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लार्ड वारेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक सुधार

लार्ड वारेन हेस्टिंग्ज

लार्ड वारेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक सुधार (laard vaaren hestingj ke prashaasanik sudhaar)- लार्ड वारेन हेस्टिंग्ज एक महत्वाकांक्षी व्यक्ति था। वह भारत में ब्रिटिश राज्य को सुदृढ करना चाहता था। अतः उसने अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए कई सुधार किये थे।

लार्ड वारेन हेस्टिंग्ज

लार्ड वारेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक सुधार निम्नलिखित हैं-

शासन संबंधी सुधार

  • 1765 ई. में क्लाइव ने बंगाल में द्वैध शासन की स्थापना की थी जो कंपनी एवं बंगाल के लोगों के लिए हानिप्रद सिद्ध हुई थी। अतः कंपनी के संचालकों के आदेशानुसार 1772 ई. में वारेन हेस्टिंग्ज ने बंगाल में द्वैध शासन को समाप्त कर दिया। बंगाल के उपनवाब मुहम्मद रजा खाँ तथा बिहार के उपनवाब राजा सिताबराय को पद मुक्त कर दिया गया। उन पर मुकदमे चलाये गये परंतु अंत में दोनों को न्यायालय ने मुक्त कर दिया।
  • बंगाल के नवाब को शासन के दायित्वों से मुक्त कर दिया, क्योंकि अब स्वयं कंपनी ने प्रशासन का दायित्व ग्रहण कर लिया था। बंगाल का नवाब नज्मुद्दौला अभी अल्पव्यस्क था। अतः मीर जाफर की विधवा पत्नी मुन्नी बेगम को उसकी संरक्षिका घोषित किया गया। नवाब की पेन्शन 53 लाख रुपये वार्षिक से घटाकर 16 लाख रुपये कर दी गयी।
  • मुर्शिदाबाद के स्थान पर कलकत्ता को राजधानी बनाया गया। राजकोष को भी मुर्शिदाबाद से कलकत्ता स्थानान्तरित कर दिया गया।
  • कंपनी के कर्मचारियों पर घूस लेने तथा उपहार भेंट आदि स्वीकार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
  • चोर-डाकुओं एवं लुटेरों का दमन कर दिया गया।

व्यापार संबंधी सुधार

वारेन हेस्टिंग्ज के व्यापार संबंधी सुधार निम्नलिखित थे

  • वारेन हेस्टिंग्ज ने दस्तक प्रथा (निःशुल्क व्यापार पर अधिकार-पत्र) को समाप्त कर दिया तथा कंपनी के कर्मचारियों के निजी व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया।
  • वारेन हेस्टिंग्ज के पहले चुंगी वसूल करने के लिए अनेक स्थानों पर चुंगी-चौकियाँ स्थापित थी। परंतु वारेन हेस्टिंग्ज ने इन समस्त चुंगी चौकियों को समाप्त कर दिया। केवल पांच चुंगी चौकियां – कलकत्ता, हुगली, ढाका, मुर्शिदाबाद तथा पटना में स्थापित की गयी।
  • नमक, सुपारी तथा तंबाकू के अलावा अन्य सभी वस्तुओं पर चुंगी 2.50 प्रतिशत कर दी गयी। यह चुंगी यूरोपीय एवं भारतीय दोनों ही व्यापारियों से समान रूप से ली जाती थी।
  • वारेन हेस्टिंग्ज ने व्यापार की उन्नति के लिए मिस्र, भूटान, तिब्बत आदि देशों के साथ व्यापारिक संधियाँ कीं।
  • अफीम तथा नमक का व्यापार पूर्ण रूप से सरकारी नियंत्रण में कर दिया गया।

आर्थिक सुधार

वारेन हेस्टिंग्ज के प्रमुख आर्थिक सुधार निम्नलिखित हैं-

  • वारेन हेस्टिंग्ज ने मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय को दी जाने वाली पेंशन 26 लाख रुपये की राशि बंद कर दी क्योंकि वह अंग्रेजों का संरक्षण छोङकर मराठों के संरक्षण में चला गया था।
  • मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय से इलाहाबाद तथा कङा के जिले भी छीन लिए गए तथा ये दोनों जिले अवध के नवाब को दे दिए गए। इसके बदले में अवध के नवाब से 50 लाख रुपये ले लिये गए।

लगान व्यवस्था में सुधार

  • 1772 ई. में वारेन हेस्टिंग्ज ने पांच वर्षीय बंदोबस्त लागू किया। इसके अनुसार 5 वर्ष के लिए भूमि सबसे अधिक बोली लगाने वाले व्यक्ति को सौंप दी जाती थी। प्रायः इस कार्य के लिए जमीदारों को प्राथमिकता दी जाती थी। जमींदार अपने किसानों को जमीन पर पट्टा देता था जिसमें उनके द्वारा जमीदार को दी जाने वाली लगान की राशि का उल्लेख होता था।
  • जिले में लगान वसूल करने का कार्य कलैक्टर को सौंपा गया तथा उसकी सहायता के लिए भारतीय दीवान नियुक्त किये गये।
  • लगान की वसूली तथा दीवानी न्याय के लिये प्रत्येक जिले में दीवानी अदालतें स्थापित की गयी।
  • लगान व्यवस्था पर नियंत्रण रखने के लिये मुर्शिदाबाद तथा पटना में भू-राजस्व नियंत्रण परिषदों की स्थापना की गयी।
  • गवर्नर तथा उसकी कौंसिल को राजस्व मंडल के नाम से पुकारा जाने लगा, क्योंकि यह समस्त भू राजस्व प्रशासन पर नियंत्रण रखती थी।
  • वारेन हेस्टिंग्ज की यह लगान व्यवस्था अत्यंत दोषपूर्ण सिद्ध हुई तथा इससे किसानों की दशा अत्यंत खराब हो गयी। अतः नवम्बर, 1773 में एक नई योजना स्वीकार की गयी, जिसके प्रथम भाग को 1774 में लागू किया गया। इस योजना के अनुसार समस्त बंगाल प्रेसीडेन्सी को 6 डिवीजनों में बाँट दिया गया। ये 6 डिवीजन थे – कलकत्ता, बर्दवान, ढाका, मुर्शिदाबाद, दीनाजपुर तथा पटना। प्रत्येक डिवीजन के लिये एक प्रान्तीय परिषद स्थापित की गयी और उसकी सहायता के लिये एक दीवान की नियुक्ति की गयी। कलैक्टर के स्थान पर भारतीय राजस्व अधिकारी नियुक्त किये गये जो नायब कहलाते थे। कुछ समय बाद वारेन हेस्टिंग्ज ने पुनः एकवर्षीय बंदोबस्त लागू कर दिया।

पुलिस व्यवस्था

वारेन हेस्टिंग्ज ने पुलिस विभाग का भी पुनर्गठन किया। प्रत्येक जिले में एक स्वतंत्र पुलिस अधिकारी की नियुक्ति की गयी। चोरों तथा डाकुओं का कठोरतापूर्वक दमन किया गया। चोरों तथा डाकुओं को गिरफ्तार करके उन्हें गाँवों में ही फांसी पर लटका दिया जाता था। ढोंगी संन्यासियों का भी दमन कर दिया गया। वारेन हेस्टिंग्ज की इस कार्यवाही से बंगाल में शांति एवं व्यवस्था स्थापित हो गयी।

वारेन हेस्टिंग्ज के सुधारों का मूल्यांकन

वारेन हेस्टिंग्ज एक महत्वाकांक्षी व्यक्ति था। उसने अनेक प्रशासकीय परिवर्तन किये तथा एक नवीन शासन व्यवस्था की स्थापना की। उसने जो शासन व्यवस्था स्थापित की, वह परवर्ती शासकों के लिये एक आदर्श सिद्ध हुई। सर विलियम हंटर का कथन है कि वारेन हेस्टिंग्ज ने उस नागरिक शासन प्रणाली की नींव डाली, जिस पर कार्नवालिस ने एक विशाल भवन का निर्माण किया।

यह उचित ही कहा गया है कि यदि क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का संस्थापक था, तो वारेन हेस्टिंग्ज एक प्रशासनिक संगठनकर्त्ता था।

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