इतिहासगुलाम वंशदिल्ली सल्तनतमध्यकालीन भारत

इल्तुतमिश द्वारा किये गये महत्त्वपूर्ण कार्य

इल्तुतमिश द्वारा किये गये महत्त्वपूर्ण कार्य

इल्तुतमिश का पूरा नाम शम्सुद्दीन इल्तुतमिश था। यह दिल्ली सल्तनत में गुलाम वंश का प्रमुख शासक था।इल्तुतमिश कुतुबुद्दीन ऐबक का गुलाम था, जिसे 1197 में अन्हिलवाङा (गुजरात) के आक्रमण के समय ऐबक ने खरीदा था। लेकिन अपनी योग्यता से इल्तुतमिश इक्तेदार ( सामंत ) तथा कुतुबुद्दीन ऐबक का दामाद बन जाता है…अधिक जानकारी

इल्तुतमिश (1210 – 1236 ई.)द्वारा किये गये महत्त्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित कार्य –

  • कुतुबुद्दीन ऐबक के निर्माण कार्य कुतुबमीनार को पूरा करवाया।
  • सबसे पहले शुद्ध अरबी सिक्के जारी किये। (चाँदी का टंका एवं ताँबे का जीतल)
  • इक्ता प्रणाली चलाई।
  • चालीस गुलाम सरदारों का संगठन बनाया, जो तुर्कान-ए-चिहलगानी के नाम से जाना गया।
  • सर्वप्रथम दिल्ली के अमीरों का दमन किया गया।
  • भारत में पहला मकबरा निर्मित करवाने का श्रेय भी इल्तुतमिश को दिया जाता है।
  • बदायूँ की जामा मस्जिद एवं नागौर में अतारकिन के दरवाजा का निर्माण करवाया। उसने दिल्ली में एक विद्यालय की स्थापना की।
  • इल्तुतमिश का मकबरा दिल्ली में स्थित है, जो एक कक्षीय मकबरा है।
  •  इल्तुतमिश पहला तुर्क सुल्तान था, जिसने शुद्ध अरबी सिक्के चलवाये। उसने सल्तनत कालीन दो महत्त्वपूर्ण सिक्के ‘चाँदी का टका’ (लगभग 175 ग्रेन) तथा ‘तांबे’ का ‘जीतल’ चलवाया।
  • इल्तुतमिश ने सिक्कों पर टकसाल के नाम अंकित करवाने की परम्परा को आरम्भ किया। सिक्कों पर इल्तुतमिश ने अपना उल्लेख खलीफा के प्रतिनिधि के रूप में किया है।
  • ग्वालियर विजय के बाद इल्तुतमिश ने अपने सिक्कों पर कुछ गौरवपूर्ण शब्दों को अंकित करवाया, जैसे “शक्तिशाली सुल्तान”, “साम्राज्य व धर्म का सूर्य”, “धर्मनिष्ठों के नायक के सहायक”। इल्तुतमिश ने अपनी राजधानी को लाहौर से दिल्ली स्थानान्तरित किया।
  • इल्तुतमिश ने अपने नाम का खुतबा पढवाया तथा मानक सिक्के – टंका  चलाया था । टंका चांदी का होता था।  (1 टंका = 48 जीतल )

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