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मूत्र विकार में हल्दी का उपयोग | Mootr vikaar mein haldee ka upayog | Use of turmeric in urinary disorders

मूत्र विकार में हल्दी का उपयोग

मूत्र विकार
  • हल्दी 5 ग्राम पानी के साथ फँकी लेने से बार-बार पेशाब आने की परेशानी से छुटकारा मिल जाएगा।
  • हल्दी 100 ग्राम, काले तिल ढाई सौ ग्राम और पुराना गुङ तीन सौ ग्राम लें। तिल को भून लें, हल्दी गाय के घी में भून लें, फिर तीनों को कीटपीस कर लड्डू बना लें या यूँ ही खुला छोङ दें। वृद्ध जो सर्दी में बार-बार पेशाब जाते हैं या बच्चे जो बिस्तर में पेशाब कर देते हैं, बच्चों को 58 ग्राम व बङों को 100 ग्राम तक खिला सकते हैं। पानी, लड्डू खाने से पहले पी लें तथा लड्डू खान के बाद चाय या दूध ले सकते हैं। बहुमूत्र में अत्यंत लाभकारी है।
  • आँवले के पत्तों के साथ दारु हल्दी पीसकर सेवन करने से बहुमूत्र में लाभ होता है।
  • हल्दी 30 ग्राम, अजवाइन 20 ग्राम, काले तिल 75 ग्राम को बारीक पीसकर 125 ग्राम, गुङ मिलाकर 6-6 ग्राम की गोलियाँ बनाकर रख लें। सुबह-शाम एक-एक गोली लेने से अधिक मात्रा में पेशाब आना बंद हो जाएगा।
  • दारु हल्दी चुटकी भर, आँवले का रस 5 ग्राम, शहद 5 ग्राम को मिलाकर पीने से मूत्र कृच्छ में आराम मिलता है।

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