प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति के प्रमुख स्थल पट्टडकल
कर्नाटक प्रान्त के बीजापुर जिले में मालप्रभा नदी के तट पर यह बसा हुआ है। 992 ई. के एक लेख से ज्ञात होता है कि यहाँ चालुक्य वंशी राजाओं की राजधानी थी जहाँ वे अपना अभिषेक कराते थे। पट्टडकल को चालुक्य वास्तु एवं तक्षण कला का प्रमुख केन्द्र माना जाता है। यहाँ से दस मन्दिर मिले हैं जिसमें चार उत्तरी तथा छः दक्षिणी शैली में निर्मित है। पाप-नाश का मन्दिर, विरूपाक्ष मन्दिर तथा संगमेश्वर के मन्दिर विशेष रूप से उल्लेखनीय है। विरूपाक्ष का मन्दिर सर्वाधिक सुन्दर तथा आकर्षक है। इसका निर्माण विक्रमादित्य द्वितीय की रानी ने 740 ई. में करवाया था। मन्दिर के सामने नन्दिमण्डप, चारों ओर वेदिका तथा एक तोरणद्वार बना है। बाहरी दीवार में बने ताखों में शिव, नाग आदि की मूर्तियाँ रखी है तथा रामायण के दृश्यों को उत्कीर्ण किया गया है।
पट्टडकल के सभी मन्दिरों में स्तूप के आकार के शिखर लगे है तथा उनमें कई तल्ले है। प्रत्येक तल्ले में मूर्तियाँ उत्कीर्ण है। मन्दिर पूर्णतया पाषाण-निर्मित है। यहाँ के मन्दिर उत्तरी और दक्षिणी भारत की वास्तुकला के बीच की कड़ी है।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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