इतिहासप्राचीन भारतसोलंकी वंश

गुजरात के सोलंकी वंश का राजनैतिक इतिहास

गुजरात(Gujarat) का चालुक्य अथवा सोलंकी वंश (Solanki Dynasty)- चौलुक्य अथवा सोलंकी अग्निकुल से उत्पन्न राजपूतों में से एक थे। वाडनगर लेख में इस वंश की उत्पत्ति ब्रह्मा के चुलुक अथवा कमंडलु से बताई गयी है। उन्होंने गुजरात में 10 वीं शता. के उत्तरार्द्ध से 13 वीं शता. के प्रारंभ तक शासन किया। उनकी राजधानी अन्हिलवाङ में थी।…अधिक जानकारी

सोलंकी वंश के इतिहास के साधन क्या-क्या थे – गुजरात के चौलुक्य वंश(Chaulukya Dynasty) का इतिहास हम मुख्य रूप से जैन लेखकों के ग्रंथों में पता लगाते हैं। ये लेखक चौलुक्य शासकों की राजसभा में निवास करते थे।

जैन ग्रंथों में प्रमुख ग्रंथ निम्नलिखित हैं-

  • हेमचंद्र का द्वाश्रयकाव्य,
  • मेरुतुंगकृत प्रबंधचिंतामणि,
  • सोमेश्वरकृत कीर्तिकौमुदी,
  • हेमचंद्र सूरि का कुमारपाल चरित, …अधिक जानकारी

यहाँ पर हमने गुजरात के सोलंकी वंश के बारे में सामान्य जानकारी प्राप्त की है, तथा अब आगे हम गुजरात के चौलुक्य अथवा सोलंकी वंश के राजवंश के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे-

गुजरात के सोलंकी वंश का राजवंश

मूलराज(Moolraj)

गुजरात के चौलुक्य शाखा की स्थापना मूलराज प्रथम (941-995 ईस्वी) ने की थी। उसने प्रतिहारों तथा राष्ट्रकूटों के पतन का लाभ उठाते हुये 9 वीं शता.के द्वितीयार्ध में सरस्वती घाटी में अपने लिये एक स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिया। गुजराती अनुश्रुतियों से पता चलता है, कि मूलराज का पिता राजि कल्याण-कटक का क्षत्रिय राजकुमार था तथा उसकी माता गुजरात के अण्हिलपुर के चापोत्कट वंश की कन्या थी। उसके पिता की उपाधि महाराजाधिराज की मिलती है, किन्तु उसकी स्वतंत्र स्थिति में संदिह है। संभवतः वह प्रतिहारों का सामंत था।

प्रतिहारों का इतिहास में योगदान

राष्ट्रकूट शासकों का इतिहास में योगदान…अधिक जानकारी

चामुंडराज(Chamundaraj)

सोलंकी वंश के मूलराज प्रथम का पुत्र चामुण्डराज उसकी मृत्यु के बाद 995 ईस्वी में राजा बना।उसने धारा के परमार शासक सिंधुराज के विरुद्ध सफलता प्राप्त की, परंतु वह लाट प्रदेश पर अधिकार रख सकने में असफल रहा…अधिक जानकारी

दुर्लभराज( durlabharaaj )

सोलंकी वंश के शासक चामुण्डराज के दो पुत्र थे- बल्लभराज तथा दुर्लभराज। बल्लभराज की मृत्यु अपने पिता के काल में ही हो गयी थी। अतः चामुण्डराज के बाद दुर्लभराज शासक बना। उसने लाट प्रदेश को पुनः जीत लिया। इस समय लाट प्रदेश का शासक कीर्तिपाल था…अधिक जानकारी

भीमदेव प्रथम( bheemadev pratham )

सोलंकी वंश के शासक दुर्लभराज का उत्तराधिकारी उसका भतीजा भीमदेव प्रथम हुआ। वह अपने वंश का सबसे शक्तिशाली राजा था। उसके प्रबल प्रतिद्वन्दी परमार भोज तथा कलचुरि नरेश कर्ण थे। ऐसा प्रतीत होता है, कि प्रारंभ में भोज ने भीम पर दबाव बढाया तथा उसे कुछ सफलता भी मिली। उदयपुर लेख से पता चलता है, कि भोज ने भीम को पराजित किया था। किन्तु शीघ्र ही भीम ने अपनी स्थिति मजबूत कर ली तथा उसने परमार नरेश भोज के विरुद्ध कलचुरि नरेश कर्ण के साथ मिलकर एक संघ तैयार किया। इस संघ ने मालवा के ऊपर आक्रमण कर धारा नगर को लूटा…अधिक जानकारी

कर्ण(Karna)

गुजरात के सोलंकी वंश के शासक भीमदेव प्रथम के उसका पुत्र कर्ण शासक बना, जो एक निर्बल शासक था। उसे मालवा के परमारों ने पराजित किया। नाडोली के चौहानों ने भी उसके राज्य पर आक्रमण कर उसकी सत्ता को थोङे समय के लिये चलायमान कर दिया…अधिक जानकारी

जयसिंह सिद्धराज (Jai Singh Siddharaj)

सोलंकी वंश के शासक कर्ण के बाद उसकी पत्नी मयणल्लदेवी से उत्पन्न पुत्र जयसिंह सिद्धराज चौलुक्य वंश का एक प्रसिद्ध राजा बना।

सोलंकी वंश के इतिहास के साधन क्या – क्या थे?

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जयसिंह सिद्धराज के कई लेख मिले हैं। राज्यारोहण के समय वह कम आयु का था, अतः उसकी माँ ने कुछ समय तक संरक्षिका के रूप में कार्य किया। उसका एक प्रमुख कार्य सोमनाथ की यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों के ऊपर लगने वाले कर को समाप्त करना था…अधिक जानकारी

कुमारपाल(Kumarpal)

गुजरात के सोलंकी शासक जयसिंह के कोई पुत्र नहीं था। उसकी मृत्यु के बाद कुमारपाल राजा बना। विभिन्न स्रोतों से उसके राज्यारोहण के पूर्व के जीवन के बारे में सूचना मिलती है, इन स्रोतों के अनुसार वह निम्न कुल (हीन उत्पत्ति) का था। इसी कारण जयसिंह उससे घृणा करता था। किन्तु जैन आचार्यों तथा मंत्री उदयन एवं सेनापति कान्हङदेव की सहायता से उसने राजगद्दी प्राप्त कर ली। बाद में वह कान्हङदेव (जो उसका बहनोई भी था) के व्यवहार से सशंकित हो उठा तथा उसे अपंग एवं अंधा करवाकर उसके घर भिजवा दिया। किन्तु मंत्री उदयादित्य उसका विश्वासपात्र बना रहा तथा उसे मुख्यमंत्री बना दिया गया…अधिक जानकारी

अजयपाल(Ajaypal)

गुजरात के सोलंकी वंश के शासक कुमारपाल के बाद उसका भतीजा अजयपाल(Ajaypal) शासक बना।गुजराती अनुश्रुतियों तथा मुस्लिम स्रोतों से पता चलता है, कि उसने कुमारपाल (Kumarpal) को विष देकर मार डाला था। अजयपाल ने 1176 ईस्वी तक राज्य किया। उसके काल में शैव धर्म (Shaivism) का अत्यधिक प्रचलन था। जैन ग्रंथों (Jain texts) के अनुसार उसने कपर्दिन नामक ब्राह्मण, जो दुर्गा का भक्त था, को अपना प्रधानमंत्री(Prime minister) नियुक्त किया तथा अन्य शैवों को भी प्रमुख प्रशासनिक पद दिये। उसकी उपाधि परममाहेश्वर की थी…अधिक जानकारी

भीमदेव द्वितीय( bheemadev dviteey )

गुजरात के सोलंकी वंश के शासक अजयपाल के बाद मूलराज द्वितीय(Moolraj II) राजा बना, जो अजयपाल का पुत्र था। उसका शासन दो वर्ष का ही था। उसने किसी तुर्क (Turk)आक्रांता को पराजित किया था। इसे म्लेच्छ या हम्मीर कहा गया है।

मूलराज द्वितीय के बाद उसका छोटा भाई भीम द्वितीय( bheem dviteey ) राजा बना। आबू तथा नागौर क्षेत्रों पर अधिकार के लिये उसका चाहमान शासक पृथ्वीराज(Chahman Ruler Prithviraj) से संघर्ष हुआ। बाद में दोनों के बीच समझौता हो गया। 1178 ई. में मुइजुद्दीन गौरी (Muijuddin Gauri) के नेतृत्व में तुर्कों ने उसके राज्य पर आक्रमण किया, किन्तु काशहद के मैदान में भीम ने उन्हें बुरी तरह पराजित किया था। इस युद्ध में नड्डुल के चाहमानों ने भीम का साथ दिया था। उसके बाद भी आक्रमण होते रहे। 1178 ईस्वी में उसके राज्य पर मुसलमानों के आक्रमण हुए, जिसका भीम ने सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया।

गुजरात (Gujarat) के सोलंकी वंश का पतन

भीमदेव द्वितीय गुजरात और चौल्क्य (सोलंकी) राजपूतों का अंतिम राजा था। इसके बाद उसके मंत्री लवणप्रसाद ने गुजरात में बघेलवंश(Baghel dynasty) की स्थाना की। 1240 ईस्वी के लगभग उसके उत्तराधिकारियों ने अन्हिलवाङ पर अधिकार कर लिया। बघेलवंश ने गुजरात में 13 वीं शता. के अंत तक शासन किया। इसके बाद गुजरात का स्वतंत्र हिन्दू राज्य दिल्ली सल्तनत(Delhi Sultanate) में मिला दिया गया।

Reference : https://www.indiaolddays.com

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