आधुनिक भारतइतिहास

हैदराबाद का इतिहास

अन्य संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य-

हैदराबाद की स्थापना-

गोलकोंडा का पुराना क़िला गोलकंडा राज्य की राजधानी के लिए अपर्याप्त सिद्ध हुआ और इसलिए लगभग 1591 में क़ुतुबशाही वंश में पाँचवें, मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह ने पुराने गोलकोंडा से कुछ मील दूर “मूसा नदी” {जो आज मूसी नदी के नाम से जाना जाता है} के किनारे हैदराबाद नामक नया नगर बनाया।

हैदराबाद में स्वतंत्र आसफजाही वंश की स्थापना,मुहम्मदशाह(मुगल बादशाह) द्वारा दक्कन में नियुक्त सूबेदार चिनकिलच खां (निजामुलमुल्क) ने 1724 ई. में की।

मुगल बादशाह मुहम्मशाह ने 1722 ई. में चिनकिलिच खां को दक्कन के छः सूबों की सूबेदारी सौंपी थी, जिसका मुख्यालय औरंगाबाद में था।

चिनकिलिच खां द्वारा 1724 में स्वतंत्र हैदराबाद राज्य की स्थापना के बाद मुगल सम्राट मुहम्मदशाह ने उसे आसफशाह की उपाधि प्रदान की।

शूकरखेङा के युद्ध में चिनकिलिच खां ने मुगल सूबेदार मुबारिज खां को पराजित किया था।

1748 में चिनकिलिच खां की मृत्यु के बाद हैदराबाद में कोई ऐसा योग्य निजाम नहीं था जो अंग्रेजों से टक्कर ले सकता।हैदराबाद भारतीय राज्यों में ऐसा प्रथम राज्य था जिसने वेलेजली की सहायक संधि के तहत एक आश्रित सेना रखना स्वीकार किया।


हैदराबाद भारत के राज्य तेलंगाना तथा आंध्रप्रदेश की संयुक्त राजधानी है, जो दक्कन के पठार पर मूसी नदी के किनारे स्थित है। कहा जाता है कि किसी समय में इस ख़ूबसूरत शहर को क़ुतुबशाही परम्परा के पाँचवें शासक मुहम्मद कुतुब शाह ने अपनी प्रेमिका भागमती को उपहार स्वरूप भेंट किया था। हैदराबाद को ‘निजाम का शहर’ तथा ‘मोतियों का शहर’ भी कहा जाता है।

Reference :https://www.indiaolddays.com/

Related Articles

error: Content is protected !!