इतिहासराजस्थान का इतिहास

गुर्जर-प्रतिहार कौन थे

गुर्जर-प्रतिहार

गुर्जर-प्रतिहार – 8 वीं शताब्दी के प्रारंभ में (लगभग 725 ई. में) गुजरात में एक नये राजवंश की स्थापना हुई। यह नया राजवंश गुर्जर-प्रतिहार था। उसने अपने-आपको राम के भाई लक्ष्मण को अपना पूर्वज बताते हुये अपने को सूर्यवंशी शाखा से संबंद्ध किया।

किन्तु कुछ पाश्चात्य इतिहासकारों का कहना है कि जो गुर्जर लोग हूणों के साथ भारत आये थे, उन्हीं की शाखा गुर्जर-प्रतिहार थी। लेकिन कई विद्वानों ने यह सिद्ध कर दिया है, कि गुर्जर-प्रतिहार राजपूत प्राचीन आर्यों के वंशज हैं और उनका आदि निवास भारत ही था।

गुर्जर-प्रतिहार नरेशों को क्षत्रिय ही माना जाता है और इस मत के समर्थक में तर्क दिया जाता है कि प्रतिहारों ने अपने आपको राम के भाई लक्ष्मण का वंशज बताया है। इसके अलावा ग्वालियर के अभिलेख में इसी वंश के राजा वत्सराज को क्षत्रिय बताया गया है। इसी अभिलेख में आगे कहा गया है कि वत्सराज के पुत्र नागभट्ट द्वितीय ने क्षत्रिय वंश के अनुकूल अनेक यज्ञ किये।

गुर्जर-प्रतिहार

कवि राजशेखर ने भी प्रतिहार नरेश महेन्द्रपाल के लिये रघुकुल तिलक लिखा है।

गुर्जर-प्रतिहार कौन थे

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सर्वप्रथम मारवाङ और फिर उज्जैन तथा कन्नौज को अपनी शक्ति का केन्द्र बनाकर सदियों तक भारतीय राजनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले गुर्जर-प्रतिहार कौन थे ? उनका उदय कब और कहाँ से हुआ। इन प्रश्नों का सही उत्तर दे पाना संभव नहीं है।

डॉ.गोपीनाथ शर्मा लिखते हैं, जोधपुर के शिलालेखों से यह प्रमाणित होता है, कि प्रतिहारों का अधिवासन मारवाङ में लगभग छठी शताब्दी के द्वितीय चरण में हो चुका था। उस युग में राजस्थान का पश्चिमी क्षेत्र गुर्जरत्रा कहलाता था, इसलिए प्रतिहारों के नाम से संबोधित करते थे।

चीनी यात्री ह्वेनसांग ने गुर्जर राज्य की राजधानी का नाम पीलोभोलो लिखा है। विद्वानों के अनुसार यह आधुनिक भीनमाल अथवा बाङमेर हो सकता है। डॉ. स्मिथ और स्टेनफोनो आदि विद्वानों ने भी यह मत प्रतिपादित किया था कि इनका उदय राजपूताना में श्रीमाल अथवा भीनमाल में हुआ था।

गुर्जर-प्रतिहार

सातवीं सदी से लेकर चौदहवीं सदी के मध्य जहाँ-तहाँ भी प्रतिहार शासक, चाहे स्वतंत्र शासक के रूप में अथवा किसी सामंत के रूप में पाये गये हैं, उन सभी के लिये प्रतिहार शब्द का प्रयोग न होकर गुर्जर-प्रतिहार शब्द का ही प्रयोग देखने में आता है। परंतु भगवानलाल इन्द्रजी ने गुर्जरों को गूजर माना है।

उनके मतानुसार ये लोग कुषाणों के समय में बाहरी प्रदेश से भारत आये थे। गुप्त शासकों के समय में ये राजपूताना, मालवा और गुजरात में कई वर्षों तक सामन्तों के रूप में शासन करते रहे। बम्बई गजेटियर में भी गुर्जरों को विदेशी माना है और गुजरात में बसने के कारण उनको गुर्जर कहा जाने लगा।

डॉ.भंडारकर उन्हें एक जाति विशेष के रूप में स्वीकार करते हैं। डॉ. ओझा के अनुसार उन्हें विदेशी मानना तर्कसंगत नहीं है। वस्तुतः गुर्जर एवं गुर्जरेश्वर आदि शब्दों का प्रयोग गुर्जर देश के राजा के लिये भी संभव है और गुर्जर जाति के राजा के लिये भी। चूँकि पश्चिमी राजस्थान और गुजरात का क्षेत्र गुर्जरत्रा कहलाता था और प्रतिहार वंशी यहाँ के शासक हुए, अतः प्रतिहारों को गुर्जर-प्रतिहार कहा जाने लगा।

मुंहणोत नैणसी ने प्रतिहारों की 26 शाखाओं का उल्लेख किया है जिनकी अधीनता में राजस्थान का अधिकांश भाग ही नहीं, अपितु गुजरात, काठियावाङ, मध्यभारत एवं बिहार के बहुत से क्षेत्र भी थे।

प्रतिहार नरेश गुर्जर क्यों कहलाये

प्रतिहार नरेशों को गुर्जर शब्द से संबोधित उनके पङौसी राष्ट्रकूट व पाल शासक करते रहे। पङौसियों का यह संबोधन 800ई. से 1000 ई. तक चलता रहा। इसी अवधि काल में अरब के मुसलमानों ने सिन्ध पर आक्रमण कर दिया। वे भी प्रतिहारों को गुर्जर कहते रहे। वे गुर्जर शब्द के लिये जुर्ज शब्द का प्रयोग करते थे।

चूँकि प्रतिहार गुर्जरत्रा क्षेत्र के शासक था, अतः उन्हें गुर्जर शब्द से संबोधित किया जाने लगा। डॉ. दशरथ शर्मा ने भी इस मत को स्वीकार किया है। लेकिन गुर्जर नाम से संबोधित होने से वे विदेशी गुर्जर नहीं हो सकते। ग्वालियर अभिलेख में प्रतिहारों को क्षत्रिय तथा यह वंश सौमित्र (लक्ष्मण) से उद्भूत हुआ कहा गया है। ह्वेनसांग ने भी अपने वर्णन में 72 देशों का उल्लेख किया है, उनमें एक कू-चे-लो (गुर्जर) बताया है।

और उसकी राजधानी भीलामाला बतायी है। यहाँ के राजा क्षत्रिय थे। अतः प्रतिहार वंश वास्तव में क्षत्रिय वंश था। पङौसियों द्वारा या अरबों द्वारा उन्हें गुर्जर कहने से उन्हें गुर्जर कहा जाने लगा। किसी वंश को गुर्जर कह देने से वे यूनानी नहीं हो गये। राजशेखर ने भी अपने आश्रयदाता प्रतिहार नरेश महेन्द्रपाल को रघुकुल तिलक कहा है।

References :
1. पुस्तक - राजस्थान का इतिहास, लेखक- शर्मा व्यास

Online References
wikipedia : गुर्जर-प्रतिहार

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