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रामकृष्ण मिशन की स्थापना किसने एवं कब की?

रामकृष्ण मिशन की स्थापना

रामकृष्ण मिशन की स्थापना (Ram krishna mission)-

रामकृष्ण मिशन के संस्थापक स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु के नाम पर इसकी स्थापना की। स्वामी विवेकानंद का जन्म 1863 में कलकत्ता में हुआ और 39 वर्ष की अल्प आयु में ही उनकी मृत्यु हो गयी। स्वामी विवेकानंद ने जापान, अमेरिका आदि का भ्रमण कर वेदांत का प्रभावपूर्ण प्रचार किया।

रामकृष्ण मिशन

रामकृष्ण मिशन के सिद्धांत

  • रामकृष्ण मिशन ने बताया कि परमात्मा अव्यक्त, अज्ञेय और अजन्मा है, वह प्रत्येक व्यक्ति में विद्यमान है। मूर्तिपूजा के द्वारा उसकी उपासना की जानी चाहिए।
  • मनुष्य का आचरण शुद्ध और पवित्र होना चाहिए।
  • हिन्दू सभ्यता और संस्कृति अति प्राचीन, सुन्दर और आध्यात्मिकता से परिपूर्ण है और इसे पाश्चात्य भौतिक और छल युक्त सभ्यता से बचाने का प्रयास करना चाहिये।
  • सब धर्मों में सत्य का अंश है, इसलिए धर्म परिवर्तन अनुचित है।

रामकृष्ण मिशन का (Ram krishna mission)योगदान

  • धर्म, राजनीति और समाज सुधार के क्षेत्रों में रामकृष्ण मिशन ने हिन्दुओं के लिए सराहनीय कार्य किए। शिक्षित वर्ग को अपने प्राचीन गौरव का स्मरण कराया, छुआछूत को मिटाने का प्रयत्न किया और स्त्रियों की दशा सुधारने तथा उन्हें शिक्षित करने के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य किए।
  • दीन-दुखियों के लिए आश्रमों और चिकित्सालयों की स्थापना की और शिक्षा प्रचार के लिए विद्यालय खोले। इस संस्था ने राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न करने में भी सहायता दी। आज भी इसकी अनेक शाखाएँ विदेशों में उपयोगी कार्य कर रही हैं। दुर्भिक्ष-बाढ आदि के समय जनता की इसने सदा सहायता की है।
  • स्वामी विवेकानंद ने वेदांत धर्म का प्रचार किया और भारतीयों में हिन्दू धर्म एवं संस्कृति के प्रति आस्था उत्पन्न की। उन्होंने धार्मिक पाखंडों, रूढियों और अंधविश्वासों का विरोध किया। उन्होंने धार्मिक सहिष्णुता तथा उदारता पर बल दिया। उन्होंने जाति प्रथा तथा छुआछूत का विरोध किया और सामाजिक समानता तथा भ्रातृत्व की भावना का प्रचार किया। उन्होंने स्त्रियों की दशा सुधारने पर बल दिया। उन्होंने पाश्चात्य शिक्षा-प्रणाली का विरोध किया और गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का समर्थन किया।
  • स्वामी विवेकानंद ने भारतवासियों में देश प्रेम तथा राष्ट्रीयता की भावना का प्रसार किया।

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