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जलियाँवाला बाग हत्याकांड क्या था इन हिन्दी

महात्मा गाँधी(Mahatma Gandhi) की गिरफ्तारी की खबर सारे देश में बिजली की तरह फैल गई। अमृतसर(Amritsar) में भी उत्तेजना फैल गई।जनता के असंतोष को व्यक्त न होने देने के लिए 9अप्रैल,1919 को अमृतसर के दो लोकप्रिय नेताओं-डॉ.सत्यपाल और डॉ.किचलू को गिरफ्तार कर अज्ञात स्थान पर भेज दिया गया।

इससे अमृतसर में उत्तेजना फैल गई और भीङ ने अपने नेताओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट की कोठी की तरफ बढना शुरू किया।

सैनिक अधिकारियों ने भीङ को रोकने का प्रयास किया और न रुकने पर गोली चला दी।फलस्वरूप दो व्यक्ति मारे गये। भीङ ने मरे हुए व्यक्तियों को कंधों पर डालकर जुलूस निकाला।

मार्ग में भीङ ने नेशनल बैंक(National bank) के भवन में आग लगा दी। भीङ ने एक यूरोपियन मैनेजर की हत्या कर दी।भीङ ने कुल पाँच अंग्रेजों की हत्या कर दी और कुछ भवनों में आग लगा दी। 10अप्रैल, 1919 को ब्रिगेडियर जनरल डायर (General Dyer)उपद्रवों पर नियंत्रण करने के लिए अमृतसर पहुँचा तथा 12 अप्रैल से लोगों को धङाधङ बंदी बनाने लगा।

13 अप्रैल,1919 को वैशाखी के दिन अमृतसर के स्वर्ण मन्दिर(Golden temple) के निकट जलियाँवाला बाग(Jallianwala Bagh) में एक सभा का आयोजन किया गया। जनरल डायर ने इस सभा को गैर-कानूनी घोषित कर दिया, किन्तु सभा पर प्रतिबंध लगाने का नोटिस नगर में अच्छी तरह नहीं घुमाया गया।

इस सभा में हजारों लोग इकट्ठे हो गये। जब लोग इकट्ठे हो गये, तब जनरल डायर 200 भारतीय और 50 अंग्रेज सैनिकों को लेकर जलियाँवाला बाग में पहुँचा।

डायर अपने साथ मशीनगन भी ले गया था, किन्तु वह इस मशीनगन को अंदर नहीं ले जा सका। क्योंकि जलियाँवाला बाग में एक ही रास्ता था और वह भी इतना तंग कि मशीनगन अंदर नहीं जा सकती थी।

सभा में लगभग आठ -दस हजार व्यक्ति उपस्थित थे और सभा की कार्यवाही पूर्णतः शांतिपूर्वक चल रही थी।इसमें केवल डॉ.सत्यपाल,डॉ.किचलू और गाँधीजी की रिहाई की माँग की जा रही थी । तथा रॉलेट एक्ट का विरोध हो रहा था।

जनरल डायर ने बिना चेतावनी दिये भीङ पर 1650 गोलियाँ चलाई। तथा उसने गोली चलाना तभी बंद किया, जब उसका गोला-बारूद समाप्त हो गया।

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार इस गोलीकांड में 400 व्यक्ति मारे गये। इस हत्याकांड से समस्त देश में असंतोष और घृणा फैल गई।

हंटर समिति( hantar samiti )

सरकार और काँग्रेस ने अलग-2 इस कांड की जाँच के लिए समितियाँ नियुक्त की।सरकार की ओर से हंटर समिति (Hunter Committee)नियुक्त की गई।

हंटर कमेटी के सामने बयान देते हुए जनरल डायर ने स्वीकार किया कि उसने लोगों को तितर-बितर होने का आदेश दिया, किन्तु उस आदेश को देने के बाद दो या तीन मिनट में गोली चला दी।

हंटर समिति के एक सदस्य न्यायाधीश रैकिन ने जब डायर से पूछा- जनरल क्षमा करना, क्या यह एक आतंक का रूप नहीं था ? जनरल डायर ने उत्तर दिया – नहीं, यह भयानक कर्त्तव्य था जो मुझे पूरा करना पङा। मैंने सोचा कि मुझे गोलियाँ अच्छी तरह और खूब चलानी चाहिये, ताकि और किसी व्यक्ति को दुबारा गोली चलाने की आवश्यकता न पङे।

अंग्रेज सरकार के ये अत्याचार अमृतसर नगर तक ही सीमित नहीं थे। लाहौर,गुजरावाला,कसूर तथा अन्य स्थानों पर भी ऐसे अत्याचार किये गये, जो खून को जमाने वाले थे।

जहाँ भीङ देखते ही उन पर गोली चला दी जाती, हवाई जहाज से बम गिराकर लोगों को मारा गया और भागते हुए लोगों के पीछे मशीनगनें छोङी गई।

मार्शल-लॉ ( maarshal-lo )

मार्शल लॉ में अमृतसर के निवासियों पर कैसी बीती,इसका उत्तर उन आज्ञाओं से मिल जायेगा जो सैनिक अधिकारियों की तरफ से वहाँ प्रचारित की गई थी। उनमें से कुछ आज्ञाएँ इस प्रकार थी-

  • जिस बाजार में शेरवुड पर आघात हुआ था, उसमें बेत मारने के लिये टिकटिकी लगा दी गई और यह आदेश दिया गया कि उसमें से जो भी भारतवासी गुजरे वह पेट के बल रेंग कर जायेगा, खङा होकर नहीं।
  • आज्ञा दी गई कि प्रत्येक भारतवासी को चाहिए कि जब अंग्रेज अफसर समक्ष आये तो उसे सलाम करें।
  • जरा-जरा सी बात पर बेंट लगाई जाती थी। कई बेचारे बेंत खाते-2 बेहोश हो जाते थे।
  • शहर में सभी वकीलों को स्पेशल कांस्टेंबल बनाकर दिन-रात काम लिया जाता था।
  • गिरफ्तारी,हथकङी, बिना खिलाये-पिलाये किले में जेल की कोठरी में बंद कर देना आदि तो साधारण दंड माने जाते थे।
  • सब अदालतों को भंग कर दिया गया।
  • मार्शल-लॉ के उल्लंघन के आरोप में 300 व्यक्तियों को बंदी बनाया गया, इनमें से 15 व्यक्तियों को मृत्युदंड तथा 6 को जीवनभर का देश निर्वासन और कैद की सजा दी गयी।

हंटर समिति की रिपोर्ट

मार्च, 1920 में हंटर समिति ने अपनी रिपोर्ट दे दी।

इसमें सरकारी अधिकारियों के दृष्टिकोण को ठीक सिद्ध किया गया। जनरल डायर को केवल इतना दंड दिया गया कि उसे नौकरी से अलग कर दिया गया।

परंतु इंग्लैण्ड के समाचार-पत्रों ने उसे ब्रिटिश साम्राज्य का रक्षक घोषित किया गया। जनता ने उसके गुजारे के लिए चंदा इकट्ठा किया। मान की तलवार तथा 2,000 पौण्ड भेंट किये। इन सब बातों ने राष्ट्रवादियों के जले हुए ह्रदय पर नमक का काम किया।

कांग्रेस ने पंजाब के परिवारों को आर्थिक सहायता देने की माँग की। सरकार ने इस माँग की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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