पुलकेशिन प्रथम कौन था
बादामी के चालुक्य वंश का संस्थापक पुलकेशन प्रथम नामक व्यक्ति था। महाकूटअभिलेख में उसके पूर्व दो शासकों – जयसिंह तथा रणराग – के नाम मिलते हैं, परंतु उनके शासन काल के विषय में ज्यादा जानकरी नहीं मिलती है। ऐसा प्रतीत होता है, कि वे कदंब शासकों की अधीनता में बादामी में शासन करते थे। चालुक्य वंश के प्रारंभिक लेखों में तो जयसिंह की किसी भी उपलब्धि का उल्लेख नहीं है, किन्तु बाद के कुछ लेख इसका विवरण देते हैं। जगदेकमल्ल के दौलताबाद लेख के अनुसार जयसिंह ने कदंब वंश के ऐश्वर्य का अंत किया। कल्याणी के चालुक्यों के कैथोम लेख का कथन है, कि उसने राष्ट्रकूट शासक कृष्ण एवं उसके पुत्र इन्द्र को पराजित किया था।
बादामी के चालुक्य वंश की उत्पत्ति तथा चालुक्य वंश के इतिहास के साधन
राष्ट्रकूट शासकों का इतिहास में योगदान
वातापी के चालुक्यों को सामंत-स्थिति से स्वतंत्र स्थिति में लाने वाला पहला शासक पुलकेशिन प्रथम था। वह रणराग का पुत्र तथा उत्तराधिकारी हुआ। पुलकेशिन को इतिहास में पोलिकैशिन, पोलेकिशन, पुलिकैशिन आदि नामों से भी जाना जाता है।उसने वातापी में एक सुदृढ दुर्ग का निर्माण करवाया था तथा उसे अपनी राजधानी बनाया था। उसने वातापी के आस-पास के क्षेत्र को जीतकर अपने अधीकार में कर लिया। ऐहोल लेख में उसके वातापी के ऊपर अधिकार तथा अश्वमेघ यज्ञ करने का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है।
ऐसा प्रतीत होता है, कि वातापी का दुर्गीकरण करवाकर तथा उसके समीपवर्ती अपनी प्रभुसत्ता को घोषित किया। इस प्रकार चालुक्य राज्य का वास्तविक संस्थापक पुलकेशिन प्रथम ही था। अपनी महानता के अनुरूप पुलकेशिन प्रथम ने सत्याश्रय तथा रणविक्रम जैसी उपाधियाँ धारण की। उसे श्रीपृथ्वीबल्लभ अथवा श्रीबल्लभ कहा गया है। उसने अश्वमेघ, वाजपेय आदि वैदिक यज्ञों का अनुष्ठान किया तथा वह मनुस्मृति, इतिहास, पुराण, महाभारत, रामायण आदि का ज्ञाता भी था। उसकी तुलना ययाति, दिलीप आदि पौराणिक शासकों से की गयी है। महाकूट अभिलेख में उसकी तुलना विष्णु से करते हुये उसे वृद्धों की राय मानने वाला तथा ब्राह्मणों का आदर करने वाला बताया गया है। उसका विवाह बटपुर परिवार की कन्या दुर्लभदेवी के साथ हुआ था। पुलकेशिन प्रथम ने 535 ईस्वी से 566 ईस्वी तक राज्य किया। बादामी से 543 ईस्वी का उसका लेख मिला है।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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