इतिहासमध्यकालीन भारतविदेशी यात्री

एडवर्ड टैरी कौन था?

एडवर्ड टैरी (1616-1619ई.) – एडवर्ड टैरी, सर टॉमस रो का पादरी था। वह टॉमस रो के साथ ही जहाँगीर के काल में भारत आया। 1617 ई. में वह थामस रो के साथ मांडू और फिर वहाँ से अहमदाबाद चला गया। अपने विवरण में उसने कई शहरों का उल्लेख किया है। किन्तु मालवा व गुजरात का उल्लेख विशेष रूप से किया है। मुल्तान का वर्णन करते हुए उसने लिखा है कि वहाँ अच्छे तीर कमान बनते थे। सींगो से कमानो को अच्छी प्रकार जोङा जाता था। तीर सरकंडो तथा बेंत से बनाये जाते थे। इतने सुन्दर तीर कमान भारत में और कहीं नहीं बनते ते। मांडू में उसे जहाँगीर को देखने का अवसर मिला। टेरी ने जहाँगीर के व्यक्तित्व में क्रूरता और विनम्रता के अदभुत विरोधाभास के संदर्भ में लिखा है कि पादशाह कभी न्यायप्रिय और दयालु लगता था तो कभी उसमें भयानक क्रूरता भी देखने को मिलती थी, वह दो विपरीत गुणों का मिश्रण था। वह अपने माँ का बहुत आदर करता था और उसके प्रति कर्त्तव्यनिष्ठ रहता था। बादशाह अकबर के विषय में उसने यह भी लिखा है कि पादशाह भले ही कहीं भी स्थित हो, उसके लिए गंगा-जल की व्यवस्था की जाती थी। गंगा का पानी लाने के लिये अलग से कर्मचारी नियुक्त थे। गंगाजल सुंदर तांबे के बर्तनों में लाया जाता था। तांबे के घङों के अंदर कलई की हुई होती थी और पानी भरने के बाद जल-वाहकों को देने से पूर्व उन्हें अच्छी तरह से टाँका लगाकर बंद कर दिया जाता था।

इसके अलावा उसने तत्कालीन समय में प्रचलित सिक्कों के आकार प्रकार तथा मूल्यों के बारे में भी विवरण दिया है। उसके अनुसार यहाँ के सिक्के दुनिया की किसी भी देश के सिक्कों से शुद्ध होते हैं। सिक्का रुपया कहलाता था उसने गुजरात में प्रचलित महमूदी नामक सिक्के का भी उल्लेख किया है जिसका मूल्य दो पैन्स के लगभग था। भारत में चाँदी के आमद के विषय में लिखा है कि जैसे सारी नदियाँ पानी ले जाकर सागर में उंडेल देती है, उसी तरह चाँदी के अनेक स्त्रोत चाँदी लाकर शाही खजाने में डाल देते हैं, जो बाद में वहीं ठहर जाती थी।

इसके अलावा उसने मुगल छावनी व सैनिकों के अस्त्र-शस्त्रों का वर्णन किया है। उसके अनुसार लोगों की भाषा अरबी और फारस शब्दों से युक्त थी जिसे हिन्दवीं कहा जाता था। राजदरबार की भाषा फारसी थी और विद्वानों की भाषा अरबी थी।

References :
1. पुस्तक - मध्यकालीन भारत, लेखक- एस.के.पाण्डे 

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