इतिहासप्राचीन भारतसोलंकी वंश

सोलंकी वंश के शासक भीमदेव द्वितीय का इतिहास

गुजरात के सोलंकी वंश के शासक अजयपाल के बाद मूलराज द्वितीय(Moolraj II) राजा बना, जो अजयपाल का पुत्र था। उसका शासन दो वर्ष का ही था। उसने किसी तुर्क (Turk)आक्रांता को पराजित किया था। इसे म्लेच्छ या हम्मीर कहा गया है।

मूलराज द्वितीय के बाद उसका छोटा भाई भीम द्वितीय( bheem ।।) राजा बना। आबू तथा नागौर क्षेत्रों पर अधिकार के लिये उसका चाहमान शासक पृथ्वीराज(Chahman Ruler Prithviraj) से संघर्ष हुआ। बाद में दोनों के बीच समझौता हो गया। 1178 ई. में मुइजुद्दीन गौरी (Muijuddin Gauri) के नेतृत्व में तुर्कों ने उसके राज्य पर आक्रमण किया, किन्तु काशहद के मैदान में भीम ने उन्हें बुरी तरह पराजित किया था। इस युद्ध में नड्डुल के चाहमानों ने भीम का साथ दिया था। उसके बाद भी आक्रमण होते रहे। 1178 ईस्वी में उसके राज्य पर मुसलमानों के आक्रमण हुए, जिसका भीम ने सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया।

1195 ईस्वी में उसने कुतुबुद्दीन (Qutubuddin) को हराकर उसे अजमेर(Ajmer) तक खदेङ दिया। परंतु दूसरे वर्ष अर्थात् 1197 ईस्वी में वह पराजित हुआ। उसके पचास हजार सैनिक मार डाले गये तथा बीस हजार को बंदी बना लिया गया। मुसलमानों ने उसकी राजधानी अन्हिलवाङा को खूब लूटा तथा उस पर अधिकार कर लिया। किन्तु मुलमानों का अधिकार कुछ समय तक ही रहा और 1201 ईस्वी में भीम ने पुनः अपना राज्य प्राप्त कर लिया।

आबू तथा दक्षिणी राजपूताना में चालुक्यों (Chalukya) का शासन स्थापित हो गाय तथा फिर लगभग एक शती तक तुर्कों ने वहाँ आक्रमण करने का साहस नहीं किया।

तुर्क आक्रमण तथा राजपूतों की पराजय

मुसलमानों से निपटने के बाद भीम को परमारों( paramaar ), यादवों के साथ-साथ आंतरिक विद्रोहों का भी सामना करना पङा। परमार नरेश, सुभठवर्मा ने अन्हिलवाङ पर आक्रमण किया। किन्तु भीम के सामंत लवणप्रसाद ने उसे पीछे ढकेल दिया। इसी समय यादव जैतुगी ने भी दक्षिणी गुजरात पर आक्रमण किया। चौलुक्य (सोलंकी) यादवों का सफल प्रतिरोध नहीं कर पाये। किन्तु लवणप्रसाद ने यादव नरेश सिंघण से संधि कर अपने राज्य को बचा लिया। किन्तु इसके बावजूद भीम की आंतरिक स्थिति निर्बल पङने लगी, जिससे अधीन सामंतों को स्वाधीन होने का सुनहरा अवसर मिल गया।

पता चलता है, कि 1223 ईस्वी में जैत्तसिंह नामक उसके ही वंश के किसी संबंधी ने भीम को पदच्युत कर राजधानी पर कुछ समय के लिये अधिकार कर लिया। किन्तु भीम अपने योग्य मंत्रियों- लवणप्रसाद एवं धवल, की सहायता से पुनः राजधानी पर अधिकार करने में सफल हुआ। इससे लवणप्रसाद की महत्वाकांक्षा काफी बढ गयी। किन्तु फिर भी उसकी आंतरिक स्थिति निर्बल पङ गयी, जिससे अधीनस्थ सामंतों को स्वाधीन होने का सुनहरा अवसर मिल गया।

भीमदेव द्वितीय गुजरात और चौल्क्य (सोलंकी) राजपूतों का अंतिम राजा था। इसके बाद उसके मंत्री लवणप्रसाद ने गुजरात में बघेलवंश(Baghel vansh) की स्थाना की। 1240 ईस्वी के लगभग उसके उत्तराधिकारियों ने अन्हिलवाङ पर अधिकार कर लिया। बघेलवंश ने गुजरात में 13वीं शता. के अंत तक शासन किया। इसके बाद गुजरात का स्वतंत्र हिन्दू राज्य दिल्ली सल्तनत(Delhi Sultanate) में मिला दिया गया।

दिल्ली सल्तनत से संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
2. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास, लेखक-  वी.डी.महाजन 

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