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प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति के प्रमुख स्थल काशी

वर्तमान वाराणसी तथा उनके समीपवर्ती भाग में प्राचीन काल का काशी राज्य स्थित था। काशी नगरी री प्राचीनता वैदिक युग तक जाती है। अथर्ववेद में काशी के निवासियों का उल्लेख मिलता है। रामायण तथा महाभारत में भी काशी राज्य तथा उसकी महत्ता का वर्णन है। बुद्ध काल मे काशी के सभी राजाओं का समान्य नाम ब्रह्मदत्त मिलता है।

बुद्ध के पूर्व काशी का राज्य अति प्रसिद्ध था। षोडश महाजनपदों की सूची में इसका नाम है। काशी की समृद्धि तथा वैभव का उल्लेख जातक ग्रन्थों में मिलता है। काशी का पड़ोसी राज्य कोशल था। दोनों में दीर्घकालीन संघर्ष चला जिसमें अन्तत: कोशल विजय रहा तथा वहाँ के राजा कंश ने काशी नरेश ब्रह्मदत्त को हटाकर उसे अपने राज्य में मिला लिया था। बुद्ध काल में हम काशी को कोशल राज्य के एक प्रान्त के रूप में पाते हैं।

यहाँ के राजा प्रसेनजित ने अपनी बहन महाकोशला का मगधराज बिम्बिसार के साथ विवाह किया तथा दहेज में काशी प्रान्त दिया। इसकी वार्षिक आय एक लाख रूपये थी। काशी की राजधानी वाराणसी में थी। महाभारत के अनुसार इस नगर की स्थापना विवोदास नामक राजा ने की थी। काशी शैव धर्म का प्रमुख केन्द्र था जहाँ शिव के अनेक भक्त निवास करते थे। यह संस्कृत शिक्षा का केन्द्र था जहाँ विद्वानों का जमघट लगा रहता था। इसकी गणना भारत के सात पवित्र मोक्षदायिका नगरियों में की गयी है।

चीनी यात्री हुएनसांग भी इसे शैवधर्म का प्रसिद्ध केन्द्र बताता है। यहाँ शिव का प्रसिद्ध मन्दिर है जो आज भी असंख्य श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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