आधुनिक भारतइतिहास

मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार क्या था

1909 ई. के सुधारों से भारतीयों की क्षुधा शांत नहीं हो सकी। भारत में राजनैतिक असंतोष दिन-प्रतिदिन बढता गया, जिसके फलस्वरूप देश में क्रांतिकारी और आतंकवादी क्रियायें बढ गई।

1910 ई. में भारतीय प्रेस एक्ट(Indian press act) पारित करके समाचार -पत्रों की स्वतंत्रता को कुचल दिया। 1911 ई. में राजद्रोह सभा अधिनियम पास करके सरकार ने सभाएँ करने पर रोक लगा दी।

राष्ट्रवादी आंदोलनों का दमन करने के लिए 1913 ई. में फौजदारी संशोधन अधिनियम पारित किया गया। किन्तु इस दमन नीति के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय आंदोलन और अधिक तीव्र हो गया।

इस असंतोषपूर्ण वातावरण में प्रथम विश्वयुद्ध(First world war) आरंभ हो गया। मित्र राष्ट्रों ने घोषणा की कि वे जनतंत्र की रक्षार्थ युद्ध लङ रहे हैं। अतः भारतीयों ने तन-मन और धन से अंग्रेज सरकार को सहायता दी, क्योंकि उन्हें युद्ध के बाद स्वराज्य प्राप्ति की आशा थी।

किन्तु ब्रिटिश सरकार ने चुप्पी साध ली।अतः भारतीयों को विवश होकर होम रूल आंदोलन आरंभ करना पङा।यद्यपि इस आंदोलन को दबाने का प्रयास किया गया, लेकिन लोगों में उत्पन्न जागृति को नहीं दबाया जा सका।

अतः विवश होकर भारत सचिव मांटेग्यू(Montague) ने 20 अगस्त,1917 ई. को ब्रिटिश संसद में घोषणा की कि ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत भारत में उत्तरदायी शासन स्थापित करना सरकार का चरम लक्ष्य है। इसकी क्रमिक पूर्ति के लिए स्वायत्त शासन की संस्थाओं का उत्तरोत्तर विकास किया जाये और भारतीयों को प्रशासन में साझीदार बनाया जाये।

इस घोषणा के बाद मांटेग्यू नवंबर,1917 को दिल्ली आया तथा गवर्नर-जनरल चेम्सफोर्ड (Chelmsford)के साथ देश का दौरा किया। मांटेग्यू ने भारतीय सेनाओं से भी विचार-विमर्श किया। तत्पश्चात् एक रिपोर्ट तैयार की गई, जिसे मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड रिपोर्ट कहते हैं। 8 जुलाई, 1918 को यह रिपोर्ट प्रकाशित कर दी गई।

मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड(Montague-Chelmsford) रिपोर्ट की पाँच बातें निम्नलिखित थी-

  1. जहाँ तक संभव हो, स्थानीय संस्थाओं पर जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों का नियंत्रण हो, सरकार का कम से कम नियंत्रण हो।
  2. प्रांतों में उत्तरदायी सरकार स्थापित कर दी जाये और प्रांतों को पहले की अपेक्षा अधिक शक्तियाँ दी जाये।
  3. भारत सरकार की ब्रिटिश संसद के प्रति जिम्मेदारी ज्यों की त्यों बनी रहेगी, किन्तु केन्द्रीय विधान परिषद् का विस्तार कर दिया जाय, ताकि यह भारत सरकार को पहले से अधिक प्रभावित कर सके।
  4. भारत सरकार पर भारत सचिव का नियंत्रण कुछ ढीला कर दिया जाय।
  5. सिक्ख,ईसाई और एंग्लो-इंडियन्स को भी अलग प्रतिनिधित्व दिया जाये।

इस रिपोर्ट के आधार पर ब्रिटिश संसद में एक विधेयक प्रस्तुत किया गया जिसे 1919 में पारित किया गया। इसे भारत सरकार अधिनियम,1919 अथवा मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार अधिनियम कहते हैं। इस अधिनियम को 1921 में कार्यान्वित किया गया।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

Related Articles

error: Content is protected !!