इतिहासचंदेल वंशप्राचीन भारत

जेजाकभुक्ति (बुंदेलखंड) के चंदेल शासकों के इतिहास के साधन

प्रतिहार वंश के पतन के बाद बुंदेलखंड के भू-भाग पर चंदेल वंश के स्वतंत्र राजनैतिक इतिहास का प्रारंभ हुआ था। बुंदेलखंड का प्राचीन नाम जेजाकभुक्ति था। चंदेल वंश की जानकारी प्राप्त करने के लिये हम अनेक ऐतिहासिक स्रोत पढते हैं।

चंदेल वंश के इतिहास के सर्वाधिक प्रमाणिक साधन उसके शासकों द्वारा उत्कीर्ण करवाये गये बहुसंख्यक अभिलेख हैं। इन अभिलेखों का वर्णन निम्नलिखित है-

चंदेल वंश को जानने के लिये इतिहास के साधन : अभिलेख

  • खजुराहो (छत्रपुर, मध्यप्रदेश) के विक्रम संवत् 1011 अर्थात् 954 ईस्वी तथा विक्रम संवत् 1059 अर्थात् 1002 ईस्वी का लेख।
  • नन्यौरा (हमीरपुर, उत्तरप्रदेश) से प्राप्त विक्रम संवत् 1055 अर्थात् 998 ईस्वी का लेख।
  • मऊप्रस्तर अभिलेख।
  • छतरपुर का लेख।
  • महोबा के किले की दीवार पर अंकित विक्रम संवत् 1240 अर्थात् 1183 ईस्वी का लेख।

इन सभी लेखों में खजुराहो से प्राप्त हुए लेखों का सर्वाधिक महत्त्व है। ये दोनों चंदेल शासक धंग के समय के हैं। इनमें चंदेल शासकों की वंशावली तथा यशोवर्मा और धंग की उपलब्धियों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। इस प्रकार ये लेख चंदेलवंश के इतिहास का अध्ययन करने के लिये हमारे प्रमुख साधन हैं।

चंदेल राजाओं ने ही सर्वप्रथम देवनागरी लिपि का प्रयोग अपने लेखों में करवाया था।

चंदेल वंश के इतिहास पर प्रकाश डालने वाले ग्रंथों में कृष्णमिश्र के प्रबोध-चंद्रोदय, राजशेखर का प्रबंधकोष, चंदबरदाई कृत पृथ्वीराजरासो तथा परमालरासो, जगनिक कृत आल्हाखंड आदि महत्त्वपूर्ण हैं।

प्रबोधचंद्रोदय से चंदेल तथा चेदि – राजाओं के संघर्ष का पता चलता है।

प्रबंधकोश के मदनवर्म-प्रबंध से चंदेल नरेश मदनवर्मा के विषय में सूचना मिलती है।

चंदबरदाई तथा जगनिक के ग्रंथ चाहमान शासक पृथ्वीराज तृतीय तथा चंदेल शासक परमर्दि के बीच संघर्ष का रोचक विवरण प्रस्तुत करते हैं।

मुस्लिम लेखकों के विवरण भी चंदेल इतिहास के बारे में सूचना प्रदान करते हैं। इनमें इब्न-उल-अतहर, निजामुद्दीन, हसन निजामी आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।

अतहर तथा निजामुद्दीन, महमूद गजनवी तथा चंदेल शासक विद्याधर के बीच होने वाले संघर्ष का विवरण देते हैं। वहीं विद्याधर की शक्ति की प्रशंसा करते हैं।

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हसन निजामी के विवरण से कुतुबुद्दीन द्वारा चंदेल राज्य पर आक्रमण तथा उसे जीत जाने का विवरण मिलता है।

चंदेल शासकोंद्वारा बनवाये गये मंदिर तथा मूर्तियाँ खजुराहो से मिलती हैं। इनसे जहाँ एक ओर उनके धार्मिक विचारों तथा विश्वासों का पता चलता है, वहीं दूसरी ओर कला एवं स्थापत्य का पता चलता है।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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