प्राचीन भारतइतिहास

कान्हेरी की गुफाएँ कहाँ स्थित हैं

मुम्बई से 16 मील उत्तर बोरिवेली स्टेशन से 5 मील की दूरी पर स्थित कन्हेरी का प्राचीन नाम कृष्णगिरि था। यहां की पहाङी में सैकङों गुफायें भिक्षुओं के आवास के लिये बनाई गयी थी। ये विभिन्न आकार-प्रकार की हैं। हीनयान मत के अंतिम काल में इनका निर्माण प्रारंभ हुआ था। सातवाहन राजाओं के समय में अधिकांश गुफायें उत्कीर्ण करवायी गयी थी।

कार्ले गुहा-समूह से इनकी काफी समानता है। चैत्यगृह भी कार्ले के अनुकरण पर बना है। गृहमुख के सामने एक बङा प्रांगण है, जो कहीं अन्यत्र नहीं मिलता । इसके एक ओर अलंकृत वेदिका तथा इसके ऊपर हाथ उठाये हुए यक्ष मूर्तियां खुदी हुई हैं। साथ ही इन्हें अनेक प्रकार के पशुओं तथा लताओं से सुसज्जित किया गया है।

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चैत्यगृह तथा विहार किसे कहते हैं ?

प्रांगण के दोनों किनारों पर बने स्तंभों के सिरों पर यक्ष मूर्तियां, चौकी तथा सिंह बनाये गये हैं। सामने की ओर दुतल्ला बरामदा है। भीतरी मंडप है जिसमें 34 स्तंभ हैं। स्तंभों के शीर्ष मूर्तियों से अलंकृत हैं। गर्भगृह में 16 फीट व्यास को गोल स्तूप स्थापित है। चौथी शती से कन्हेरी महायान बौद्ध धर्म का केन्द्र बन गया। जिसके अनुसार गुफाओं के अलंकरण में विभिन्नता आ गयी।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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