प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति के प्रमुख स्थल एरण (एरकिण)
मध्य प्रदेश के सागर जिले में यह स्थान स्थित है। इसका एक प्राचीन नाम एरकिण भी मिलता है। गुप्त राजाओं के काल में यह एक महत्वपूर्ण नगर था। यहाँ से कई लेख तथा सिक्के मिलते हैं। लेख समुद्रगुप्त की वीरता, ऐश्वर्य आदि पर प्रकाश डालता है। समुन्द्रगुप्त के पुत्र रामगुप्त के कई सिक्के यहाँ से मिले है जो उसकी ऐतिहासिकता पर प्रकाश डालते हैं। बुधगप्त तथा भानुगुप्त के समय के लेख भी एरण से मिलते है।
भानुगुप्तकालीन लेख (510 ई.) में उसके सामन्त गोपराज का उल्लेख है जो हूणों के साथ युद्ध में मारा गया और उसकी पत्नी सती हो गई थी। सती प्रथा के प्रचलन का यह प्रथम अभिलेखीय प्रमाण है। हूण नरेश तोरमाण के समय का एक लेख भी यहाँ से मिलता है, जो वाराह प्रतिमा पर अंकित है। इसे पता चलता है कि तोरमाण ने यह स्थान जीत लिया था तथा धन्यविष्णु उसके सामन्त के रूप में यहाँ शासन करता था।
एरण में सागर विश्वविद्यालय के तत्वावधान में व्यापक पैमाने पर खुदाईयाँ हुई है जिनसे ऐतिहासिक महत्व की अनेक वस्तुएँ प्राप्त की गयी हैं।
एरण से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारी
एरण का अभिलेख किसका है?
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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