सातवाहन वंश का संस्थापक कौन था?
30 ई.पू. में सुशर्मन के अधिकारी सिमुक (सिंधुक) ने कण्व वंश को समाप्त कर सातवाहन वंश की स्थापना की। सातवाहन वंश महाराष्ट्र, आंध्र तथा कर्नाटक का उत्तरी भाग में विस्तारित था।
सातवाहनों की उत्पत्ति के बारे में विद्वानों के अलग-2 मत हैं-
- पुराणों में सातवाहनों को आंध्र जातीय या आंध्र भृत्य (नौकर) कहा गया है।
- सातवाहनों का मूल क्षेत्र महाराष्ट्र था। कालांतर में इनका प्रसार पूर्व व दक्षिण की ओर हुआ।
ईसा-पूर्व प्रथम शता. में विन्ध्यपर्वत के दक्षिण में दो शक्तियाँ प्रबल हुई-
- ऊपरी दक्कन के सातवाहन।
- कलिंग के चेदि।
सातवाहन साम्राज्य के अंदर समस्त दक्षिणापथ सम्मिलित था और उत्तर भारत में मगध तक उसका विस्तार था।
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आंध्र सातवाहन राजवंश के इतिहास के साधन
सातवाहन वंश को जानने के लिये साहित्य, पुरातत्व, विदेशी स्रोतों की आवश्यकता पङती है।सातवाहन वंश की जानकारी के लिये मत्स्य व वायुपुराण उपयोगी सिद्ध हुए हैं।
पुराणों में सातवाहनों को आंध्रभृत्य तथा आंध्रजातीय कहा गया है। पुराणों में कुल 30 राजाओं के नाम मिलते हैं।
सातवाहन वंश की जानकारी के प्रमाणिक स्रोत अभिलेख, सिक्के तथा स्मारक हैं, जो निम्नलिखित हैं-
- नागनिका का नानाघाट का लेख।(महाराष्ट्र के पूना जिले में स्थित)
- गौतमीपुत्र शातकर्णी के नासिक से प्राप्त दो गुहालेख।
- गौतमी बलश्री का नासिक गुहालेख।
- वासिष्ठीपुत्र पुलुमावी का नासिक गुहालेख।
- वासिष्ठीपुत्र पुलुमावी का कार्ले गुहालेख।
- यज्ञश्री शातकर्णी का नासिक गुहालेख।
सातवाहन वंश से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य-
- पुराणों में सातवाहनों को आंध्र जातीय या आंध्र भृत्य (नौकर) कहा गया है।
- इतिहासकार इन्हें स्थानीय जाति के निवासी मानते हैं।
- इस वंश का प्रथम शक्तिशाली शासक शातकर्णी प्रथम था।
- इनका मूल क्षेत्र महाराष्ट्र था। कालांतर में इनका प्रसार पूर्व व दक्षिण की ओर हुआ।
सातवाहन वंश का संस्थापक सिमुक (60 ई.पू. से 30 ई.पू. तक)
सातवाहनों का इतिहास सिसुक (सिमुक या सिंधुक) के समय से प्रारंभ होता है।वायुपुराण का कथन है कि आंध्रजातीय सिंधुक (सिमुक) ने कण्व वंश के अंतिम शासक सुशर्मा की हत्या करके तथा शुंगों की बची हुयी शक्ति को समाप्त कर पृथ्वी पर शासन किया। सिमुक ने 23 वर्षों तक शासन किया।
सिमुक नाम का उल्लेख नानाघाट चित्र-फलक-अभिलेख में मिलता है। सिमुक के सात सिक्के भी इतिहासकारों को प्राप्त हुए हैं। नानाघाट के लेख में सिमुक को राजा सिमुख सातवाहन कहा गया है। जैन गाथाओं के अनुसार सिमुक ने जैन तथा बौद्ध मंदिरों का निर्माण करवाया था। सिमुक अपने शासन के अंतिम दिनों में दुाराचारी हो गया था, जिसके कारण उसको मार डाला गया था।
सिमुक की मृत्यु के बाद उसका छोटा भाई कन्ह (कृष्ण) राजा बना क्योंकि सिमुक का पुत्र शातकर्णि अवयस्क था। कृष्ण ने अपना साम्राज्य नासिक तक बढाया था। कृष्ण ने 18 वर्षों तक शासन किया था।
कृष्ण के समय में एक श्रमण नामक महामात्र ने नासिक में गुहा का निर्माण करवाया था। यहां से प्राप्त एक लेख में कृष्ण के नाम का उल्लेख मिलता है।
Reference : https://www.indiaolddays.com/