पंजाब को अंग्रेजी राज्य में किसने मिलाया था?

पंजाब को अंग्रेजी राज्य में मिलाने का कार्य लार्ड डलहौजी ने किया था।
27 जून, 1839 को रणजीतसिंह की मृत्यु हो गयी। रणजीतसिंह की मृत्यु के साथ ही केन्द्रीय शासन का प्रभाव क्षीण हो गया, क्योंकि रणजीतसिंह ने जिस ढँग से शासन व्यवस्था स्थापित की थी, उसे प्रभावकारी ढंग से चलाने के लिए शासक में व्यक्तिगत योग्यता का होना आवश्यक था।
दुर्भाग्यवश रणजीतसिंह का कोई भी उत्तराधिकारी उस आवश्यक योग्यता को प्रमाणित न कर पाया। राजा के किसी मंत्री, सेनानायक अथवा अधिकारी ने भी वैसी योग्यता का परिचय नहीं दिया। राज्य के प्रमुख सरदारों तथा अधिकारियों ने अपने-अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति के लिए कुचक्र, षङयंत्र तथा हत्याओं का सहारा लिया तथा सिक्ख सेना को आर्थिक सुविधाएँ एवं प्रलोभन देकर उसका समर्थन प्राप्त करने का प्रयास किया।
अतः सेना को राजनीति पर हावी होने का अवसर प्राप्त हो गया। सेना का समर्थन उस किसी भी नेता को प्राप्त हो सकता था, जो उसे अधिक लाभ पहुँचने का वायदा करे। ऐसी स्थिति में राजनीति और शासन पर सेना का प्रभाव बढना स्वाभाविक ही था। जब सिक्ख राजनेता सेना के अनियंत्रित प्रभाव से दुःखी हो गये तो उन्होंने सेना की शक्ति कमजोर बनाने का षङयंत्र रचा। इस षङयंत्र का ध्येय था – सिक्ख सेना को अंग्रेजों से भिङाकर परास्त करवाना। इसी षङयंत्र के फलस्वरूप प्रथम सिक्ख युद्ध आरंभ हुआ था…अधिक जानकारी