प्राचीन भारतइतिहाससिंधु घाटी सभ्यता

ऐसा एकमात्र स्थल जहां से वक्राकार ईंट मिली हैं

चन्हुदङो-(chanhudaro)   मोहनजोदङो से लगभग 140 कि.मी. दक्षिण में स्थित इस हङप्पाई स्थल की खोज 1934 ई.में एन. जी. मजूमदार द्वारा की गई। यहां के निचले स्तर से सैंधव संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं। यहां पर हङप्पाई सभ्यता के अलावा प्राक हङप्पा संस्कृति के अवशेष भी प्राप्त हुये हैं। यह स्थल सीप, मनके , मुद्रा तथा अस्थि बनाने का प्रमुख केन्द्र था। यहां की मुख्य सङक 7.6 मीटर चौङी थी, तथा हङप्पा और मोहनजोदङो के समान ही यहां सङक के दोनों ओर घर बनाए गए हैं। मकान पक्की ईंटों के बनाए जाते हैं। घरों में नालियां होती थी। यहां से मटका बनाने की एक भट्टी तथा एक कारखाना मिला है। इन सब बातों से अनुमान लगाया जा सकता है कि चन्हुदङो एक औद्योगिक नगर था।

महत्तवपूर्ण साक्ष्य- 

  • चन्हुदङो से प्राप्त साक्ष्यों में अलंकृत हाथी, सौन्दर्य के सामान में लिपिस्टिक, खोलौना आदि यहां से प्राप्त हुये हैं।
  • यहां से कोई भी दुर्ग का अवशेष नहीं मिला है। यहां से झूकर-झाकर संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुये हैं।
  • चन्हुदङो से प्राप्त एक पात्र में जला हुआ कपाल मिला है।
  • यहां से मनके बनाने का कारखाना भी प्राप्त हुआ है।
  • चन्हुदङो एकमात्र ऐसा पुरास्थल है जहां से  वक्राकार ईंट प्राप्त हुई हैं।

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