अश्वघोष संस्कृत के प्रमुख लेखक थे
संस्कृत के कवियों में अश्वघोष का नाम सर्वप्रथम उल्लेखनीय है। वे कनिष्क प्रथम (78 ई.) की राजसभा में निवास करते थे। अश्वघोष अयोध्या का निवासी था। इस महान लेखक को मगध पर आक्रमण करके कनिष्क अपने दरबार में लाया था।
अश्वघोष की ख्याति महान कवि, दार्शनिक, नाटककार, संगीतकार आदि के रूप में बहुत अधिक है। अश्वघोष सातवाहन शासक यज्ञश्री शातकर्णी का समकालीन था।

अश्वघोष उन लेखकों में से हैं, जिन्होंने बौद्ध धर्म के बारे में कई ग्रंथ लिखे हैं,जिनसे बौद्ध धर्म की जानकारी प्राप्त होती है।
अश्वघोष की रचनाएँ-
बुद्ध चरित- इस ग्रंथ में 97 सर्गों(अध्याय) में बुद्ध की जीवन गाथा है। इसमें महात्मा बुद्ध के जीवन के बारे में बताया गया है।
सौंदरानंद – इस ग्रंथ में18 सर्गों(अध्याय) में बुद्ध के चचेरे भाई सौंदरानंद के बौद्ध संघ में प्रवेश लेने का उल्लेख है।
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शारिपुत्र प्रकरण- इसके 8 सर्गों(अध्याय) में लिखित बुद्ध के शिष्य शारिपुत्र के बौद्ध धर्म में दीक्षा लेने का वर्णन मिलता है। यह ग्रंथ मध्य एशिया से प्राप्त हुआ तथा भारतीय साहित्य का प्रथम अधूरा नाटक है।
सबसे प्राचीन जो पूर्ण नाटक है, वह नाटक है भास द्वारा रचित वासवदत्ता।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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