प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति के प्रमुख स्थल भाजा
महाराष्ट्र प्रान्त के पुणे जिले (पूना) में मलवणी स्टेशन के समीप स्थित भाजा की पहाड़ी पर गुफाओं को काटकर चैत्य एवं विहार बनाये गये हैं। ईसा पूर्व द्वितीय शताब्दी के आरम्भ में यह स्थान बौद्ध-वास्तु का प्रमुख केन्द्र बना। यहाँ से एक विहार, एक चैत्य तथा 14 स्तूपों के उदाहरण प्राप्त होते है। भाजा के विहार का मुखमण्डल 17.5 फीट लम्बा है। इसके भीतरी मण्डप के तीनों ओर भिक्षुओं के निवास के लिये कोठरियाँ बनी है। विहार के भीतर अंकित दो दृश्य प्रसिद्ध है।
प्रथम में दो सेविकाओं के साथ रथ पर सवार पुरुष तथा द्वितीय में हाथी पर सेवक के साथ सवार पुरूष का अंकन है। इन्हें सूर्य तथा चन्द्र की मूर्तियाँ माना गया है। चैत्यशाला 55’X26′ के आकार की है। मण्डप में लगाये गये स्तम्भों पर श्रीवत्स, त्रिरत्न, नन्दिपद आदि मांगलिक प्रतीकों का अंकन है। चैत्यशाला से थाड़ी दूरी पर 14 छोटे-बड़े स्तूप है। स्तूपों के अण्ड के ऊपरी भाग पर बनी वेदिका पर सुन्दर अलंकरण मिलता है।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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