मध्यकालीन भारतइतिहासदिल्ली सल्तनतलोदी वंश

लोदी वंश का संस्थापक बहलोल लोदी

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बहलोल लोदी-(1451-1489ई.)-

  • अलाउद्दीन आलमशाह ने स्वेच्छा से दिल्ली का शासन त्याग दिया इसके बाद बहलोल लोदी गाजी के नाम से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। उसने प्रथम अफगान साम्राज्य की नींव डाली।तथा लोदी वंश की स्थापना की। बहलोल लोदी अफगानों की शाहूखेल शाखा से संबंधित था। उसने अफगानों को भारत आने के लिए आमंत्रित किया।  इसने बहलोली सिक्के को चलाया जो अकबर के पहले तक उत्तरी भारत में विनिमय का मुख्य साधन बना रहा। बहलोल एक साधारण व्यक्ति था तथा तारीखेदाउदी के लेखक अब्दुल्लाह के अनुसार वह कभी सिंहासन पर नहीं बैठा,जब अपने सरदारों के साथ मिलता था।

इसने वजीर का पद समाप्त कर दिया।1484ई. में जौनपुर के शासक हुसैनशाह शर्की को पराजित कर अपने पुत्र बरबकशाह को जौनपुर का शासक बनाया। इसने उत्तरी बिहार के दरभंगा के शासक कीरतसिंह को पराजित किया।

ग्वालियर पर आक्रमण किया ( शासक मानसिंह था ) लेकिन उसे जीत नहीं सका। तारीख-ए-दाउदी(रचयिता-मुल्ला दाउद)  के अनुसार बहलोल लोदी ने अफगान जातीय समानता की भावना का सम्मान किया। वह अपने अफगान अमीरों को मसनद-ए-आली कहता था। तथा अपने अमीरों के समक्ष सिंहासन के बजाए कालीन पर बैठता था एवं लूट से प्राप्त आय में बराबर बंटवारा करता था।बहलोल लोदी धार्मिक रूप से कट्टर नहीं था, उसने अनेक हिन्दूओं को प्रशासन में शामिल किया जैसे- रायकरनसिंह, रायप्रतापसिंह, नरसिंह, त्रिलोकचंद।

दूरदर्शी व्यक्ति

  • बहलोल लोदी ने अपना ध्यान सुरक्षा पर केन्द्रित किया, जिसके लिए उस समय पश्चिमोत्तर सीमा पर मंगोलों से खतरा था। वे किसी भी समय भारत पर आक्रमण कर सकते थे। अत: बहलोल ने अपने बड़े लड़के ‘मुहम्मद ख़ाँ’ को सुल्तान का हाकिम नियुक्त किया और स्वयं भी सीमा के आसपास ही पड़ाव डालकर रहने लगा। उसका डर बेबुनियाद नहीं था।

मंगोलों ने 1278 ई. में भारत पर आक्रमण करने का प्रयास किया, किन्तु ‘शाहआलम मुहम्मद ख़ाँ’ ने उन्हें पीछे खदेड़ दिया। 1485 ई. में पुन: आक्रमण कर वे मुल्तान तक बढ़ आये, और शाहज़ादे पर हमला करके उसे मार डाला। सुल्तान के लिए, जो कि अपने बड़े बेटे से बहुत प्यार करता था और यह उम्मीद लगाये बैठा था कि, वह उसका उत्तराधिकारी होगा, यह भीषण आघात था। बहलोल की अवस्था उस समय अस्सी वर्ष हो चुकी थी और पुत्र शोक में उसकी मृत्यु हो गई। उसकी गणना दिल्ली के सबसे शक्तिशाली सुल्तानों में होती है।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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