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प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति के प्रमुख स्थल काञ्ची

वर्तमान तमिलनाडु का कंजीवरम् नामक जनपद ही प्राचीन काल में काञ्ची अथवा काञ्चीपुरम् नाम से विख्यात था। यह दक्षिणी भारत का एक प्रमुख तीर्थस्थल था जिसका गणना सात पवित्र एवं मोक्षदायिनी नगरियों में की जाती थी। अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका। पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिका:।।


काञ्ची का राजनैतिक एवं सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टियों से भारतीय इतिहास में अत्यधिक महत्व था। सुदूर दक्षिण में शासन करने वाले पल्लव राजवंश की यहाँ राजधानी थी। समुन्द्रगुप्त के प्रयाग लेख में काञ्ची के राजा विष्णुगोप का उल्लेख हुआ है जिसे उसने पराजित किया था। पल्लव राजाओं के काल में काञ्ची की महती उन्नति हुई। यहाँ अनेक चौड़ी सड़कें, विद्यालय, मन्दिर एवं विहार बने हुए थे।

यहाँ का संस्कृत महाविद्यालय पूरे देश में प्रसिद्ध था जहाँ अध्ययन करने के लिए दूर-2 से लोग पहुँचते थे। इसके समीप एक मण्डप में महाभारत का नियमित पाठ होता था। कदम्बनरेश मयूरशर्मा ने यहाँ से शिक्षा प्राप्त की थी। नालन्दा के कुलपति धर्मपाल ने भी यहीं रहकर शिक्षा प्राप्त की थी। नालंदा विश्वविद्यालय किसने बनवाया था?

चीनी यात्री हुएनसांग ने भी काञ्ची की यात्रा की तथा वहाँ कुछ समय तक निवास किया था। वह लिखता है कि यहाँ सौ से अधिक बौद्ध विहार थे जिनमें दस हजार भिक्षु निवास करते थे। नगर की परिधि छ: मील थी। काञ्ची का सम्बन्ध भारवि तथा दण्डी जैसे महाकवियों से भी था।
16वी. शता. में विजय नगर के शासकों ने काञ्ची में अनेक मन्दिरों का निर्माण करवाया था। उनके द्वारा बनवाये गये मन्दिर आज भी इस नगर की शोभा बढ़ाते हैं।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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