अलाउद्दीन खिलजीइतिहासखिलजी वंशदिल्ली सल्तनतमध्यकालीन भारत

देवगिरि पर अलाउद्दीन खिलजी का तीसरा आक्रमण (1312-1313ई.)

1296 में, अलाउद्दीन खिलजी (तब अली गुरशस्प के नाम से जाना जाता था) ने भारत के दक्कन क्षेत्र में यादव साम्राज्य की राजधानी देवगिरी पर छापा मारा । उस समय, अलाउद्दीन दिल्ली सल्तनत में कारा का राज्यपाल था, जिस पर जलालुद्दीन खिलजी का शासन था । अलाउद्दीन ने देवगिरी तक अपने मार्च को जलालुद्दीन से गुप्त रखा, क्योंकि वह इस छापे से प्राप्त धन का उपयोग सुल्तान को गद्दी से हटाने के लिए करना चाहता था।

देवगिरी पर अलाउद्दीन

अलाउद्दीन खिलजी का विजय अभियान

देवगिरि पर अलाउद्दीन खिलजी का तीसरा आक्रमण – सन् 1312 में अलाउद्दीन के निष्ठावान मित्र रामचंद्र देव का देहांत हो गया। उसका पुत्र सिंघण देव उत्तराधिकारी बना। परंतु जब से तुर्कों ने दक्षिण में प्रवेश किया था वह उनका घोर शत्रु रहा। उसकी मंगेतर देवल रानी के छिन जाने से भी उसमें व्यक्तिगत द्वेष उत्पन्न हुआ। इस अपमान ने उसके ह्रदय में शत्रुता की आग फिर से प्रज्ज्वलित कर दी। उसने सिंहासनारूढ होते ही सल्तनत की अधीनता के सब लक्षण समाप्त कर दिए और स्वतंत्र शासक की भाँति कार्य करने लगा। इसी समय तेलंगाना के राजा प्रताप रुद्र देव ने आग्रह किया कि वह मलिक काफूर को कर वसूल करने के लिये दक्षिण भेज दें। सोच-समझकर मलिक काफूर को ही सिंघण को दबाने के लिये भेजा गया। वह मार्ग के राजाओं को कुचलते हुए देवगिरि पहुँचा। सिंघण पराजित हुआ और युद्ध में मारा गया। इसामी का यह कहना संदेहजनक प्रतीत होता है कि सिंघण ने बिना युद्ध किये देवगिरि खाली कर दिया क्योंकि जब तक मलिक नायब दक्षिण में रहा सिंघण के बारे में कुछ जानकारी नहीं रही। इसके बाद काफूर ने तेलंगाना और होयसल राज्यों के आसपास नगरों पर आक्रमण करके दक्षिण के निवासियों में आतंक उत्पन्न कर दिया जिससे दिल्ली शासन के प्रति विरोध के अंतिम अवशेष भी समाप्त हो गए। मलिक नायब ने अपना मुख्यालय देवगिरि स्थापित किया। मलिक ने तेलंगाना कर्नाटक रियासतों से कुछ वर्षों का कर राजधानी भेजा। वह 1314 ई. तक दक्षिण में रहा फिर अलाउद्दीन द्वारा दिल्ली बुलवा लिया गया। रामचंद्र के दामाद हरपाल देव को देवगिरि का शासक नियुक्त कर दिया गया।

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