प्राचीन भारत के इतिहास के अध्ययन के स्रोत

भारत का इतिहास
इतिहास शब्द संस्कृत भाषा के तीन शब्दों से मिलकर बना है।
- इति – ऐसा ही,
- ह – निश्चित रुप से
- आस – था
इसका अर्थ है -ऐसा ही निश्चित रुप से था अर्थात् हम कह सकते हैं कि जो घटनाएँ अतीत काल में निश्चित रुप से घटी हैं, वही इतिहास है।
हेरोडोडस को इतिहास का पिता कहा जाता है। यूनानी इतिहासकार हेरोडोडस का जन्म 484ई.पू. में एशिया माइनर के हेलिकारनेसस में हुआ था।
इतिहास के स्रोत :
- पुरातात्विक स्रोत
- साहित्यिक स्रोत
भारत में पुरातत्व संबंधी कार्य का आरंभ यूरोपियों ने किया था । पुरातत्व के क्षेत्र में अपने अमूल्य योगदान के लिए एलेक्जेंडर कनिंघम को भारतीय पुरातत्व का जनक कहा जाता है।
- स्तंभ,ताम्र अभिलेेख ,शिलालेख
- सिक्के
- मुहर
2. साहित्यिक स्रोत
साहित्यिक स्रोतों को दो भागों में बांटा गया है-
धार्मिक साहित्य:
धार्मिक साहित्य को भी दो भागों में बांटा गया है
ब्राह्मण साहित्य –
ब्राह्मण साहित्य में वेद, ब्राह्मण ग्रन्थ, आरण्यक, उपनिषद, वेदांग, सूत्र, महाकाव्य, स्मृतिग्रथ,पुराण,आदि आते हैं।
ब्राह्मणेतर साहित्य
ब्राह्मणेतर ग्रंथों में बौद्ध तथा जैन साहित्य का उल्लेख किया जा सकता है।
