1857 की-क्रांतिआधुनिक भारतइतिहास

बिहार में 1857 की क्रांति का वर्णन

बिहार में 1857 की क्रांति

बिहार में 1857 की क्रांति (Revolt of 1857 in Bihar)

बिहार में 1857 की क्रांति का संचालन जगदीशपुर (शाहबाद जिले में) के जमींदार कुंवरसिंह ने किया, जिसकी उस समय आयु 70 वर्ष की थी। कुंवरसिंह की जमींदारी काफी बङी थी। लेकिन अंग्रेजों की नीति के फलस्वरूप कुंवरसिंह दिवालियेपन की स्थिति में पहुँच गया था। बिहार में सर्वप्रथम विद्रोह जुलाई, 1857 में दानापुर में हुआ। विद्रोहियों ने दानापुर पर अधिकार कर कुंवरसिंह को बुलवा लिया तथा इस संघर्ष का नेतृत्व कुंवरसिंह को सौंप दिया।

बिहार में 1857 की क्रांति

अगस्त,1857 में कुंवरसिंह लखनऊ की ओर चल पङा। रास्ते में आजमगढ जिले में अंग्रेजी सेना से उसकी मुठभेङ हो गयी। कुंवरसिंह ने अंग्रेजी सेना को खदेङकर मार्च,1858 में आजमगढ पर अधिकार कर लिया। यह उसकी सबसे बङी सफलता थी और इससे उसका हौसला दुगुना हो गया। अब कुंवरसिंह से मुकाबला किया, किन्तु कुंवरसिंह के युद्ध कौशल के सामने मार्क को भी अपनी जान बचाकर भागना पङा।

22 अप्रैल,1858 को कुंवरसिंह ने अपनी जागीर जगदीशपुर पर अधिकार कर लिया। किन्तु जगदीशपुर में पहुँचे 24 घंटे भी नहीं हुए थे कि आरा से ली- ग्रेड एक सेना लेकर जगदीशपुर आ पहुँचा। कुंवरसिंह ने उसे पराजित कर दिया। तीन दिन बाद कुंवरसिंह की मृत्यु हो गयी और उस समय जगदीशपुर पर आजादी का ध्वज लहरा रहा था। वह अंग्रेजों के विरुद्ध लगभग एक वर्ष तक संघर्ष करता रहा और अंग्रेजों को अनेक बार परास्त किया। उसके सफल विद्रोह से अंग्रेज इतने खीझ उठे कि उसकी मृत्यु के बाद मेजर आयर ने जगदीशपुर के महल और मंदिरों को नष्ट करके अपने दिल की भङास निकाली।

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