आधुनिक भारतइतिहास

ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थ व्यवस्था पर प्रभाव-

17 वी. शता. में भारत विश्व में औद्योगिक माल का सबसे बङा उत्पादक देश था, यहाँ से मुख्यतः सूती और रेशमी कपङो,मसालों,नील,शक्कर, औषधियाँ,कीमती रत्न और दस्तकारी की वस्तुओं का बाहर के देशों को निर्यात किया जाता था।

इस समय यूरोपीय लोग भारत से माल खरीदते थे और उसके बदले में बहुमूल्य धातु देते थे,जिससे भारत में सोने,चांदी की आवक बढ गई और वह एक समृद्ध देश बन गया।

मुगल बादशाह औरंगजेब की मृत्यु के बाद भारत में अनेक ऐसे कारण सक्रिय हो गये जिससे यहां के व्यापार और वाणिज्य में गिरावट का दौर शुरू हो गया।

उत्तरवर्ती मुगल शासकों द्वारा तत्कालीन यूरोपीय व्यापारियों को दी गई उदारतापूर्वक रियासतों ने स्वदेशी व्यापारियों के हितों को नुकसान पहुंचाया।जिससे यहां के घरेलू उद्योग प्रभावित हुए।

क्लाइव के समय में मुंगेर और इलाहाबाद के श्वेत (अंग्रेज) सैनिकों ने भत्ता कम मिलने के कारण विद्रोह किया, जिसे श्वेत विद्रोह के नाम से जाना गया।

क्लाइव ने कंपनी के कर्मचारियों के हित के लिए एक संस्था सोसायटी ऑफ ट्रेड की स्थापना की,जिसे नमक,सुपारी तथा तंबाकू के व्यापार पर एकाधिकार प्राप्त था।

1767ई. में क्लाइव के इंग्लैण्ड वापस जाने पर वहां की सरकार ने उसे लार्ड की उपाधि दी।

मैकाले  ने  क्लाइव के बारे में कहा कि हमारे टापू ने शायद ही ऐसे व्यक्ति को जन्म दिया हो, जो युद्ध और विचार-विमर्श में उससे बेहतर हो।

स्मरणीय तथ्य-

  • बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के समय में 20-21 जून को 1756ई.को प्रसिद्ध कालकोठरी या ब्लैक होल की घटना घटी।
  • निर्णायक प्लासी का युद्ध 23 जून,1757 को लङा गया,क्लाइव के नेतृत्व में लङे गये इस युद्ध के निर्णय ने भारत को मुगल बादशाह आलमगीर द्वितीय था।
  • मीर जाफर को कर्नल क्लाइव का गीदङ कहा गया।
  • बंगाल में व्यापार करने वाले अनधिकृत ब्रिटिश व्यापारियों को इंटरलोपर कहा जाता था।
  • मीरजाफर द्वारा प्रदत्त 24 परगना की जमींदारी को क्लाइव की व्यक्ति गत जागीर के रूप में जाना जाता था।
  • सिराज के विरोधियों में शामिल थे-पूर्णिया का सूबेदार शौकत जंग,मौसी घसीटी बेगम तथ सेनापति मीरजाफर।
  • मीरकासिम अलीवर्दी खां के बाद बंगाल का सर्वाधिक योग्य नवाब था, इसने अंतर्देशीय व्यापार से सभी प्रकार की चुंगी समाप्त कर दी थी।
  • मुर्शिदाबाद से मीरकासिम ने अपनी राजधानी मुंगेर हस्तांतरित की।
  • 22 अक्टूंबर,1764ई. में बक्सर के युद्ध के समय बंगाल का नवाब मीर कासिम था।
  • बक्सर के युद्ध में अंग्रेजी सेना का नेतृत्व हेक्टर मुनरो ने किया।
  • अंग्रेजों के विरुद्ध बक्सर के युद्ध में लङने वाली भारतीय सेनाओं में शामिल थे-मुगल बादशाह शाहआलम,अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा मीरकासिम।
  • इलाहाबाद की प्रथम संधि (1765) क्लाइव और मुगल बादशाह के बीच हुई।
  • इलाहाबाद की द्वितीय संधि (1765) क्लाइव और अवध के नवाब के बीच संपन्न हुई।
  • द्वैध शासन का जनक लियोनिस कार्टिस को माना जाता है। बंगाल में द्वैध शासन की शुरुआत 1765 ई. में हुई, जो 1772 तक प्रचलन में रही।
  • अंग्रेज संरक्षण प्राप्त बंगाल का प्रथम नवाब नज्मुद्दौला था।
  • बंगाल का अंतिम नवाब मुबारक उद्दौला (1770-75) था।

प्लासी (1757) और बक्सर के युद्धों (1764) के बाद अंग्रेजों ने बंगाल की समृद्धि पर अपना पूरा अधिकार जमा लिया परिणामस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था अधिशेष और आत्म-निर्भरता की अर्थव्यवस्था से औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था में परिवर्तित हो गई।

प्लासी के युद्ध के बाद बंगाल के अंतर्देशीय व्यापार में अंग्रेजों की भागीदारी बढ गई,कंपनी के कर्मचारीयों ने उन वस्तुओं जैसे नमक,सुपारी और तंबाकू के व्यापार पर भी अधिकार कर लिया, जिनका व्यापार उनके लिए प्रतिबंधित था।

बंगाल की विजय से पूर्व, ब्रिटिश सरकार ने अपने कपङा उद्योग के संरक्षण के लिए कदम उठाये जिसमें प्रमुख हैं- 1700 में भारत से आने वाले रंगीन एवं छपे हुए वस्रों के प्रयोग पर प्रतिबंध, सूती कपङों के आयात पर 15 प्रतिशत आयात कर,1720 में भारतीय रेशमी एवं छापे या रंगे हुए वस्रों के प्रयोग पर इंग्लैण्ड में प्रतिबंध आदि।

भारत पर शासन करने वाले पूर्व विजेताओं एवं अंग्रेजों के मध्य महत्वपूर्ण अंतर यह था कि जहां पूर्वकालिक विजेता धीरे-2 भारतीय जीवन का अंग बन गये,वहीं अंग्रेज विजेता भारत का अभिन्न अंग कभी नहीं बन सके,इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव पङा।

भारतीय अर्थव्यवस्था को ब्रिटिश औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने के पीछे ब्रिटिश सरकार का मुख्य उद्देश्य था अपने उद्योगों के लिए कच्चा सस्ता माल प्राप्त करना और अपने उत्पादों को भारतीय बाजार में ऊंची कीमतों पर बेचना।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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