14 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान बना।

15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ।

Reference Books :
1. पुस्तक – आधुनिक भारत का इतिहास, लेखक – बी.एल.ग्रोवर, अलका मेहता, यशपाल

  

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