इतिहासदक्षिण भारतपल्लव राजवंशप्राचीन भारत

अपराजित पल्लव वंश का शासक था

काञ्ची के पल्लव वंश का शक्तिशाली तथा अंतिम महत्त्वपूर्ण शासक अपराजित था। 885 ई. में उसने गंगनरेश पृथ्वीपति तथा चोलनरेश आदित्य प्रथम की सहायता प्राप्त कर पाण्ड्यवंशी शासक वरगुण द्वितीय को श्रीपुरम्बियम् के युद्ध में पराजित किया। यद्यपि इस युद्ध में गंगनरेश पृथ्वीपति मारा गया, किन्तु इसमें पाण्ड्यों की शक्ति पूर्णतया नष्ट हो गयी। परंतु पल्लव नरेश अपराजित अपनी विजयों का पूर्ण उपभोग नहीं कर सका। 903 ई. के लगभग उसके मित्र चोल नरेश आदित्य प्रथम ने उसकी हत्या कर दी तथा तोण्डमंडलम् का स्वामी बन बैठा।

अपराजित के बाद दो राजाओं के नाम पता लगते हैं – नंदिवर्मा चतुर्थ (904-926ई.) तथा कम्पवर्मा(948-980ई.)। वे अपने राज्य को चोल राजाओं से बचाने का असफल प्रयास करते रहे।

अंत में पल्लव राज्य चोल शासकों द्वारा जीतकर अपने राज्य में मिला लिया गया। इस प्रकार दक्षिण भारत की प्रभुसत्ता पल्लवों से चोलवंश के हाथों में आ गयी।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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