पल्लव काल में नंदिवर्मन कला शैली(800-900ई.)
पल्लव काल में नंदिवर्मन कला शैली में छोटे मंदिरों का निर्माण हुआ। इसके उदाहरण काञ्ची के मुक्तेश्वर एवं मातंगेश्वर मंदिर, ओरगडम् का बङमल्लिश्वर मंदिर, तिरुतैन का वीरट्टानेश्वर मंदिर, गुडिडमल्लम का परशुरामेश्वर मंदिर आदि हैं।
काञ्ची के मंदिर इस शैली के प्राचीनतम नमूने हैं।इनमें प्रवेश द्वार पर स्तंभयुक्त मंडप बने हैं। शिखर वृत्ताकार अर्थात बेसर शैली का है। विमान तथा मंडप एक ऊँची चौकी पर स्थित है। छत चिपटी है। शैली की दृष्टि से ये धर्मराज रथ की अनुकृति प्रतीत होते हैं। इसके बाद के मंदिर चोल-शैली से प्रभावित एवं उसके निकट हैं।
इस प्रकार पल्लव राजाओं का शासन काल कला एवं स्थापत्य की उन्नति के लिये अत्यन्त प्रसिद्ध रहा। पल्लव कला का प्रभाव कालांतर में चोल तथा पाण्ड्य कला पर पङा तथा यह दक्षिण पूर्व एशिया मे पहुँची। कलाकारों ने बौद्ध चैत्य एवं विहारों की कला को हिन्दू स्थापत्य में परिवर्तित कर दिया तथा शीघ्र नष्ट होने वाली काष्ठ कला को पाषाण में रूपान्तरित कर उसे उन्नत बनाया।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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