इतिहासप्राचीन भारतशाकंभरी का चौहान वंश

शाकंभरी का चौहान (चाहमान) वंश के इतिहास के स्रोत

12 वी. शता. का सर्वाधिक शक्तिशाली एवं विस्तृत साम्राज्य चाहमानों का अर्थात चौहानों का था। चौहान वंश की उत्पत्ति जांगल देश में हुयी थी। जांगल देश को बाद में सपादलक्ष कहा गया था। इसकी राजधानी अहिच्छत्रपुर में थी। इस स्थान की पहचान मारवाङ के नागौर (प्राचीन नागपुर) से की जाती है। पहले बीकानेर राज्य के भू-भाग को जांगल देश कहा जाता था। सपादलक्ष का अर्थ है सवा लाख ग्रामों वाला स्थान

जांगलदेश के पहले राजा का नाम वासुदेव था। जिसने अजमेर के उत्तर में सांभर (शाकंभरी) क्षेत्र पर अपना अधिकार कर लिया। दशरथ शर्मा का विचार है, कि चाहमान नामक व्यक्ति इस वंश का संस्थापक था।

शाकंभरी स्थानीय देवी का नाम था, जिसके उपासक चाहमान थे।

साहित्यिकत स्रोतों – पृथ्वीराज विजय तथा सुरजनचरित, आदि से पता चलता है, कि इसी देवी की कृपा से वासुदेव ने सांभर क्षेत्र को प्राप्त किया था।

इतिहास के स्रोत

शाकंभरी के चौहान शासकों का इतिहास हमें उसके शासकों द्वारा खुदवाये गये लेखों तथा समकालीन साहित्य से ज्ञात होता है। इस वंश के प्रारंभिक इतिहास तथा वंशावली का पता हमें विग्रहराज द्वितीय के हर्ष (जयपुर, राजस्थान) प्रस्तर अभिलेख तथा सोमेश्वर के समय के बिजोलिया प्रस्तर अभिलेख से होता है। इन अभिलेखों में चौहान वंश के राजाओं की राजनैतिक तथा सांस्कृतिक उपलब्धियों का विवरण प्राप्त होता है। विग्रहराज चतुर्थ के समय का दिल्ली शिवालिक स्तंभलेख, जिसकी तिथि विक्रम संवत् 1220 ईस्वी अर्थात् 1164 ईस्वी है, दिल्ली तथा समीपवर्ती क्षेत्रों में उसकी विजय की सूचना देता है।

चौहान युग की साहित्यिक रचनाओं में सर्वप्रथम उल्लेख जयानक भट्ट द्वारा रचित पृथ्वीराज विजय नामक महाकाव्य का किया जा सकता है। इसकी रचना पृथ्वीराज तृतीय के समय में की गयी थी। इसमें वर्णित घटनाओं की पुष्टि अभिलेखों से भी हो जाती है। इस प्रकार यह ग्रंथ इस काल की घटनाओं की जानकारी का प्रमुख स्रोत है। अन्य रचनाओं में जयचंद्र का हम्मीर-महाकाव्य है, जो चाहमान वंश का इतिहास तथा परंपराओं का आदि काल से विवरण देता है, किन्तु इसका विवरण पृथ्वीराजविजय के विवरण जैसा प्रमाणिक नहीं है।

चंदबरदाई के पृथ्वीराजरासो का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है।

बीसलदेवरासो से भी चौहान काल के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।

अभिलेखों तथा साहित्यिक ग्रंथों के अलावा समकालीन मुसलमान लेखकों के विवरण से भी चौहानों के इतिहास से संबंधित सूचनायें हम प्राप्त करते हैं। इन मुसलमान लेखकों में – अलबरूनी, उत्बी, हसननिजामी, मिनहाजुद्दीन, फरिश्ता आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।

अलबरूनी कौन था?

मुसलमान लेखकों के विवरण से हमें चाहमान-तुर्क संघर्ष के बारे में भी पता चलता है। चौहान वंश की जानकारी के साथ ही साथ मुसलमान लेखक हमें पूर्व मध्यकालीन समाज तथा संस्कृति के बारे में भी जानकारी प्रदान करते हैं।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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