इतिहासप्राचीन भारत

आर्यों का भारत आगमन

आर्यों का भारत आगमन

मैक्समूलर के अनुसार भारत एवं ईरान के मध्य अवस्थित मध्य एशिया क्षेत्र से निकलकर एक शाखा यूरोप, दूसरी शाखा ईरान एवं तीसरी शाखा भारत में बसी। भारत में जो शाखा आई थी वह शाखा अफगानिस्तान से होते हुये हिन्दूकुश पर्वत को पार करके सप्तसिंधु क्षेत्र आये तथा यहीं पर ये लोग बस गये थे।

आर्यों की प्रशासनिक इकाई आरोही क्रम से पाँच भागों में बँटी थी – कुल, ग्राम, विश, जन राष्ट्र।

ग्राम का मुखिया ग्रामिणी एवं विश का प्रधान विशपति कहलाता था। जन के शासक को राजन कहा जाता था।

आर्य सर्वप्रथम पंजाब एवं अफगानिस्तान में बसे थे। मैक्समूलर ने आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया को माना है।

आर्यों द्वारा निर्मित सभ्यता वैदिक सभ्यता कहलाई।

आर्यों द्वारा विकसित सभ्यता ग्रामीण सभ्यता थी। आर्यों की भाषा संस्कृत थी।

आर्य कौन थे

इंडो – आर्यन भाषा बोलने वाले लोग उत्तर- पश्चिमी पहाड़ों से आये थे तथा पंजाब के उत्तर पश्चिम में बस गए तथा बाद में गंगा के मैदानीय इलाकों में जहाँ इन्हे आर्यन् या इंडो- आर्यन् के नाम से जाना गया | ये लोग इंडो- ईरानी, इंडो- यूरोपीय या संस्कृत भाषा बोलते थे। आर्यन की उत्पत्ति के बारे में सही जानकारी नहीं है, इस पर अलग अलग विद्वानो के अलग विचार हैं। ये कहा गया है कि आर्यन्स अल्प्स के पूर्व( यूरेशिया), मध्य एशिया, आर्कटिक क्षेत्र, जर्मनी तथा दक्षिणी रूस में रहे।

अतः हम कह सकते हैं, कि आर्यन उन लोगों को कहा जाता था, जो प्राचीन इंडो-युरोपियन भाषा बोलते थे और जो प्राचीन ईरान और उत्तर भारतीय महाद्वीपों में बसने की सोचते थे। जहाँ पर आर्य बसे वह स्थान सप्त सैंधव प्रदेश कहलाया। इस सप्त सैंधव प्रदेश में सात नदियाँ आती हैं, जो वैदिककाल थी, जिनके नाम निम्नलिखित हैं-

  • सिंधु
  • सरस्वती
  • वितस्ता (झेलम)
  • अस्किनी (चेनाब)
  • पुरुष्णी (रावी/ इरावदी)
  • शतुद्री (सतलज)
  • विपासा (व्यास

आर्यों का संघर्ष

भारत पर भरत गोत्र के राजा ने शासन किया तथा भरत को दस राजाओं का विरोध भी झेलना पड़ा; पाँच आर्य तथा पाँच गैर आर्य। यह युद्ध परुषणी या रावी नदी पर किया गया था।

दशराज युद्ध दस राजाओं का युद्ध था।दशराज युद्ध का उल्लेख ऋग्वेद के 7 वें मंडल में मिलता है।इस युद्ध में एक तरफ आर्य कबीला तथा उनका मित्रपक्ष समुदाय था। इस समुदाय का सलाहकार(सेनापति) ऋषि विश्वामित्र थे। दशराज युद्ध में सुदास के भरत जन कबीले की विजय हुई।उत्तर भारत के आर्य लोगों पर उनका अधिकार हो गया। इस भरत जन कबीले के नाम पर ही पुरे देश का नाम भारत पङा।

दूसरी ओर भरत नामक समुदाय था। इस समुदाय का नेतृत्व तृस्तु नामक कबीले के राजा सुदास कर रहे थे। सुदास के प्रेरक(सेनापति) ऋषि वशिष्ठ थे।

  • आर्यों के प्रथम दस्ते ने भारत में लगभग 1500 B . C  में आक्रमण किया।
  • उन्हें भारत के मूल निवासियों जैसे दास व दस्यु से संघर्ष करना पड़ा।
  • हालांकि दास को आर्यन की तरफ से कभी भी आक्रमण के लिए उत्तेजित नहीं किया गया, पर दस्यु हत्या का ऋग वेद में बारबार उल्लेख किया गया है।
  • इन्द्र को ऋग वेद में पुरान्द्र के नाम से भी उल्लेख किया गया है जिसे किलों का भंजक भी कहा गया है।
  • पूर्व आर्यन के किलों का उल्लेख हङप्पा संस्कृति की वजह से भी किया गया है।
  • आर्यन मूल निवासियों पर इसलिए भी विजय प्राप्त कर पाये क्यूंकि उनके पास बेहतर हथियार,वरमान, तथा घोड़े वाले रथ थे।
  • आर्यन् दो तरह के संघर्षों  में व्यस्त रहे – एक तो स्वदेशी लोगअपने आप में
  • आर्यन को पाँच आदिवासी जातियों में विभाजित किया गया जिसे पंचजन कहा गया तथा गैर आर्यन की भी मदद प्राप्त की।

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