घरेलू नुस्खेचिकित्सा

हींग के फायदे क्या-क्या हैं/What are the benefits of asafoetida

हींग के फायदे/heeng ke phaayade

अपच

  • हींग 1 रत्ती को जीरा व नमक के साथ लेने से अपच में लाभ होता है।
  • हींग, छोटी हर्र, सेंधा नमक, अजवाइन समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। 1 चम्मच नित्य 3 बार गर्म पानी से फँकी लेने से अपच ठीक हो जाती है।
हींग के फायदे

अरुचि

  • हींग 2 रत्ती, पीपल आधा चम्मच का चूर्ण करके शहद में मिलाकर लें।
  • हींग, अजवाइन, काला व सफेद जीरा, सोंठ, पीपल, काली मिर्च, सेंधा नमक इन सबको पीसकर, 1 से 5 ग्राम चूर्ण आवश्यकतानुसार मंदाग्नि में लें।
  • हींग, वायविडंग प्रत्येक आधा चम्मच गरम पानी से लें।
  • हींग 2 रत्ती, अजवाइन 1 चम्मच, सेंधा नमक चुटकी भर इन सबको चूर्ण करके गर्म पानी से लें।
  • हींग के सेवन से अरुचि दूर होकर मंदाग्नि दूर होती है तथा जठराग्नि प्रदीप्त होती है।
  • हींग भुनी हुई 1 चुटकी, मीठा सोडा 2 ग्राम, जीरा 5 ग्राम चूर्ण बनाकर गर्म पानी से लें।

अजीर्ण

  • हींग, काली मिर्च, सोंठ, पीपल सेंधा नमक बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। भोजन से आधा घंटे पहले आधा चम्मच चूर्ण लें।
  • हींग भुनी हुई 3 ग्राम, 2 चम्मच सेंधा नमक पीसकर रख लें। नित्य भोजन के बाद कुछ दिन तक आधा चम्मच चूर्ण लें।
  • हींग धीमी भुनी हुई 2 चुटकी, काला नमक 2 ग्राम, अजवाइन, हरङ 4-4 ग्राम। सबका चूर्ण बनाकर भोजन के बाद नित्य आधा चम्मच चूर्ण गरम पानी से लें।
  • हींग थोङी सी, गुङ, राई, काली जीरी ये सब बराबर मात्रा में लेकर आधआ चम्मच चूर्ण गरम पानी से लें।
  • आधी चुटकी हींग को पानी में घोलकर भोजन के बाद पीने से अजीर्ण दूर होता है।
  • हींग 2 चुटकी, जीरा, अजवाइन, सोंठ, हरङ, पीपल प्रत्येक 2 चम्मच सबको मिलाकर चूर्ण बनायें। नित्य दोनों समय भोजन के बाद आधा चम्मच चूर्ण लें।
  • हींग 20 ग्राम, काला नमक 50 ग्राम, अजवाइन, काली मिर्च, जीरा, सोंठ, सौंफ प्रत्येक 100 ग्राम लेकर पीस व छान लें। नीबू के रस में चूर्ण मिलाकर मटर के बराबर गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा लें। अपच, भूख न लगना, गैस, पेट दर्द, कब्ज तथा दस्त होने पर दिन में तीन बार 1-1 गोली चूसें। पेट की सब तकलीफों में आराम मिलेगा।

उल्टी

  • थोङी सी हींग को प्याज के रस में मिलाकर बार-बार चटाएँ।
  • थोङी सी हींग व हल्दी पानी में मिलाकर चटाएँ।
  • थोङी सी हींग व बङी इलायची के दाने पीसकर शहद में मिलाकर चटाएँ।
  • हींग घी में भुनी हुई 5 ग्राम, अजवाइन, मुनक्का (बिना बीज का), काला नमक, काली मिर्च प्रत्येक 10 ग्राम को मिलाकर पीस लें। 2 ग्राम चूर्ण 1 घूँट पानी से ले लें। उल्टी व उबकाई दूर हो जाएगी।
  • हींग, अनन्तमूल 3-3 ग्राम को पीस लें। 3 ग्राम चूर्ण पानी से लें, तुरंत असर होगा।
  • हींग आधी चुटकी, पीपल का चूर्ण 1 चुटकी, नीबू का रस आधा चम्मच को शहद में मिलाकर चटाएँ।

खाज-खुजली

  • त्वचा रोग, खाज-खुजली आदि से मुक्ति के लिए भुनी हुई हींग को गुङ में मिलाकर खाएँ।
  • हींग 2 ग्राम, अजवाइन 10 ग्राम को थोङे से पानी में पीसकर लगाएँ।
  • हींग व कपूर जरा सा, नीबू का रस, चमेली का तेल इन सबको मिलाकर दाद, खाज, खुजली पर लगाएँ।
  • हींग 3 ग्राम, कलमी शोरा 50 ग्राम, मिट्टी का तेल 25 ग्राम, थोङा सा नीबू का रस इन सबको घोंट कर खाज वाली जगह पर लगाएँ।
  • हींग व मैदा को मिलाकर पुल्टिस बनाकर छाजन पर लगाकर पट्टी बाँधें।
  • हींग आधा चम्मच, मजीठ 1 चम्मच, गंधक 2 चम्मच इन सबको पीसकर घी में मिलाकर छाजन पर लगाएँ।

कब्ज

  • हींग के चूर्ण में थोङा सा मीठा सोडा मिलाकर खाने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।
  • अजवाइन, नमक व हींग का चूर्ण लेने से पेट का दर्द, अफारा, ऐंठन तथा कब्ज आदि में लाभप्रद रहता है।
  • हिंग्वाष्टक चूर्ण, छोटी हरङ, मीठा सोडा (प्रत्येक 10 ग्राम) इन सबको मिला लें। जिन्हें लगातार कब्ज की शिकायत रहती हो वे यथाशक्ति लेते रहें।
  • हींग 4 ग्राम भुनी हुई, सोंठ, छोटी हरङ, पीपल, काला नमक, निशोथ (प्रत्येक 50 ग्राम) इन सबको चूर्ण बनाकर सुबह-शाम आधा चम्मच चूर्ण गरम पानी से लें।
  • हींग आधा ग्राम, सोंठ, सनाय, सौंफ, सेंधा नमक, छोटी हरङ, सौंफ (प्रत्येक 5 ग्राम) का चूर्ण कर लें। रात को सोते समय 1 चम्मच चूर्ण गर्म पानी से लें।

कान

  • हींग 5 ग्राम, लहसुन 2 कली, थोङा सा नमक, 2 चम्मच सरसों के तेल में हींग जलने तक भून लें। तेल छानकर 2-2 बूँद रोज रात कान में डालें। कान में दर्द, खुश्की, साँय-2 की आवाज आदि ठीक हो जाएगा।
  • हींग, सोंठ, अफीम बराबर मात्रा में लेकर तिल या सरसों के तेल में पकाकर कान में डालते रहने से बहरापन दूर हो जाएगा।
  • हींग को सोंठ, सेंधा नमक, तिल या सरसों के तेल में पकाकर कान की व्याधियों में डालें।
  • हींग, अफीम, सेंधा नमक आधी-2 चुटकी को गरम पानी में मिलाकर 2-2 बूँद कान में पीङा होने पर डालें।
  • हींग और अफीम सरसों के तेल में पकाकर कान दर्द में डालें।
  • हींग को गाय का बकरी के दूध में घिसकर 4-5 बूँदें कान में डालिए। कुछ दिनों में बहरेपन में लाभ होगा।
  • हींग को तिल के तेल में पकाकर, तेल ठंडा करके कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।

काँच या काँटा चुभने पर

शरीर में कहीं भी काँच या काँटा घुस गया हो तो हींग को पानी में घिसकर वहाँ लेप करने से वह अपने आप बाहर आ जाता है।

खाँसी

  • हींग, सोंठ, मुलहठी 2-2 ग्राम को पीसकर शहद या गुङ में मिलाकर चने के बराबर गोलियाँ बना लें। सुबह-शाम भोजन के बाद 1 गोली चूसें। खाँसी व हाजमा ठीक हो जाएगा।
  • हींग 1 रत्ती, अदरक का रस 1 चम्मच को 1 चम्मच शहद में मिलाकर चटाएँ।
  • हींग 1 रत्ती, कपूर 2 रत्ती को पीसकर शहद में मिलाकर सुबह-शाम चटाएँ।
  • हींग भुनी हुई, काली मिर्च, वायविडंग, कूठ, शुद्ध मैनसिल, सेंधा नमक ये सब समान मात्रा में लेकर चूर्ण करके सुबह-शाम 2 चुटकी चूर्ण शहद के साथ लें।
  • हींग को गर्म पानी में घोलकर पिलाने से कफ पतला होकर निकल जाता है। पुरानी खाँसी, जुकाम, श्वास आदि के रोगों में लाभ होता है।

गला

  • जुकाम का पानी गले में गिरने या जलवायु परिवर्तन से आवाज बैठ जाए तो आधा ग्राम हींग गर्म पानी में घोलकर गरारे करें, आवाज ठीक हो जाएगी।
  • अदरक में छेद करके उसमें जरा सी हींग और काला नमक भर दें। अदरक पर पान का पत्ता लपेट कर गीली मिट्टी चढा दें और आग पर सेंक लें, फिर मिट्टी हटाकर अदरक को पीसकर मटर के बराबर गोलियाँ बनाकर 3 घंटे से 1-1 गोली चूसें। गला बैठना, दर्द, नजला, जुकाम आदि से मुक्ति शीघ्र ही मिल जाएगी।


गैस

  • जिन्हें अक्सर गैस बनने की शिकायत रहती है उन्हें दाल व सब्जी में नियमित रूप से हींग का सेवन करना चाहिए।
  • पेट में अफारा होने पर हींग 1 रत्ती भुनी हुई को काले नमक के साथ गरम जल से सेवन करें तथा पानी में हींग को घिसकर पेट पर लेप करने से लाभ होता है।
  • हींग घी में भुनी हुई , सोंठ, अजवाइन, काली मिर्च, पीपल, सेंधा नमक, सफेद और काला जीरा समान मात्रा में कूट-पीसकर रख लें। 1 चम्मच चूर्ण में 1 चम्मच घी मिलाकर भोजन के साथ दोनों समय 8-10 दिन तक खाने से मंदाग्नि, अपच, अरुचि और गैस प्रकोप शांत होकर आराम मिलता है।
  • हींग 1 ग्राम, राई 2 ग्राम को पीसकर गरम पानी से लें।
  • हींग 3 ग्राम, सौंफ, सोंठ, छोटी हरङ, सेंधा नमक (प्रत्येक 10 ग्राम) सबको मिलाकर चूर्ण कर लें। आधा चम्मच चूर्ण गरम पानी से लें।
  • हींग, इलायची 2-2 रत्ती पीसकर गर्म पानी के साथ देने से वायु द्वारा उत्पन्न मूत्रावरोध दूर हो जाता है।

घाव

  • घाव में कीङे व पीप हो जाने पर नीम की पत्तियों को पानी में उबाल कर घाव को साफ करें, फिर हींग 3 ग्राम व नीम की पत्तियों को पीस लें, इसमें 10 ग्राम घी मिलाकर पुल्टिस बना लें। इस पुल्टिस को 5-6 दिन बाँधने से कीङे मर जाते हैं तथा घाव भरने लगता है।
  • हींग एक अच्छी रोग-प्रतिरोधक (एण्टीसेप्टिक) भी है। जख्म में कीङे पङ जाने पर उसमें हींग का चूर्ण डालना चाहिए।

जोङों का दर्द

  • जोङो के दर्द की शिकायत होने पर नियमित रूप से हींग का सेवन करें।
  • हींग, लहसुन और सेंधा नमक (प्रत्येक 5 ग्राम) तेल में भूनकर इस तेल से जोङों की मालिश करके उस अंग को ढक दें। आधा चम्मच यह तेल 100 ग्राम दूध में उबालकर पी लें।

ज्वर

  • सन्निपात में जब अचानक शरीर ठंडा पङ जाए या तेज बुखार में हींग को सूखा या पानी में हींग घोलकर हथेली या पगतली में मलें।
  • भोजन के साथ प्रतिदिन हींग का सेवन किया जाए तो मलेरिया नहीं हो पाता।
  • बुखार में कँपकँपी होने पर अदरक के रस में हींग मिलाकर देने से कँपकँपी दूर हो जाती है।
  • टाइफाइड बुखार में भी हींग का प्रयोग लाभप्रद है।
  • हींग, कपूर तथा आम की गुठली बराबर मात्रा में मिलाकर पोदीने के साथ गोलियाँ बनाकर लेने से हैजा में लाभ होता है।

जुकाम

  • हींग, काला जीरा, दालचीनी, तेजपत्ता, इलायची, नागकेशर, बच, वायविडंग (बराबर मात्रा) में लेकर महीन पीसकर कपङे की पोटली बनाकर सर्दी, जुकाम होने पर बार-बार सूँघें।
  • हींग 1 ग्राम, 10 काली मिर्च के चूर्ण को 10 ग्राम गुङ में मिलाकर सुबह-शाम खाएँ, ऊपर से गर्म पानी पीएँ। जुकाम ठीक हो जाएगा।
  • हींग के घोल को सूँघने से नाक में जमा कफ बाहर निकल जाता है एवं दुर्गंध भी दूर हो जाती है।

दस्त (अतिसार)

  • हींग, जायफल, काली मिर्च 5-5 ग्राम, केशर 5 रत्ती। सबको गो-दूध में खरल करके उङद के दाने के बराबर गोलियाँ बना लें। मट्ठा या पानी के साथ 1-1 गोली 3 घंटे में दे।
  • हींग भून लें, आम की गुठली भूनकर गिरी निकाल लें, चुटकी भर सेंधा नमक मिलाकर महीन पीसकर एक या आधा ग्राम का सेवन करने से मरोङ, पतले दस्त, घबराहट में तुरंत आराम आ जाएगा।
  • हींग भुनी हुई 1रत्ती, जरा सी अफीम तथा कबाबचीनी इन सबका चूर्ण बनाकर दें।
  • हींग, काली मिर्च, कपूर (2-2 ग्राम) तथा अफीम आधा ग्राम इन सबको पीसकर अदरक के रस में मिलाकर मूँग के बराबर गोलियाँ बना लें। 1-1 गोली 3 घंटे से दें। 1-2 गोली में ही आराम हो जाएगा।
  • हींग भुनी हुई, हरङ भुनी हुई, आम व जामुन की गुठली इन सबको खरल करके आधा चम्मच पानी के साथ दें।
  • हींग 2 ग्राम, सौंफ, बेलगिरी, मिश्री, सोंठ (प्रत्येक 50 ग्राम) लें। हींग और आँव हो या आँव में खून आता हो तो लाभ होगा।
  • हिंग्वाष्टक चूर्ण, छोटी हरङ, मीठा सोडा बराबर मात्रा में लें। 3 ग्राम चूर्ण दिन में 2 बार लें। आँव में लाभ होगा।

दाँत

  • हींग में जरा सा कपूर मिलाकर, दाँत या दाढ में दर्द होने पर लगाने से दर्द बंद हो जाता है।
  • हींग को उबले पानी में डालकर उसका धुआँ दाँत दर्द में सुँघाएँ।
  • दाँत में छेद होकर कीङे हो जाते हैं, जिससे उनमें वेदना होने लगती है। इन छेदों को हींग से दबाने से कीङों का नाश होता है व दर्द दूर हो जाता है।
  • दाँत या दाढ में छेद हो जाने पर हींग को नीबू के रस में मिलाकर रुई का फाया भिगोकर छेद करने में रखने से दर्द में लाभ होता है।
  • दाँतों में दर्द होने पर सरसों का तेल दाँतों पर मलें फिर गुनगुने पानी में हींग घोलकर दिन में 2-3 बार कुल्ला करें।
  • हींग को पानी में उबालकर, उस पानी से कुल्ला करने पर दाँतों का दर्द ठीक हो जाता है।

नशा

  • 5 ग्राम हींग को छाछ में मिलाकर कुछ समय के अंतर से अफीम का नशा व जहर उतारने के लिए सेवन करें।
  • हींग चार ग्राम, पानी में घोलकर पिलाने से लाभ होता है।
  • अरहर की थोङी सी दाल थोङे से पानी में भिगोएँ। उस पानी में एक रत्ती हींग घोलकर शराबी को पिलाएँ।
  • हींग 1 रत्ती चठाकर ऊपर से नारियल पानी शराब के नशे में दें।
  • हींग पानी में घोल कर पिला दें। उल्टी होकर विष का प्रभाव जाता रहेगा।

न्यूमोनिया

  • हींग 2 रत्ती को 3-4 मुनक्कों के बीज निकालकर भर दें फिर इन्हें गरम करके खिलाएँ।
  • हींग राई के बराबर 1 चम्मच गरम पानी में घोलकर पिलाएँ। कफ पतला होकर निकल जाता है, दुर्गंध व कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
  • हींग 2 रत्ती, 5 काली मिर्च, 10 पीपल के फल, 20 तुलसी के पत्ते इन सबको पीसकर शहद में मिलाकर चटाएँ।
  • थोङा सा हींग व कपूर तारपीन के तेल में मिलाकर रोगी की छाती पर मलें। हवा न लगने दें।
  • हींग 1 रत्ती तथा लहसुन का रस चौथाई चम्मच को 1 चम्मच शहद में मिलाकर चटाएँ।
  • हींग रोगी की छाती पर लगाएँ। इसके साथ हरङ की घुट्टी में हींग मिलाकर रोगी को 2-3 बार देने से दस्त लगेगा और उसमें कफ निकल जाएगा।
  • अदरक की 1 गाँठ व 10-15 तुलसी के पत्तों का रस तथा 2 रत्ती भुनी हुई हींग इन सबको शहद में मिलाकर चटाएँ।

पेट दर्द

  • उदर शूल में नाभि के चारों तरफ हींग का लेप करने से लाभ होता है।
  • 2 रत्ती हींग को गर्म पानी के साथ लेने से उदर शूल दूर होता है।
  • हींग, दालचीनी (प्रत्येक चौथाई चम्मच) लेकर पीसकर 1 गिलास पानी में मिलाकर उबाल कर ठंडा कर लें। 4 चम्मच पानी नित्य पीने से पेट दर्द ठीक हो जाता है।
  • हींग भुनी हुई, हरङ, सोंठ, पीपल, अतीस, बालबच, काली मिर्च, काला नमक (प्रत्येक 10 ग्राम) लेकर पीस लें। 3 ग्राम चूर्ण गरम पानी से लें।
  • हींग थोङी सी, दालचीनी 2 ग्राम व काला नमक मिलाकर पीस लें। पेट दर्द में इस चूर्ण का सेवन करें।
  • हींग जरा सी में अजवाइन चूर्ण आधा चम्मच मिलाकर गरम पानी से लें।
  • सिरके में रत्ती भर हींग मिलाकर चाटें।
  • मुनक्के के बीज निकालकर थोङी सी हींग उसमें भरकर पेट दर्द में लें।
  • हींग आधा चुटकी, काली मिर्च 2 चुटकी को अदरक का रस आधा-आधा चम्मच, नीबू का रस 1 चम्मच में मिलाकर गर्म पानी से लें।
  • हींग सिकी हुई, जीरा या अजवाइन, सोंठ, व सेंधा नमक या काला नमक मिलाकर चौथाई चम्मच गर्म पानी से फँकी लेने से अपच व पेट दर्द दूर होता है।
  • पेट दर्द वायु रुकने से हो तो 2 ग्राम हींग आधा किलो पानी में उबालें। चौथाई पानी रहने पर गर्म-गर्म पिला दें।
  • हींग भुनी हुई 1 भाग, गुङ 2 भाग को मिलाकर चने के बराबर बच्चों को और 4-5 चने के बराबर बङों को खिलाएँ। पेट दर्द में तुरंत आराम होगा।
  • हींग 2 रत्ती, पोदीना 4 ग्राम, सौंफ व अजवाइन आधा-आधा चम्मच, थोङा सा काला नमक इन सबको मिलाकर चूर्ण बना लें। पेट दर्द होने पर आधा चम्मच चूर्ण पानी से लें।

पित्ती

  • हींग को घी में मिलाकर पित्ती पर लगाने से लाभ होता है।
  • थोङी सी हींग को सिरके व गुलाब जल में मिलाकर लगाएँ।
  • हींग 1 ग्राम में अरकरा 3 ग्राम को मिलाकर पानी से लें।
  • हींग 1 ग्राम, अजवाइन 2 ग्राम जरा सी गंधक इन सबको पीसकर शहद में मिलाकर सुबह-शाम लें।

बाला (नारू)

  • हींग 5 ग्राम को 1 गिलास ठंडे पानी में घोलकर सुबह-शाम 2 बार, चार दिन पीने से बाला रोग कभी नहीं होता।
  • हींग 2 चने के बराबर, 60 ग्राम मोठ के आटे में मिलाकर पानी में घोलकर गर्म करें। जब लेई जैसा हो जाए, उतार कर बाला पर इसकी पट्टी बाँधें। इस पुल्टिस से सूत सा बाला निकल जाएगा।
  • 1 कप दही में आधा चम्मच हींग पाउडर मिलाकर खाली पेट लेने से नारू रोग समाप्त हो जाता है।
  • हींग को तेल में भूनकर, सूजन पर लगा दें। त्वचा फाङकर नारू निकलेगा, उसे जङ के पास से धागे से बाँध दें, 2-3 बार तेल लगाने से वह पूरा निकल जाएगा।

मूत्र रोग

हींग को सौंफ के अर्क में मिलाकर लेने से मूत्र अवरोध दूर होता है तथा मूत्र का उत्सर्जन बढता है।

मिरगी (हिस्टीरिया)

  • 10 ग्राम हींग को कपङे में सिलकर गले में पहनने से मिरगी का दौरा रुक जाता है।
  • हींग भुनी हुई, काली मिर्च, सोंठ, पीपल, काला नमक समान मात्रा में पीसकर 1 चम्मच चूर्ण 1 कप पेठे के रस में मिलाकर नित्य पीते रहने से मिरगी आना बंद हो जाता है।
  • हिस्टीरिया के दौरे की अवस्था में हींग सुँघाएँ तथा अल्प मात्रा में गुङ या मिश्री के साथ सेवन कराएँ। बेहोशी दूर हो जाती है।
  • मिरगी व हिस्टीरिया के रोगियों को रोजाना 2 रत्ती हींग का लंबे समय तक सेवन करना चाहिए।
  • हींग 1 रत्ती तथा बच 2 रत्ती का चूर्ण बनाकर शहद में मिलाकर कुछ महीने नियमित चटाएँ।
  • हींग व 2 ग्राम तगर के पत्ते पानी में पीसकर नित्य सुबह पिलाएँ।
  • हींग 2 ग्राम, अजवाइन, काला नमक 3-3 ग्राम, नीम की ताजी पत्तियाँ इन सबको 100 ग्राम पानी में घोंटकर पिलाएँ।
  • हींग, कपूर, अपामार्ग के बीज (प्रत्येक 10 ग्राम) इन सबका चूर्ण बना लें, सुबह-शाम 1-1 चम्मच चूर्ण दूध या पानी से हिस्टीरिया के रोगी को दें।
  • हींग, बच, जटामासी (20-20 ग्राम), काला नमक 40 ग्राम, वायविडंग 150 ग्राम इन सबको पीस लें। दिन में तीन बार तीन-तीन ग्राम चूर्ण गर्म पानी से लें। कुछ महीने लगातार लें।
  • भुनी हुई हींग, बच, जटामांसी 20-20 ग्राम, कूठ, काला नमक 40 ग्राम, वायविडंग 150 ग्राम को कूट पीसकर महीन चूर्ण बना लें। आधा चम्मच (3 ग्राम) चूर्ण गुनगुने पानी से दिन में 3 बार लें। हिस्टीरिया, मिरगी, उप-स्मार में लाभप्रद है। हिस्टीरिया के रोगी को शांति, शक्ति व गहरी नींद देता है।
  • घी में भुनी हुई हींग, काला नमक, एलुआ तीनों 10-10 ग्राम लेकर नीबू के रस में घोंट कर मटर के बराबर गोलियाँ बना कर छाया में सुखा लें। 1-1 गोली सुबह-शाम लेने से कोष्ठबद्धता, अजीर्ण, पेट फूलना आदि के साथ हिस्टीरिया के लिये यह परीक्षित नुस्खा है। कामवासना व उत्तेजना बढाने वाले आचार-विचार से बचें। मन शांत तथा प्रसन्न चित्त रखें।

विषैले जीव के काटने पर

  • हींग को आक के दूध में घिसकर बिच्छू काटे पर लगाएँ।
  • हींग को आक के दूध में मिलाकर बिच्छू के दंश स्थान पर लेप करने से थोङी ही देर में लाभ होने लगता है।

बिवाई

  • शुद्ध हींग 1 भाग, इलायची 2 भाग को पीसकर कपङछान कर चूर्ण बना लें।10 ग्राम चूर्ण खौलते दूध में मिलाकर रात को भोजन के बाद तीन दिन पिएँ।
  • हीरा हींग 2 ग्राम, मोम, कत्था, राल तथा काली मिर्च इन सबको खरल करके थोङे से तिल के तेल में पकाएँ। गाढा होने पर उतार लें। इस मल्हम को बिवाई पर लगाएँ ।
  • हींग 2 ग्राम, राल व आम्बा हल्दी (प्रत्येक 10 ग्राम) तथा मोम 5 ग्राम को सरसों के तेल में गर्म करें। इस मल्हम को बिवाई पर लगाएँ।

सिर दर्द

  • सर्दी से सिर दर्द हो तो हींग गर्म पानी में घोलकर माथे पर लेप करें।
  • हींग को पानी में घोलकर सूँघने से आधे सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
  • हींग चने के बराबर, लौंग 2, काली मिर्च 3 इन सबको पीसकर नस्य दें। सिर की पीङा दूर हो जाएगी।
  • अरकरा की लकङी छीलकर उसमें जरा सी हींग लगाकर जिस तरफ दर्द है उसकी दूसरी तरफ दाढ के नीचे दबाएँ।
  • जरा सी हींग को गाय के घी में मिलाकर नाक में चढाएँ।
  • जरा सी हींग में नीबू का रस मिलाकर नाक में डालें।
  • हींग जरा सी को नीबू की पत्तियों के रस में मिलाकर सूँघें।
  • हींग थोङी सी तथा सोंठ को पानी में मिलाकर माथे पर लेप करें।
  • हींग एक रत्ती को नमक में मिलाकर चूसें, फिर पानी पी लें।
  • हींग 1 ग्राम, पीपल 2 ग्राम, जीरा 5 ग्राम इन सबको पीसकर शहद में मिलाकर चाटें।
  • हींग 1 ग्राम, धतूरे के 2 बीजों को पानी से निगल लें।

हिचकी

  • हींग व उर्द या अकेले हींग की धूनी नासिका में देने से हिचकी रोग शांत होता है।
  • हींग एवं मोर पंख के चँदवे की भस्म मिलाकर शहद के साथ चटाने से हिचकियाँ शीघ्र ठीक होती हैं।
  • हिचकी व डकार अधिक आती हों तो 1 बाजरे के बराबर हींग को गुङ या केले में रखकर खा लें।
  • हींग को पानी में मिलाकर पेट पर मलें।
  • हींग 1 ग्राम, कलौंजी 3 ग्राम को पीसकर मक्खन में मिलाकर चाटें।
  • हींग 2 ग्राम, राई 10 ग्राम पानी में उबालकर-छानकर गुनगुना पिएँ।

ह्रदय रोग

  • हींग दुर्बल ह्रदय को शक्ति देता है। हींग के प्रयोग से ह्रदय को शक्ति मिलती है इससे रक्त नहीं जमता और रक्त में थक्के नहीं पङते तथा रक्त संचार भली प्रकार व सरलता से होता है। यह रक्त को जमने से रोकता है।
  • हींग घी में भुनी हुई, अजवाइन, काला व सफेद जीरा तथा सेंधा नमक बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। तीन ग्राम चूर्ण ताजे पानी से लें। दिल बैठना, दर्द आदि में लाभ होता है।
  • हींग भुनी हुई, वायविडंग, काली मिर्च, कुठ, मैन्सिल, सेंधा नमक (प्रत्येक 10 ग्राम) सबको पीसकर छान लें। आधा ग्राम चूर्ण व आधा चम्मच शहद में मिलाकर चटाएँ। दिल की घबराहट दूर हो जाएगी।

स्त्रियों की बीमारियों में हींग के फायदे

मासिक धर्म

  • जिन स्त्रियों के गर्भपात हो जाता हो या जो बाँझ हों, अनिश्चित या समय से पूर्व अधिक या कम मासिक स्त्राव हो, दर्द पूर्ण मासिक धर्म, श्वेत प्रदर आदि में 1/8 लीटर बकरी के दूध में 1/8 ग्राम भुनी हुई हींग व शहद मिलाकर दिन में 3 बार कुछ माह तक देने से समस्त स्त्री रोगों में निश्चित रूप से लाभ होगा।
  • मासिक धर्म में दर्द व स्त्राव कम होता हो तो हींग का सेवन बहुत लाभप्रद है।
  • हींग 3 ग्राम, सोंठ, काली मिर्च, भारंगी, पीपल (प्रत्येक 10 ग्राम) इन सबको पीस लें। 50 ग्राम काले तिलों में 10 ग्राम ब्राह्मी बूटी पीसकर काढा बनाकर बाकी के चूर्ण को भी उसमें भूनकर नित्य सुबह-शाम दो-ढाई ग्राम माहवारी के 8-10 दिन पहले से लें। कमर दर्द व माहवारी नियमित होने पर छोङ दें।
  • मासिक धर्म के समय जलन व दर्द दूर करने तथा मासिक स्त्राव नियमित करने के लिये थोङी सी हींग में तेल डालकर पीस लें, शक्कर या गुङ के हलवे में इस चूर्ण को मिलाकर थोङा-थोङा रोज कुछ दिनों तक खाएँ।

गर्भपात

  • 5 ग्राम हींग में थोङा नमक मिलाकर इसकी 50-60 छोटी गोलियाँ बना लें।
  • गर्भपात जिस महीने में हुआ हो उस माह से प्रसव तक नित्य औषधि रूप में लें। पित्त प्रकृति हो तो सोच-समझकर अल्प मात्रा में लें।

प्रसव वेदना में हींग से आराम

  • प्रसव के समय दर्द उठने पर हल्दी तथा सोंठ 5-5 ग्राम को 250 ग्राम पानी में आग पर चौथाई रहने तक जलाएँ। प्रसूता को यह काढा पिलाएँ तथा नाभि व पेट पर हींग को थोङे से पानी में मिलाकर लेप करना चाहिए।
  • हींग (बाजरे के बराबर) रो गुङ के टुकङे में लपेट कर निगल जाएँ, दो घूँट से अधिक पानी न पीएँ। बिना कष्ट के शीघ्र ही प्रसव हो जाएगा।
  • हींग (1/16 ग्राम) को 1 चम्मच लौंग के अर्क में मिलाकर दिन में 3 बार कुछ महीनों तक जच्चा को देने से प्रसव के बाद स्त्राव को रोकने में कुछ महीने माँ को इसे दिन में 3 बार देने से माँ का दूध बढता है। साथ ही इससे उदर फूलता नहीं है और पाचन क्रिया में मदद मिलती है।
  • प्रसव के बाद हींग का सेवन करने से गर्भाशय की शुद्धि होती है तथा हींग गर्भाशय-संकोचक का कार्य करती है।
  • हींग के धुएँ में जीवाणुनाशक गुण होता है अतः प्रसव के बाद प्रसूता को खोखले मूढे पर बैठाकर अंगारे पर हींग रखकर धुआँ देना चाहिए।
  • हींग आधी चुटकी घी में भूनी हुई, अजवाइन 4 ग्राम, काला नमक 3 ग्राम – इन सबको पीस लें। प्रसव के बाद गर्भाशय का संकुचन, दूषित स्त्राव, जरायु के दूषित अंश निकलना आदि में सुबह-शाम प्रसूता को 1-1 चुटकी चूर्ण खिलाएँ।
  • हींग 2 रत्ती भुनी हुई को घी में मिलाकर गरम पानी के साथ लें। पेडू के दर्द में लाभ होगा।
  • हींग भुनी हुई 1 रत्ती, लहसुन का रस 6 ग्राम को गाय के घी में मिलाकर गर्म करने के बाद पेडू के दर्द में लें।
  • हींग 2 ग्राम, पीपल, पीपलामूल को गुङ के गरम पानी में दें। जरायु के छोटे-छोटे टुकङे आसानी से निकलना, गर्भाशय का दर्द, नाभि के नीचे दर्द, सुई चुभना, गोला बनना, अफारा आदि में लाभ होगा।

बच्चों की बीमारियों में हींग के फायदे

चुन्ने

  • हींग को पानी में घिसकर रूई को उसमें भिगोकर मलद्वार पर रखने से कीङे मर जाते हैं।
  • हींग जरा सी पपीते के रस में घोलकर शहद मिलाकर चटाएँ।
  • हींग 1 रत्ती को तुलसी के 1 चम्मच रस में मिलाकर चटाएँ।

कृमि

बाजरे के बराबर हींग को पानी या दूध में मिलाकर बच्चों को पिलाने से बच्चों के पेट के कीङे मर जाते हैं।

श्वास

  • सर्दी में बच्चों की छाती में खरखराहट और साँस की तकलीफ होने पर थोङी-सी हींग को पानी में घोलकर पिलाने से बच्चे की साँस की तकलीफ दूर हो जाती है तथा रुका हुआ कफ पतला होकर निकल जाता है।
  • बच्चों की साँस में दुर्गंध होने पर हींग को पानी में मिलाकर पिलाने से दुर्गंध दूर हो जाती है।
  • हींग और लहसुन को एक साथ कपङे में बाँधकर बच्चे के गले पर रखने से बेहोशी के दौरों में लाभ होता है।

अफारा

  • भुनी हुई हींग, अजवाइन, काला नमक का 2 रत्ती चूर्ण गरम पानी से दें।
  • हींग को गरम पानी में घिसकर पेट पर मलें।

खाँसी

  • हींग आधी रत्ती को गरम पानी से दें, खाँसी में आराम आ जाएगा।
  • बहेङे के छिलकों को बकरी के दूध में भिगोएँ, फिर थोङे से घी में भूनकर 5 ग्राम भुनी हुई हींग मिलाकर पीस लें। आधा चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर काली खाँसी में दिन में 2-3 बार चटाएँ।

शक्तिवर्धक

  • हींग भुनी हुई, सोंठ, पीपल, काली मिर्च समान मात्रा में सब पीसकर नित्य चौथाई चम्मच गर्म पानी में फँकी लें। शरीर में शक्ति बढती है।
  • अशक्त व नामर्द व्यक्तियों को हींग को घी में भूनकर शहद में मिलाकर प्रातःकाल लेने से लाभ होता है। हींग को बरगद के पेङ के गोंद में मिलाकर खाने से भी लाभ होता है।
  • हींग चुटकी भर गाय के दूध में मिलाकर कुछ दिनों तक पीएँ।
  • हींग 3 ग्राम देशी घी में भुनी हुई, असगंध, नागौरी, सौंफ (प्रत्येक 30 ग्राम) इन सबको पीस लें। 6-6 ग्राम चूर्ण सुबह शाम लें। स्मरण शक्ति बढेगी, स्नायु दुर्बलता दूर होगी।
  • हींग राई के बराबर लेकर पानी में मिलाकर 2-2 बूँद नाक में टपकाएँ। तेज गर्म पानी में हींग व सेंधा नमक मिलाकर पिलाएँ। दिमाग की कमजोरी दूर होगी।
  • हींग 3 ग्राम को थोङे से पानी में मिलाकर रात को लिंग पर 2-3 सप्ताह लेप करने से नसों में फिर से जान आ जाएगी व नामर्दी दूर हो जाएगी।

सामान्य प्रयोग

  • कुटी हुई मिर्च को कीङों से बचाने के लिये उसमें हींग के 3-4 टुकङे डालकर रखें।
  • बर्तन में पहले हींग का धुआँ दें फिर उसमें अचार भर दें। इससे अचार खराब नहीं होता।
  • सूखी नीम की पत्तियों पर हींग का पानी छिङक कर अंगारों पर डाल दें, मच्छर भाग डाएँगे।
  • पकौङे बनाते समय घोल में चुटकी भर हींग व थोङी सी सौंफ डाल दी जाए तो पकौङे अधिक स्वादिष्ट बनेंग।

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