मध्यकालीन भारतअकबरइतिहासमुगल काल

अकबर का साम्राज्य विस्तार कहाँ से कहाँ तक था

अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य-

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साम्राज्य विस्तार के संदर्भ में अकबर ने सबसे पहला आक्रमण 1561ई.में मालवा के शासक बाज बहादुर के ऊपर किया।इस युद्ध में बाज बहादुर की पत्नी रूपमती ने जहर खाकर अपने सतीत्व की रक्षा की थी। बाज बहादुर और रूपमती की समाधि उज्जैन में है।

1561ई. में ही अकबर ने चुनार का किला भी जीता था। 1564ई. में अकबर ने गोंडवाना के गढकटंगा राज्य को जीता जिसकी राजधानी जबलपुर के पास स्थित चौरागढ थी और इसकी शासिका महोबा की चंदेल राजकुमारी दुर्गावती थी। गढकटंगा के प्रसिद्ध हिन्दू राज्य की स्थापना अमान दास ने की थी। गढकटंगा राज्य को बाद में संग्रामशाह के छोटे पुत्र चंद्रशाह को लौटा दिया गया था।

अकबर ने इसके बाद राजपूताने को जीतने का प्रयास किया। और इसके सिलसिले में उसने सबसे पहले आमेर को वैवाहिक संबंधों द्वारा मिलाया।आमेर का शासक भारमल (बिहारीमल) पहला राजपूत राजा था। जिसने स्वेच्छा से अकबर की अधीनता स्वीकार की थी।1562ई. में जब अकबर अजमेर में मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर जियारत करने गया था तो मार्ग में राजा भारमल ने उससे मिलकर अपनी पुत्री हरखा बाई से विवाह का प्रस्ताव रखा।

1567ई. में अकबर ने चितौङ के किले का घेरा डाला। उदय सिंह ने सामंतों की सलाह पर किले का भार जयमल और फत्ता(फतेसिंह) को सौंपकर जंगलों में छिप गया था। चित्तौङगढ का किला मध्य राजस्थान का प्रवेश द्वार माना जाता था। चित्तौङ गढ के किले में हुआ कत्लेआम ऐसा पहला और अंतिम अवसर था,जब अकबर ने ऐसा कत्लेआम करवाया था। जो अकबर के नाम पर एक बङा धब्बा है। अकबर जयमल और फत्ता की वीरता से इतना प्रभावित हुआ कि इन दोनों वीरों की हाथी पर सवार प्रतिमा को आगरे के किले के मुख्यद्वार पर स्थापित करवाया था। अकबर ने चित्तौङ विजय के उपलक्ष्य में फतहनामा जारी किया था।

1572ई. में अकबर द्वारा गुजरात पर आक्रमण किया जिसका कारण – इसकी समृद्ध एवं विश्व व्यापार का प्रमुखतम् केन्द्र स्थल होना था। अपने गुजरात अभियान के दौरान ही अकबर ने पहली बार समुद्र के दर्शन किये । तथा पहली बार पुर्तगाली व्यापारियों से भेंट की थी। स्मिथ महोदय ने 1573ई. में गुजरात के द्वितीय अभियान को “ऐतिहासिक द्रुतगामी आक्रमण कहा है।”

अकबर ने अपने गुजरात विजय की स्मृति में राजधानी फतेहपुर सिकरी में एक बुलंद दरवाजा बनवाया था। 1576ई. में अकबर ने दाउद खाँ को पराजित कर उत्तर भारत से अंतिम अफगान शासन का अंत कर दिया। अकबर ने 1581ई. में काबुल पर अधिकार करके अपनी सौतेली बहन (एवं काबुल के सासक हाकिम मिर्जा की बहन) बख्तुन्निसा को काबुल का गर्वनर  बना दिया।यह पहला अवसर था जब किसी भारतीय शासक ने काबुल के ऐतिहासिक नगर में कदम रखा था।

मुख्य बिन्दु-

कंधार प्रांत भी सर्वप्रथम अकबर के समय में 1559ई. में मुगल आधिपत्य में आया था। 1581ई. का वर्ष अकबर के शासन काल का सर्वाधिक संकट का वर्ष था।

अकबर की दक्षिण विजय-

  • अकबर की दक्षिण नीति मूलरूप से साम्राज्यवादी थी।
  • अकबर ने दक्षिण के राज्यों में खानदेश,अहमदनगर,एवं असीरगढ को जीता था।
  • खानदेश एक प्रकार से दक्षिण का प्रवेश द्वार माना जाता था।
  • अकबर ने 1600ई. में अहमदनगर पर अधिकार कर लिया।
  • अकबर ने अहमदनगर के बहादुरशाह (चाँदबीबी संरक्षिका) से संधि के फलस्वरूप बरार का प्रदेश तथा बहुत ही भेंट प्राप्त की इसी युद्ध के दौरान मुगल सर्वप्रथम मराठों  के संपर्क में आये।
  • 1601ई. में अकबर ने अपने अंतिम आक्रमण में असीरगढ के किले को जीता, कहा जाता है कि अकबर ने असीरगढ का किला सोने की कुंजियों से खोला था।

अकबर के समय के विद्रोह-

  • अकबर के समय में 1564ई. उजबेकों ने विद्रोहों कर दिया। यह अकबर के समय का पहला विद्रोह था।
  • 1586ई. में अफगान बलूचियों ने विद्रोह कर दिया। इसी विद्रोह के दौरान बीरबल की मृत्यु हुई थी।
  • 1599ई.में शाहजादा सलीम ने पुर्तगालियों के साथ षङयंत्र कर विद्रोह कर दिया तथा इलाहाबाद में अपने को स्वतंत्र बादशाह घोषित कर दिया।
  • सलीम के ही इशारे पर ओरछा के बुंदेला सरदार वीरसिंह देव ने अबुलफजल की हत्या कर दी थी।
  • इस प्रकार 25अक्टूंबर 1605ई. को पेचिश से परेशान अकबर की मृत्यु हो गयी।
  • अकबर ने गुजरात को जीतने के बाद रादजा टोढरमल को लगान व्यवस्था का उत्तरदायित्व सौंप दिया था।
  • कर्नल टाड ने उदयसिंह के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा है कि– मेवाङ के लिए यह कितना अच्छा होता, यदि वहाँ का इतिहास अपने राजाओं की सूचि में उदय सिंह का नाम कभी अंकित न करता।
  • 1576ई. में हल्दी घाटी के युद्ध में अफगान सरदार हाकिम खाँ राणा की ओर से लङा था।
  • हल्दी घाटी के युद्ध के बाद राणा ने छावंद(चाँवड) को अपनी राजधानी बनाया तथा अकबर के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध जारी रखा।
  • अहमदनगर के विरुद्ध युद्ध में खानदेश का शासक अली खाँ मुगलों की ओर से लङा था।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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