विशाखादत्त गुप्तकाल की विभूति थे। इनके दो नाटक प्रसिद्ध हैं – मुद्राराक्षस तथा देवीचंद्रगुप्तम्। मुद्राराक्षस में चंद्रगुप्त मौर्य के जीवन से संबंधित घटनाओं का उल्लेख मिलता है। देवीचंद्रगुप्तम् से गुप्तवंशी रामगुप्त के विषय में सूचनायें प्राप्त होती हैं। यह नाटक अपने मूल रूप में नहीं मिलता। इसके कुछ अंश नाट्य दर्पण में प्राप्त होते हैं।
विशाखादत्त ऐतिहासिक प्रवृत्ति के लेखक हैं। इनके नाटक वीररस प्रधान हैं। मुद्राराक्षस में प्रेम कथा, नायिका, विदूषक आदि का अभाव है तथा इस दृष्टि से यह संस्कृत साहित्य में अपना अलग स्थान रखता है। चरित्र-चित्रण में विशेष निपुणता का प्रदर्शन मिलता है। इसमें सात अंक हैं। भाषा प्रभावपूर्ण है।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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